इस बीमा कंपनी के ग्राहकों को बड़ा झटका, 1 सितंबर से नहीं मिलेगा कैशलेस इलाज; जानिए क्या है पूरा मामला

Edited By Updated: 25 Aug, 2025 01:51 PM

customers of this insurance company will not get cashless treatment from septemb

स्वास्थ्य बीमा और निजी अस्पतालों के बीच बढ़ते विवाद ने देशभर के लाखों बीमाधारकों की चिंता बढ़ा दी है। बजाज एलायंज जनरल इंश्योरेंस और देश के 15,000 अस्पतालों के बीच जारी तनातनी के चलते, सितंबर से मरीजों को कैशलेस इलाज की सुविधा नहीं मिल सकेगी।

नेशनल डेस्क: स्वास्थ्य बीमा और निजी अस्पतालों के बीच बढ़ते विवाद ने देशभर के लाखों बीमाधारकों की चिंता बढ़ा दी है। बजाज एलायंज जनरल इंश्योरेंस और देश के 15,000 अस्पतालों के बीच जारी तनातनी के चलते, सितंबर से मरीजों को कैशलेस इलाज की सुविधा नहीं मिल सकेगी। मैक्स हेल्थकेयर, मेदांता, समेत कई बड़े अस्पतालों ने एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इंडिया (AHPI) के नेतृत्व में यह फैसला लिया है। इसका सीधा असर उन मरीजों पर पड़ेगा, जो बजाज एलायंज की हेल्थ पॉलिसी के तहत इलाज कराते हैं।

मरीजों को पहले देना होगा बिल, बाद में मिलेगा क्लेम
AHPI ने अपने सभी सदस्य अस्पतालों को निर्देश दिया है कि वे 1 सितंबर से बजाज एलायंज के पॉलिसीधारकों के लिए कैशलेस इलाज बंद कर दें। यानी, मरीजों को अस्पताल में इलाज का पूरा खर्च खुद उठाना होगा और बाद में बीमा कंपनी से रीइम्बर्समेंट क्लेम करना पड़ेगा।

विवाद की जड़: पुराने रेट्स और अनुचित कटौतियां
अस्पतालों का आरोप है कि बीमा कंपनियां, खासकर बजाज एलायंज, पुराने कॉन्ट्रैक्ट रेट्स को बढ़ाने से इनकार कर रही हैं। इतना ही नहीं, इलाज के बाद जब बिल भेजा जाता है, तो बिना कोई पूर्व चर्चा के बीमा कंपनियां बिल की राशि में कटौती कर देती हैं। अस्पतालों का कहना है कि मौजूदा रेट्स पर इलाज देना अब संभव नहीं है, क्योंकि मेडिकल खर्च हर साल 78% तक बढ़ रहा है।

IRDA के 'कॉमन इंपैनलमेंट' प्रस्ताव से विवाद और गहरा
बीमा नियामक संस्था IRDAI ने देश में कैशलेस ट्रीटमेंट को सुव्यवस्थित करने के लिए कॉमन इंपैनलमेंट सिस्टम का प्रस्ताव दिया है। इस सिस्टम के तहत सभी बीमा कंपनियां और अस्पताल एक साझा फ्रेमवर्क में काम करेंगे। इससे मरीजों को अधिक विकल्प और बिना एडवांस पेमेंट के इलाज की सुविधा मिलेगी। हालांकि, बड़े अस्पताल इस प्रस्ताव को एकतरफा मान रहे हैं। उनका कहना है कि कॉमन पैनल रेट्स, पेमेंट शर्तें और क्लेम प्रक्रिया बीमा कंपनियों के पक्ष में झुकी हुई हैं। वहीं, छोटे अस्पताल इस प्रस्ताव में अपनी पहुंच बढ़ाने का अवसर देख रहे हैं।

केयर हेल्थ इंश्योरेंस को भी नोटिस, डेडलाइन 31 अगस्त
AHPI ने 22 अगस्त को केयर हेल्थ इंश्योरेंस को भी इसी तरह का नोटिस भेजा है। अगर विवाद सुलझा नहीं तो उनके ग्राहकों के लिए भी कैशलेस इलाज बंद किया जा सकता है।

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