गाय का दूध बना 'नॉन-वेज'! जानें क्या है...जिस पर भारत ने ठुकराया अमेरिकी प्रस्ताव, एक्सपर्ट से समझिए पूरी सच्चाई

Edited By Updated: 30 Jul, 2025 04:29 PM

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भारत में गाय का दूध सदियों से हमारी पहचान और पौष्टिकता का प्रतीक रहा है, जिसे शिशु से लेकर बुजुर्गों तक के लिए फायदेमंद माना जाता है। ऐसे में 'नॉन-वेज मिल्क' या 'मांसाहारी दूध' की अवधारणा ने देश में एक नई बहस छेड़ दी है। यह ऐसा दूध है जिसका उत्पादन...

नेशनल डेस्क: भारत में गाय का दूध सदियों से हमारी पहचान और पौष्टिकता का प्रतीक रहा है, जिसे शिशु से लेकर बुजुर्गों तक के लिए फायदेमंद माना जाता है। ऐसे में 'नॉन-वेज मिल्क' या 'मांसाहारी दूध' की अवधारणा ने देश में एक नई बहस छेड़ दी है। यह ऐसा दूध है जिसका उत्पादन अमेरिका में हो रहा है, मगर भारत ने इसे खरीदने से साफ मना कर दिया है। सवाल यह है कि यह प्राकृतिक रूप से गायों से प्राप्त दूध होने के बावजूद इसे 'नॉन-वेज' क्यों कहा जा रहा है और अमेरिका द्वारा इसे ज्यादा फायदेमंद बताए जाने के पीछे क्या सच्चाई है? आइए, विस्तार से जानते हैं।

क्या है नॉन-वेज मिल्क?
'नॉन-वेज मिल्क' एक प्रकार का दूध है जिसका उत्पादन अमेरिका में तेज़ी से बढ़ रहा है और वहाँ के लोग इसका सेवन भी कर रहे हैं। इसे 'नॉन-वेज' इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि जिन गायों से यह दूध लिया जाता है, उन पशुओं को 'ब्लड मील' खिलाया जा रहा है।

क्या है 'ब्लड मील'?
'ब्लड मील' एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जिसे सूअर, मांस, मछली और मरे हुए जानवरों के खून को सुखाकर बनाया जाता है। इस मिश्रण को 'ब्लड मील' कहा जाता है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह 'ब्लड मील' उन्हीं बूचड़खानों में तैयार किया जाता है, जहाँ से गायों को यह विशेष चारा मिलता है। इस मील को गाय के सामान्य चारे के साथ मिलाकर उन्हें दिया जाता है, इसीलिए ऐसी गायों के दूध को 'नॉन-वेज मिल्क' कहा जाता है।

'ब्लड मील' क्यों दिया जाता है?
इस 'ब्लड मील' को गायों को खिलाने के पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि ऐसा करने से गायों में दूध का उत्पादन बढ़ता है और दूध की गुणवत्ता भी सुधरती है। जबकि, दूसरी तरफ, 'ब्लड मील' बनाने से बूचड़खानों का कचरा साफ होता है और इसे बेचकर अच्छी कमाई भी हो रही है, जो आर्थिक रूप से लाभकारी बताया जा रहा है।

क्या वाकई सेहत के लिए फायदेमंद है यह दूध? एक्सपर्ट की राय
न्यूज़24 से बात करते हुए, झारखंड के क्रेनियोफेशियल सर्जन और पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर अनुज कुमार ने इस पर अपनी राय दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि:
वैज्ञानिक पुष्टि नहीं: "सबसे पहले तो यह जान लेना चाहिए कि ऐसी अब तक कोई भी वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है कि मांस और खून वाला चारा गायों को खिलाने से उनके दूध की क्वालिटी इंप्रूव होती है।" उत्पादकता बढ़ सकती है, गुण नहीं: "हो सकता है इस तरह का हैवी मील गायों को खिलाने से दूध की उत्पादकता बढ़ जाए, मगर दूध के गुण नहीं बढ़ सकते हैं। इसलिए, इंसान इस दूध को पीकर अपने स्वास्थ्य में कोई नया या बेहतर बदलाव नहीं देखेंगे।"


गायों के लिए भी हानिकारक है 'ब्लड मील'
डॉक्टर अनुज कुमार ने यह भी बताया कि इंसानों के लिए भले ही यह दूध फायदा न दे, लेकिन उससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि 'ब्लड मील' गायों के लिए जानलेवा बन सकता है।
शाकाहारी पशु: "गायें हर्बीवोरस (शाकाहारी) जानवरों की श्रेणी में आती हैं, जो सिर्फ घास-पूस पर जीवित रहते हैं। दरअसल, गायों का जो पाचन तंत्र होता है वह शाकाहारी भोजन के अनुसार बना होता है।"
गंभीर बीमारियां और मृत्यु: "अगर उन्हें मांस दिया जाता है, तो उन्हें कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। 'ब्लड मील' खाने से गायों की मृत्यु भी हो सकती है।"


डॉक्टर की सलाह
डॉक्टर अनुज कुमार की सलाह है कि 'नॉन-वेज मिल्क' को पीने से सेहत को लाभ होने को लेकर कोई साइंटिफिक पुष्टि नहीं है, इसलिए इसे पीना स्वाभाविक रूप से कोई लाभ नहीं देगा। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि 'ब्लड मील' में कई बार ऐसे जानवरों का मांस और खून भी शामिल हो सकता है जो किसी बीमारी या संक्रमण से जूझ रहे हों, ऐसे में इस दूध को पीने से इंसान के संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है।
 

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