Edited By Rohini Oberoi,Updated: 11 Dec, 2025 12:02 PM

अभी तक यही माना जाता था कि एक बार डायबिटीज (Diabetes) हो जाए तो वह जीवन भर बनी रहती है और इसे सिर्फ दवा, व्यायाम या जीवनशैली बदलकर नियंत्रित (Control) किया जा सकता है लेकिन एम्स नई दिल्ली ने इस धारणा को पूरी तरह गलत साबित कर दिया है। एम्स के सर्जरी...
नेशनल डेस्क। अभी तक यही माना जाता था कि एक बार डायबिटीज (Diabetes) हो जाए तो वह जीवन भर बनी रहती है और इसे सिर्फ दवा, व्यायाम या जीवनशैली बदलकर नियंत्रित (Control) किया जा सकता है लेकिन एम्स नई दिल्ली ने इस धारणा को पूरी तरह गलत साबित कर दिया है। एम्स के सर्जरी विभाग ने अनियंत्रित टाइप-2 डायबिटीज (Uncontrolled Type-2 Diabetes) का परमानेंट इलाज (Permanent Cure) ढूंढकर डायबिटिक मरीज़ों को बहुत बड़ी राहत दी है। अब सर्जरी (Surgery) के माध्यम से इस बीमारी को पूरी तरह ठीक (Completely Cured) किया जा सकता है।
AIIMS का सफल प्रयोग
एम्स के सर्जरी विभाग ने पिछले सवा साल में 30 ऐसे मरीज़ों की सर्जरी की है जो दवाएं और जीवनशैली में बदलाव के बावजूद अनियंत्रित डायबिटीज से जूझ रहे थे। इन सभी को अब बीमारी से मुक्त कर दिया गया है। सर्जरी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. मंजुनाथ कहते हैं कि सिर्फ शुगर लेवल को दवा से नॉर्मल रखना असली इलाज नहीं है।

असली इलाज का मतलब है कि डायबिटीज से होने वाले बड़े नुकसान जैसे ऑर्गन फेल्योर (किडनी, हार्ट आदि) को रोका जा सके। भारत में बहुत सारे मरीज़ों का शुगर लेवल तीन-तीन गोलियां लेने के बाद भी नियंत्रित नहीं है और ऐसे मरीज़ों के लिए यह सर्जरी बेहद ज़रूरी है।
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कैसे काम करती है यह मेटाबोलिक सर्जरी?
डॉ. मंजुनाथ ने बताया कि यह सर्जरी मोटापा (Obesity) भी घटाती है और डायबिटीज को भी खत्म करती है क्योंकि मोटापा और डायबिटीज एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इसे मेटाबोलिक सर्जरी (Metabolic Surgery) कहा जाता है। यह सर्जरी अग्नाशय (Pancreas) पर नहीं बल्कि पेट और आंतों पर की जाती है। पेट के आकार को कम करके सिलेंडर शेप में लाया जाता है।

छोटी आंत (Small Intestine) को इससे जोड़ दिया जाता है। खाना सीधे आंत में चला जाता है जिससे जीएलपी-1 (GLP-1) जैसे हार्मोन रिलीज़ होते हैं। ये हार्मोन इंसुलिन (Insulin) को बढ़ावा देते हैं और ब्लड शुगर, ट्राइग्लाइसराइड्स (फैट) और लिपिड प्रोफाइल को सामान्य रखते हैं जिससे डायबिटीज की बीमारी ठीक हो जाती है।
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कौन मरीज़ करा सकते हैं यह सर्जरी?
डॉ. मंजुनाथ स्पष्ट करते हैं कि यह सर्जरी शुगर के हर मरीज़ के लिए नहीं है। यह सर्जरी उन मरीज़ों के लिए है जिनकी डायबिटीज 8 से 10 साल पुरानी है और 2 साल तक डाइट, लाइफस्टाइल और 3-4 गोलियां लेने के बावजूद ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल नहीं हो रहा है। जिन लोगों का एचबीएवनसी (HbA1c) 6 या 6.5 तक रहता है वे दवा और जीवनशैली से ही अपना शुगर नियंत्रित कर सकते हैं।

जिन मरीज़ों को 25 सालों से डायबिटीज है और वे भारी मात्रा में इंसुलिन ले रहे हैं उनके अंदर सेल्स खत्म हो चुकी होती हैं। ऐसे मरीज़ों के लिए यह सर्जरी कारगर नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय डायबिटीज फेडरेशन (IDF) और ग्लोबल गाइडलाइंस (Global Guidelines) 2016 में भी इस मेटाबोलिक सर्जरी को टाइप-2 डायबिटीज का इलाज माना गया है।