Edited By Anu Malhotra,Updated: 28 Jul, 2025 01:42 PM

भारतीय जनता पार्टी (BJP) लंबे समय से अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया पूरी करने की तैयारी में थी, लेकिन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने पार्टी की रफ्तार को रोक दिया। 21 जुलाई को उन्होंने यह कदम उठाया, जिससे पार्टी का फोकस...
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) लंबे समय से अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया पूरी करने की तैयारी में थी, लेकिन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने पार्टी की रफ्तार को रोक दिया। 21 जुलाई को उन्होंने यह कदम उठाया, जिससे पार्टी का फोकस तुरंत उपराष्ट्रपति पद की चुनाव प्रक्रिया पर केंद्रित हो गया। इसके कारण राज्य स्तर पर भी नई नियुक्तियां फिलहाल किसी न किसी कारण से रुकी हुई हैं।
चुनाव की प्रक्रिया पर नहीं है अभी कोई पुख़्ता समय सीमा
BJP के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी संभव है जब कम से कम आधे राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव हो चुके हों। फिलहाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक जैसे प्रमुख राज्यों में यह प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है। इसलिए अध्यक्ष चुनाव की अनुमानित तिथि अभी तक स्पष्ट नहीं की जा सकी है।
संगठन का फोकस अब VP चुनाव पर
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से पहले पार्टी अध्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया चल रही थी, लेकिन अब पार्टी की शीर्ष प्राथमिकता नए उपराष्ट्रपति के चयन पर केंद्रित हो गई है। इससे संगठनात्मक चुनाव ठंडे बस्ते में चले गए हैं।
अध्यक्ष पद के संभावित दावेदार
बीजेपी नेतृत्व में अभी भी कुछ बड़े नाम चर्चा में हैं, जिनमें प्रमुख रूप से धर्मेंद्र प्रधान, शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर और भूपेंद्र यादव शामिल हैं। ये नेता अनुभव, संगठन कौशल और सामाजिक संतुलन की दृष्टि से उपयुक्त माने जा रहे हैं, लेकिन अभी तक किसी नाम पर संघ और पार्टी में सहमति नहीं बन पाई है।
RSS की भूमिका: संगठन चाह रहा मजबूती
खबरों के अनुसार, RSS अब तक किसी नाम को हरी झंडी नहीं दे पाया है। पार्टी ने धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव के नाम आरएसएस को भेजे हैं, लेकिन अंतिम फैसला अभी लंबित है। संघ की प्राथमिकता एक ऐसे नेता को अध्यक्ष बनाना है, जो संगठन को मजबूती से आगे ले जा सके।
बीजेपी अध्यक्ष चुनाव कैसे होता है?
राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ द्वारा किया जाता है, जिसमें राष्ट्रीय और प्रदेश परिषद के सदस्य शामिल होते हैं।
उम्मीदवार के पास 15 साल तक पार्टी का सक्रिय सदस्य होना अनिवार्य है।
कम से कम 20 प्रस्तावक हों, जो 5 अलग-अलग राज्यों से आए हों, जिनमें राष्ट्रीय परिषद चुनाव पूरा हो चुका हो।
कोई भी व्यक्ति दो लगातार कार्यकाल (प्रत्येक तीन साल का) के लिए अध्यक्ष चुना जा सकता है, यानी अधिकतम छह साल तक सेवा दी जा सकती है।