Edited By Shubham Anand,Updated: 14 Dec, 2025 08:37 PM
डॉलर के मुकाबले रुपए की रिकॉर्ड गिरावट और मेमोरी चिप्स की भारी कमी का असर टीवी बाजार पर पड़ने वाला है। रिपोर्ट्स के मुताबिक जनवरी से टेलीविजन की कीमतों में 3 से 10 फीसदी तक बढ़ोतरी हो सकती है। AI सर्वर्स की वजह से चिप सप्लाई घटने और इंपोर्ट कॉस्ट...
नेशनल डेस्क : डॉलर के मुकाबले रुपए में लगातार गिरावट का असर अब आम उपभोक्ताओं की जेब पर भी पड़ने की संभावना है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अगले साल जनवरी से टेलीविजन की कीमतों में इजाफा हो सकता है। मेमोरी चिप्स की बढ़ती कीमतों और रुपए के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने के कारण टीवी की कीमतों में 3 से 4 फीसदी, जबकि कुछ ब्रांड्स में 7 से 10 फीसदी तक बढ़ोतरी होने का अनुमान जताया जा रहा है। हाल ही में रुपया पहली बार 90 रुपये प्रति डॉलर के स्तर को पार कर गया है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री पर दबाव बढ़ गया है।
टीवी क्यों हो सकते हैं महंगे?
रुपए की गिरावट ने टीवी मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को असहज स्थिति में ला दिया है। एक एलईडी टीवी में घरेलू स्तर पर वैल्यू एडिशन केवल लगभग 30 फीसदी ही होता है, जबकि इसके प्रमुख कंपोनेंट्स जैसे ओपन सेल, सेमीकंडक्टर चिप और मदरबोर्ड विदेशों से आयात किए जाते हैं। ऐसे में डॉलर महंगा होने का सीधा असर लागत पर पड़ता है।
इसके साथ ही, ग्लोबल लेवल पर मेमोरी चिप संकट भी गंभीर होता जा रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सर्वर्स के लिए हाई-बैंडविड्थ मेमोरी (HBM) की भारी मांग के कारण मेमोरी चिप्स की वैश्विक सप्लाई में कमी आई है। इसका असर DRAM और फ्लैश मेमोरी दोनों की कीमतों पर पड़ा है, जो रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ चुकी हैं। चिप बनाने वाली कंपनियां ज्यादा मुनाफे वाले AI चिप्स पर फोकस कर रही हैं, जिससे टीवी जैसे पारंपरिक इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के लिए चिप सप्लाई सीमित हो गई है।
कितनी बढ़ सकती हैं टीवी की कीमतें?
हायर अप्लायंसेज इंडिया के अध्यक्ष एन. एस. सतीश ने बताया कि मेमोरी चिप्स की कमी और कमजोर रुपए के चलते एलईडी टीवी सेट्स की कीमतों में लगभग 3 फीसदी बढ़ोतरी तय मानी जा रही है। उन्होंने कहा कि कुछ टीवी कंपनियों ने अपने डीलर्स को संभावित कीमत बढ़ाने की जानकारी पहले ही दे दी है।
वहीं, थॉमसन, कोडक और ब्लाउपुंक्ट जैसे ग्लोबल ब्रांड्स के लाइसेंस रखने वाली कंपनी सुपर प्लास्ट्रोनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (SPPL) का अनुमान और भी गंभीर है। कंपनी के सीईओ अवनीत सिंह मारवाह के अनुसार, पिछले तीन महीनों में मेमोरी चिप्स की कीमतों में करीब 500 फीसदी तक इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि मेमोरी चिप संकट और रुपए की गिरावट के संयुक्त प्रभाव से जनवरी से टीवी की कीमतों में 7 से 10 फीसदी तक बढ़ोतरी हो सकती है।
GST कटौती से मिला फायदा भी खतरे में
टीवी इंडस्ट्री के लिए यह समय और चुनौतीपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि हाल ही में सरकार ने 32 इंच और उससे बड़े टीवी पर GST को 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी किया था। इस फैसले से टीवी की कीमतों में औसतन 4,500 रुपये तक की कमी आई थी और मांग में तेजी देखने को मिली थी। हालांकि, इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का कहना है कि लागत में संभावित बढ़ोतरी इस GST कटौती से मिले लाभ को काफी हद तक खत्म कर सकती है।
वीडियोटेक्स के निदेशक अर्जुन बजाज ने कहा कि मेमोरी चिप्स की कीमतों में जबरदस्त बढ़ोतरी के चलते कंपनियों पर लगातार दबाव बना हुआ है और चिप्स की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। उन्होंने बताया कि स्रोत स्तर पर फ्लैश मेमोरी और DDR4 की कीमतें 1,000 फीसदी तक बढ़ चुकी हैं, जिसका मुख्य कारण सप्लाई का AI डेटा सेंटर्स की ओर डायवर्ट होना है।
भारत का टीवी बाजार कितना बड़ा है?
बाजार में फिलहाल सुस्ती के संकेत भी नजर आ रहे हैं। काउंटरपॉइंट रिसर्च के अनुसार, भारत में स्मार्ट टीवी की बिक्री 2025 की दूसरी तिमाही में सालाना आधार पर 4 फीसदी घट गई। इसकी वजह छोटे स्क्रीन साइज के टीवी की बढ़ती मांग, नए टीवी की खरीद में कमी और उपभोक्ता खर्च में गिरावट को माना जा रहा है।
हालांकि, लंबी अवधि के नजरिए से टीवी बाजार की संभावनाएं मजबूत बनी हुई हैं। भारत का टीवी बाजार, जिसकी वैल्यू 2024 में 10 से 12 अरब डॉलर के बीच थी, आगे चलकर डिस्पोजेबल इनकम में वृद्धि, बड़े स्क्रीन की बढ़ती मांग और ओटीटी कंटेंट की लोकप्रियता के चलते विस्तार करने की उम्मीद है। लेकिन निकट भविष्य में उपभोक्ताओं को अपने टीवी अपग्रेड के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है।