स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में हुए बदलाव... केरल सरकार का जेंडर न्यूट्रैलिटी की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

Edited By Updated: 18 Jun, 2024 09:56 AM

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केरल सरकार ने स्कूलों की पाठ्यपुस्तकों में बदलाव कर जेंडर न्यूट्रैलिटी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस पहल के तहत पारंपरिक ट्रेडिशनल रूढ़ियों को तोड़ते हुए पुरुषों और परिवार के अन्य सदस्यों को महिलाओं के साथ रसोई में काम करते हुए दिखाया...

नेशनल डेस्क: केरल सरकार ने स्कूलों की पाठ्यपुस्तकों में बदलाव कर जेंडर न्यूट्रैलिटी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस पहल के तहत पारंपरिक ट्रेडिशनल रूढ़ियों को तोड़ते हुए पुरुषों और परिवार के अन्य सदस्यों को महिलाओं के साथ रसोई में काम करते हुए दिखाया गया है। इस कदम का उद्देश्य बच्चों में कम उम्र से ही समावेशी दृष्टिकोण विकसित करना है और जड़ जमाए हुए जेंडर रूढ़ियों को खत्म करना है। दो महीने की गर्मी की छुट्टी के बाद जब छात्र और अभिभावक लौटे, तो उन्हें नई पाठ्यपुस्तकें मिलीं जिनमें जेंडर भूमिकाओं का प्रगतिशील चित्रण था।

खास तौर पर पाठ्यपुस्तकों में महिलाओं से जुड़ी पारंपरिक घरेलू गतिविधियों में लगे पिताओं को दर्शाने वाली तस्वीरें शामिल की गई हैं। सामान्य शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने सोशल मीडिया पर कक्षा 3 की मलयालम-माध्यम की पाठ्यपुस्तक की एक तस्वीर साझा की, जिसमें एक पिता रसोई के फर्श पर बैठा नारियल छीलता हुआ दिख रहा है, जबकि उसकी पत्नी खाना बना रही है। वहीं, अंग्रेजी माध्यम की पाठ्यपुस्तक में एक पिता अपनी बेटी के लिए नाश्ता पकाते हुए दिखाई दे रहा है। इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर काफी सराहना मिली है। लोगों ने इस पहल के लिए केरल सरकार की तारीफ की है और उम्मीद जताई है कि इस तरह के चित्रण जेंडर रूढ़ियों को खत्म करने में मदद करेंगे।

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वायरल तस्वीरों ने घरेलू परिस्थितियों में पुरुषों की भूमिका और घर में साझा जिम्मेदारियों के महत्व पर चर्चा को बढ़ावा दिया है। छात्रों और शिक्षकों ने भी नई पाठ्यपुस्तकों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। विथुरा की छात्रा पवित्रा कृष्णा ने अपनी कक्षा 3 की मलयालम पाठ्यपुस्तक में तस्वीरें देखकर आश्चर्य और मनोरंजन व्यक्त किया। उन्होंने बताया, "मैं नई किताब के पन्ने पलट रही थी और रसोई में नारियल खुरचते पिता की तस्वीरें देखकर हैरान रह गई। मैंने इसे अपने पिता को दिखाया और पूछा कि वे घर पर ऐसा क्यों नहीं करते।"

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कोच्चि की शिक्षिका सिंधु ने इसे सही दिशा में उठाया गया कदम बताया। उन्होंने कहा, "पाठ्यपुस्तकों में दर्शाई गई लिंग भूमिकाओं की पुनर्कल्पना बच्चों के लिए एक सकारात्मक तस्वीर पेश करती है कि खाना बनाना और घर के अन्य काम माता-पिता दोनों की सामूहिक जिम्मेदारी है।" यह पहल इस प्रचलित धारणा को चुनौती देती है कि घरेलू काम केवल महिलाओं की जिम्मेदारी है। केरल में लिंग-तटस्थ शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीपीआई (एम) सरकार के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है, जिसमें राज्य संचालित स्कूलों में लिंग-तटस्थ वर्दी की शुरूआत और मिश्रित स्कूलों के पक्ष में एकल-लिंग स्कूलों को समाप्त करना शामिल है।

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पिछले साल, केरल सरकार ने उच्चतर माध्यमिक छात्रों के लिए पूरक पाठ्यपुस्तकें शुरू कीं, जिसमें महात्मा गांधी की हत्या और मुगल साम्राज्य जैसे विषयों को फिर से शामिल किया गया, जिन्हें एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों से हटा दिया गया था। अभिभावक और छात्र केरल सामान्य शिक्षा विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर इन लिंग-तटस्थ छवियों वाली नई पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा कर सकते हैं। केरल का यह कदम सबसे कम उम्र के सदस्यों से शुरू करके अधिक समावेशी और न्यायसंगत समाज को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

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