रेडी हो जाइए! मकान बनाना होगा आसान, GST में बदलाव से कम हो सकती हैं प्रॉपर्टी की कीमतें

Edited By Updated: 22 Aug, 2025 12:55 PM

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सरकार जल्द ही जीएसटी दरों में बदलाव करने की योजना बना रही है, जिसका सबसे बड़ा असर रियल एस्टेट सेक्टर पर पड़ सकता है। मकान बनाने की लागत कम करने और घर खरीदने वालों को राहत पहुंचाने के लिए ये कदम उठाया जा रहा है। फिलहाल निर्माण सामग्री पर अलग-अलग...

नेशनल डेस्क: सरकार जल्द ही जीएसटी दरों में बदलाव करने की योजना बना रही है, जिसका सबसे बड़ा असर रियल एस्टेट सेक्टर पर पड़ सकता है। मकान बनाने की लागत कम करने और घर खरीदने वालों को राहत पहुंचाने के लिए ये कदम उठाया जा रहा है। फिलहाल निर्माण सामग्री पर अलग-अलग जीएसटी स्लैब लागू हैं, जिससे प्रोजेक्ट की कुल लागत बढ़ जाती है और घरों की कीमतें महंगी हो जाती हैं।

अभी सीमेंट और पेंट जैसे सामानों पर 28% जीएसटी लगता है, जबकि स्टील, टाइल्स और सैनिटरी फिटिंग पर 18% टैक्स है। इस असमान दरों के कारण डेवलपर्स की लागत ज्यादा होती है, जो अंत में खरीदारों पर भारी पड़ती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सभी सामानों पर एक समान दर लागू की जाए और इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) फिर से शुरू किया जाए, तो मकानों की कीमतें 2 से 4 प्रतिशत तक कम हो सकती हैं।

यह बदलाव खासकर मध्यम वर्ग के लिए बड़ा सहारा साबित हो सकता है, जो आजकल बढ़ती कीमतों के चलते घर लेने में संकोच कर रहे हैं। किफायती घरों पर फिलहाल मात्र 1% जीएसटी लगता है, इसलिए वहां ज्यादा बड़ा बदलाव नहीं होगा। लेकिन ITC की वापसी से किफायती और मिड-सेगमेंट दोनों वर्गों के लिए मकान सस्ते हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, मिड-सेगमेंट घरों पर जीएसटी 5% से घटाकर 3% करने से कीमतें 2-3 प्रतिशत तक कम हो सकती हैं।

पिछले कुछ सालों में निर्माण सामग्री की कीमतों में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है। 2019 से 2024 के बीच लागत लगभग 40% बढ़ गई है, जिसमें से अकेले पिछले तीन सालों में 27% से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। टियर-1 शहरों में ग्रेड ए प्रोजेक्ट की कीमत 2021 में ₹2,200 प्रति वर्ग फुट से बढ़कर 2024 में ₹2,800 हो गई है। ऐसे में सीमेंट और स्टील जैसे मुख्य सामानों पर टैक्स कम होने से डेवलपर्स को राहत मिलेगी।

एक हिंदी न्यूज चैनल वेबसाइट में दी गई जानकारी के अनुसार, टीआरजी ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर पवन शर्मा ने कहा कि टैक्स दरें आसान होने से अधिक लोग घर खरीद पाएंगे, खासकर किफायती हाउसिंग में। उन्होंने यह भी बताया कि ITC हटने से डेवलपर्स की लागत बढ़ जाती है, जो खरीदारों पर दबाव डालती है। यदि ITC फिर से लागू हो जाता है, तो यह दोनों पक्षों के लिए फायदे का सौदा होगा।

लक्ज़री घरों के लिए मुश्किलें
हालांकि जीएसटी में बदलाव से अधिकांश लोग लाभान्वित होंगे, लेकिन लक्ज़री हाउसिंग सेक्टर के लिए यह उतना आसान नहीं होगा। यहां महंगे और खास मटेरियल्स पर भारी टैक्स लग सकता है, जिससे लागत बढ़ सकती है।

निर्माण लागत और टैक्स का असर
दो स्लैब वाली जीएसटी प्रणाली से नियम आसान होंगे, लेकिन ITC का न होना डेवलपर्स के लिए बड़ी समस्या है। ITC की वापसी से मध्यम वर्ग के लिए घर खरीदना और सस्ता होगा। वहीं, लक्ज़री घरों के लिए 40% का ऊंचा स्लैब बाजार में अस्थिरता पैदा कर सकता है और कीमतों को प्रभावित कर सकता है।

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