बिहार में शुरु होगा 'दो लड़कों' की दोस्ती का नया अध्याय, राहुल-अखिलेश की केमिस्ट्री बीच बढ़ी बीजेपी की टेंशन

Edited By Updated: 21 Aug, 2025 04:15 PM

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी बिहार में अपनी 'वोट अधिकार यात्रा' निकाल रहे हैं, जिसमें उन्हें आरजेडी नेता तेजस्वी यादव का पूरा समर्थन मिल रहा है। इस यात्रा में एक और बड़ा नाम शामिल होने वाला है—सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव।

नेशनल डेस्क: कांग्रेस नेता राहुल गांधी बिहार में अपनी 'वोट अधिकार यात्रा' निकाल रहे हैं, जिसमें उन्हें आरजेडी नेता तेजस्वी यादव का पूरा समर्थन मिल रहा है। इस यात्रा में एक और बड़ा नाम शामिल होने वाला है—सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव। अखिलेश 28 अगस्त को सीतामढ़ी में राहुल के साथ यात्रा में शामिल होंगे। बिहार में दोनों नेताओं का एक साथ आना, उनकी बढ़ती नजदीकी और भविष्य की राजनीति की ओर इशारा कर रहा है।

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'दो लड़कों' की दोस्ती का नया अध्याय

राहुल और अखिलेश की दोस्ती पहली बार 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में देखी गई थी, जब उन्होंने मिलकर चुनाव लड़ा था। तब उन्होंने अपने गठबंधन को 'शांति, प्रगति और समृद्धि' के लिए बताया था, लेकिन उनका यह प्रयास सफल नहीं हो सका और दोनों के बीच दूरियां बढ़ गईं। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले दोनों फिर से करीब आए। चाहे वह 'वोट चोरी' का मुद्दा हो SIR का हो या 'ऑपरेशन सिंदूर' का, राहुल और अखिलेश हर बड़े मुद्दे पर एक साथ खड़े दिखाई दिए। संसद में भी वे एक दूसरे का समर्थन करते रहे हैं।

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सड़क से संसद तक एक साथ

लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान दोनों नेताओं ने कई बार मंच साझा किया। गाजियाबाद में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस से लेकर रायबरेली में राहुल के लिए अखिलेश का प्रचार, और कन्नौज में अखिलेश के लिए राहुल का समर्थन, दोनों के बीच बेहतर तालमेल को दर्शाता है। इस दौरान उन्हें 'पीडीए के करन-अर्जुन' बताकर पोस्टर भी लगाए गए थे। इसी केमिस्ट्री की बदौलत सपा और कांग्रेस ने यूपी में बीजेपी को 40 से कम सीटों पर रोककर अपनी स्थिति मजबूत की।

क्या 2027 का रोडमैप तैयार?

अखिलेश यादव का लक्ष्य 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करना है और अपनी पार्टी का राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करना है। वह जानते हैं कि कांग्रेस के साथ रहकर ही यह संभव है। यूपी में भले ही सपा की अपनी मजबूत पकड़ है, लेकिन महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड जैसे राज्यों में मुसलमानों का झुकाव कांग्रेस की तरफ है।

यूपी में भी मुस्लिम वोट बैंक कांग्रेस की तरफ लौट रहा है, ऐसे में अखिलेश को बीजेपी का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस का साथ जरूरी है। अगर दोनों पार्टियां 2027 में भी साथ मिलकर चुनाव लड़ती हैं, तो बीजेपी के लिए यह एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।

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