अदालत ने अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को मानहानि के मामले में पेश होने का दिया आदेश

Edited By Yaspal,Updated: 27 Nov, 2020 09:01 PM

court orders arvind kejriwal and manish sisodia to appear in defamation case

दिल्ली की एक अदालत ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को 2013 में विधानसभा चुनाव में टिकट के एक दावेदार द्वारा दर्ज की गयी आपराधिक मानहानि की शिकायत के सिलसिले में तीन दिसंबर को ‘अवश्य'' पेश होने का निर्देश दिया है।...

नई दिल्लीः दिल्ली की एक अदालत ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को 2013 में विधानसभा चुनाव में टिकट के एक दावेदार द्वारा दर्ज की गयी आपराधिक मानहानि की शिकायत के सिलसिले में तीन दिसंबर को ‘अवश्य' पेश होने का निर्देश दिया है। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे ने केजरीवाल, सिसोदिया एवं स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव को 25 नवंबर को उस दिन के लिए पेशी छूट प्रदान करते हुए यह निर्देश दिया। यादव तब आम आमदी पार्टी में थे। अदालत शिकायतकर्ता सुरेंद्र कुमार शर्मा के कानूनी उत्तराधिकारी योगेश गौड़ द्वारा दायर आवेदन की सुनवाई कर रही है। शर्मा की हाल ही में मृत्यु हो गयी थी।

अदालत ने कहा, ‘‘ सभी तीनों आरोपियों को बस आज (25 नवंबर) के लिए उनके वकीलों के माध्यम से छूट दी जाती है लेकिन उन्हें सुनवाई की अगली तारीख को अवश्य ही कार्यवाही से जुड़ने का निर्देश दिया जाता है।'' स्थगन के अनुरोध संबंधी आवेदन में केजरीवाल एवं सिसोदिया के वकील ने अदालत से यह भी कहा कि उनके मुख्य वकील कोविड-19 से संक्रमित हैं। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए तीन दिसंबर की तारीख तय की।

शर्मा ने शिकायत की थी कि 2013 में आप कार्यकर्ताओं ने उनसे पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए यह कहते हुए आग्रह किया था कि केजरीवाल उनकी सामाजिक सेवा से प्रसन्न हैं। उन्होंने कहा था कि सिसोदिया एवं यादव ने उनसे कहा कि पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति ने उन्हें टिकट देने का निर्णय लिया है। इसके बाद उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए आवेदन पत्र भरा था लेकिन बाद में उन्हें चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया गया।

शिकायकर्ता ने 14 अक्टूबर, 2013 को दावा किया था कि प्रमुख अखबारों में प्रकाशित आलेखों में आरोपियों द्वारा उनके विरूद्ध इस्तेमाल किये गये शब्द मानहानिकारक, गैर कानूनी और अपमानजनक थे जिनसे से बार और समाज में उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हुई। शिकायत का विरोध करते हुए आरोपियों ने कहा था कि चुनाव टिकट रद्द करना या आवंटित करना पार्टी का विशेषाधिकार है और शिकायतकर्ता ने अपने विरूद्ध लंबित मामलों के बारे में सही सूचना नहीं दी थी।

 

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