काशी की सनातन परंपरा, गंगा आराधना और लोकआस्था का अद्वितीय संगम है देव दीपावली: CM योगी

Edited By Updated: 30 Oct, 2025 03:53 PM

dev deepawali is a unique confluence of kashi s eternal tradition ganga worship

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को कहा कि देव दीपावली काशी की सनातन परंपरा, गंगा आराधना और लोकआस्था का अद्वितीय संगम है। यह पर्व भारत की उस अनादि परंपरा का सजीव प्रतीक है, जहाँ दीप केवल ज्योति नहीं, बल्कि धर्म, कर्तव्य और राष्ट्रभाव का प्रतीक...

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को कहा कि देव दीपावली काशी की सनातन परंपरा, गंगा आराधना और लोकआस्था का अद्वितीय संगम है। यह पर्व भारत की उस अनादि परंपरा का सजीव प्रतीक है, जहाँ दीप केवल ज्योति नहीं, बल्कि धर्म, कर्तव्य और राष्ट्रभाव का प्रतीक हैं।   लखनऊ में एक उच्चस्तरीय बैठक में योगी ने पांच नवम्बर को वाराणसी में आयोजित होने वाली देव दीपावली 2025 की तैयारियों की विस्तारपूर्वक समीक्षा की। उन्होंने कहा कि काशी की देव दीपावली का आयोजन इस प्रकार किया जाए कि यह भारत की सांस्कृतिक आत्मा और आध्यात्मिक चेतना का विश्व संदेश बने।

सभी विभाग आपसी समन्वय से कार्य करें
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि देव दीपावली से पूर्व आयोजित गंगा महोत्सव (01 से 04 नवम्बर) और मुख्य आयोजन देव दीपावली (05 नवम्बर) की सभी तैयारियाँ समयबद्ध, व्यवस्थित और उच्च गुणवत्ता की हों। घाटों की प्रकाश सज्जा, दीपदान, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और जनसहभागिता की तैयारियाँ इस प्रकार हों कि श्रद्धा, अनुशासन और सौंदर्य का संतुलन प्रदर्शित हो। उन्होंने कहा कि गंगा तट पर दीपदान का द्दश्य श्रद्धा और अनुशासन की मिसाल बने। इसके लिए घाटों पर भीड़ नियंत्रण, सुरक्षा, स्वच्छता और यातायात प्रबंधन सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखा जाए। सभी विभाग आपसी समन्वय से कार्य करें ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था या अवरोध न हो। 

प्रत्येक घाट पर पर्याप्त सफाई कर्मी तैनात रहें
उन्होंने पर्यटन, नगर निगम, पुलिस, जल पुलिस, संस्कृति, सिंचाई, पीडब्ल्यूडी, विद्युत व स्वास्थ्य विभागों को विशेष रूप से निर्देशित किया कि वे अपनी जिम्मेदारी के अनुरूप आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि देव दीपावली के अवसर पर घाटों पर स्माटर् लाइटिंग, आकर्षक फ्लोरल डेकोरेशन, थीम-आधारित इंस्टालेशन तथा ड्रोन और सीसीटीवी मॉनिटरिंग की समुचित व्यवस्था की जाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि घाटों, गलियों और प्रमुख मार्गों की सफाई और सजावट पर विशेष ध्यान दिया जाए तथा प्रत्येक घाट पर पर्याप्त सफाई कर्मी तैनात रहें।

सीसीटीवी फीड की निगरानी निरंतर की जाए
मुख्यमंत्री ने कहा कि कंट्रोल रूम 24म7 सक्रिय रहे और कमांड सेंटर से सीसीटीवी फीड की निगरानी निरंतर की जाए। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पर्याप्त शौचालय, पेयजल व्यवस्था, चिकित्सीय सहायता और प्राथमिक उपचार केंद्र स्थापित किए जाएँ। घाटों के समीप आपातकालीन नौका एवं एम्बुलेंस सेवाएँ उपलब्ध रहें। नाविकों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए उन्हें लाइफ जैकेट, पंजीकरण टैग और निर्धारित रूट की जानकारी दी जाए।


 CM  योगी ने दीपोत्सव की तैयारियों की भी समीक्षा  की 
योगी ने नमो घाट, राजघाट, राजेन्द्र प्रसाद घटा, दशाश्वमेध घाट सहित सभी प्रमुख घाटों पर आयोजित होने वाले दीपोत्सव की तैयारियों की भी समीक्षा की और कहा कि वहाँ दीप सज्जा, पर्यटक सुविधाएँ और सुरक्षा उपाय उच्च स्तर पर किए जाएँ। उन्होंने कहा कि नाविक समुदाय काशी की परंपरा का अभिन्न हिस्सा है, उनका उत्साह और योगदान देव दीपावली की गरिमा को और बढ़ाता है। प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि उन्हें पर्याप्त सहयोग मिले और श्रद्धालुओं को सुरक्षित नौका सेवाएँ प्राप्त हों। 

ग्रीन फायरक्रैकर शो आयोजित किया जाएगा
बैठक में बताया गया कि चेत सिंह घाट पर 25 मिनट की प्रोजेक्शन सहित प्रतिदिन 03 बार लेज़र शो का आयोजन करने की योजना है। इसी तरह, काशी विश्वनाथ घाट और चेत सिंह घाट के बीच रेत की सैंड आटर् इंस्टॉलेशन लगाई जाएगी। ग्रीन आतिशबाजी, लेज़र शो और संगीत कार्यक्रम के साथ काशी विश्वनाथ धाम घाट के सामने 10 मिनट का ग्रीन फायरक्रैकर शो आयोजित किया जाएगा।

धर्माचार्यों की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित की जाए
मुख्यमंत्री ने कहा कि देव दीपावली का आयोजन‘क्लीन काशी, ग्रीन काशी, डिवाइन काशी'के भाव को साकार करने वाला हो। घाटों से लेकर गलियों तक स्वच्छता, सुगमता और प्रकाश व्यवस्था बनी रहे। उन्होंने यातायात प्रबंधन, पाकिर्ंग, बैरिकेडिंग, शटल सेवाओं, विद्युत आपूर्ति और चिकित्सा सेवाओं पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए ताकि किसी भी क्षेत्र में जाम या अव्यवस्था न हो। उन्होंने कहा कि गंगा तटों पर आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में स्थानीय कलाकारों, विद्यालयों, स्वयंसेवी संस्थाओं, महिला समूहों और धर्माचार्यों की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित की जाए। यह आयोजन जनसहयोग, सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बने। उन्होंने कहा कि काशी का यह पर्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आस्था, अनुशासन और आत्मबल का उत्सव है। काशी आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक यहाँ की पावनता, व्यवस्था और अनुशासन देखकर‘अतिथि देवो भव:'की भारतीय परंपरा को अनुभव करें।
 

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