Online Gaming बैन का असर: 9 दिन में ₹2500 करोड़ का UPI लेनदेन में आई गिरावट, गेमिंग कंपनियों को लगा बड़ा झटका

Edited By Updated: 08 Sep, 2025 12:16 PM

effect of online gaming ban upi transactions declined by 2500 crores in 9 days

केंद्र सरकार द्वारा रियल मनी गेमिंग पर लगाए गए प्रतिबंध का असर तुरंत दिखना शुरू हो गया है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के हालिया आंकड़ों के अनुसार, अगस्त के पहले 9 दिनों में ही गेमिंग सेक्टर में UPI लेनदेन में करीब ₹2500 करोड़ की भारी गिरावट...

नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार द्वारा रियल मनी गेमिंग पर लगाए गए प्रतिबंध का असर तुरंत दिखना शुरू हो गया है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के हालिया आंकड़ों के अनुसार, अगस्त के पहले 9 दिनों में ही गेमिंग सेक्टर में UPI लेनदेन में करीब ₹2500 करोड़ की भारी गिरावट दर्ज की गई है। जुलाई में जहाँ इस सेक्टर में ₹10,076 करोड़ से अधिक का लेनदेन हुआ था, वहीं अगस्त की शुरुआत में यह घटकर ₹7,441 करोड़ पर आ गया। यह सीधे तौर पर 25% की गिरावट है।

'रियल मनी गेमिंग' से होती थी बंपर कमाई
विशेषज्ञों का कहना है कि ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री में असली कमाई सिर्फ रियल मनी गेमिंग से ही होती थी। ई-स्पोर्ट्स या सोशल गेमिंग से होने वाली कमाई काफी कम है। NPCI के अनुसार, हर महीने RMG के जरिए ₹10,000 करोड़ से ज्यादा का लेनदेन होता था, जिसका सालाना कारोबार लगभग ₹1.2 लाख करोड़ तक पहुँच गया था। प्रतिबंध के बाद, ज्यादातर कंपनियों ने RMG गेम्स बंद कर दिए हैं और अब वे ई-स्पोर्ट्स पर फोकस कर रही हैं। इस दौरान कई कंपनियों ने कर्मचारियों की छंटनी भी की है।

पेमेंट प्लेटफॉर्म पर असर मामूली
भले ही गेमिंग कंपनियों को बड़ा झटका लगा हो, लेकिन UPI जैसे बड़े पेमेंट प्लेटफॉर्म पर इसका असर मामूली है। UPI हर महीने करीब ₹25 लाख करोड़ का लेनदेन करता है, जिसमें गेमिंग कैटेगरी का हिस्सा कुल मूल्य का केवल 0.5% है। हालाँकि, आईपीएल जैसे बड़े आयोजनों के दौरान यह हिस्सा 2.5% तक पहुँच जाता था।

विदेशी वेबसाइटों का खतरा
इस प्रतिबंध के बाद एक बड़ा खतरा यह है कि भारतीय यूजर्स अब विदेशी सट्टेबाजी वेबसाइटों का रुख कर सकते हैं, जो अक्सर अपनी पहचान छिपाकर काम करती हैं। हालाँकि, सरकार ने बैंकों और पेमेंट कंपनियों को ऐसे लेनदेन पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए हैं। कानून के मुताबिक, अब इन प्लेटफॉर्म्स पर काम करने वाले, विज्ञापन देने वाले, या आर्थिक मदद देने वाले सभी लोगों पर कार्रवाई हो सकती है। यह अपराध गैर-जमानती है और इसमें 3 साल तक की जेल और ₹1 करोड़ तक का जुर्माना हो सकता है।

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