Edited By Anu Malhotra,Updated: 13 Sep, 2025 09:05 AM

चेन्नई के कृष्णास्वामी ने आयकर विभाग की 5 करोड़ की नकदी जब्ती के खिलाफ कानूनी लड़ाई जीत ली। सुप्रीम कोर्ट ने विभाग की कार्रवाई को गलत ठहराते हुए उसे 2 लाख रुपये हर्जाना भरने का आदेश दिया।
नेशनल डेस्क: जब आयकर विभाग ने एक बड़ी छापेमारी में 5 करोड़ रुपए की नकदी जब्त की, तो ज्यादातर लोग सोचते कि मामला वहीं खत्म हो जाएगा। लेकिन चेन्नई के कृष्णास्वामी ने अपने होशियारी से साबित कर दिया कि टैक्स के मामले में समझदारी और सही लड़ाई से कैसे सिस्टम को जवाब दिया जा सकता है। उनकी इस मेहनत और कानूनी लड़ाई का नतीजा ऐसा निकला कि सुप्रीम कोर्ट ने आयकर विभाग की कार्रवाई को गलत ठहराते हुए विभाग को 2 लाख रुपये हर्जाने का भुगतान करने का आदेश दिया। आइए जानें कैसे बनी यह अनोखी कहानी।
क्या था मामला?
मामला शुरू हुआ अप्रैल 2016 में, जब आयकर विभाग ने चेन्नई निवासी कृष्णास्वामी के घर पर धारा 132 के तहत छापेमारी की। इस दौरान करीब ₹5 करोड़ नकद बरामद हुए, जिन्हें विभाग ने 'अघोषित आय' मानकर जब्त कर लिया। बाद में धारा 132(4) के अंतर्गत कृष्णास्वामी का बयान दर्ज किया गया और वर्ष 2017 में उनके खिलाफ मुकदमे की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। उन्होंने इस प्रक्रिया को मद्रास हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी।
मामला पहुंचा सेटलमेंट कमीशन
इस कानूनी लड़ाई के बीच, कृष्णास्वामी ने 2018 में आयकर सेटलमेंट कमीशन का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने धारा 245C के तहत आवेदन देकर अपनी अतिरिक्त आय का खुलासा किया और पेनल्टी व मुकदमे से छूट की मांग की। सेटलमेंट कमीशन ने 2019 में उनके आवेदन को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए उन्हें दंड से राहत तो दी, लेकिन अभियोजन से छूट नहीं दी, क्योंकि मामला अभी भी हाईकोर्ट में लंबित था। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि ₹5 करोड़ की कुल राशि में से ₹61.5 लाख की आय का स्रोत अस्पष्ट रहा।
सुप्रीम कोर्ट की दो टूक टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए आयकर विभाग की कार्यशैली पर कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि विभाग अपनी ही गाइडलाइंस और सर्कुलर की अनदेखी करके किसी करदाता पर कार्रवाई नहीं कर सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि जब टैक्सपेयर्स कानूनी दायरे में रहते हुए समाधान चाहते हैं, तो विभाग की जिम्मेदारी है कि वह निष्पक्ष और नियमबद्ध प्रक्रिया अपनाए।
कृष्णास्वामी को मिला हर्जाना
इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कृष्णास्वामी को ₹2 लाख रुपये हर्जाने के रूप में देने का आदेश भी जारी किया। कोर्ट ने कहा कि आयकर विभाग की ओर से अनुचित मुकदमेबाज़ी और गैर-जरूरी दबाव ने करदाता को मानसिक और वित्तीय नुकसान पहुंचाया।