सिखों को बदनाम करने की साजिश का पर्दाफाश, खालिस्तानी एजेंडे को हवा देने 80 सोशल मीडिया खाते सस्पेंड

Edited By Tanuja,Updated: 25 Nov, 2021 01:06 PM

farm laws sikhs being targeted by fake social media profiles

सोशल मीडिया पर सिखों व किसान आंदोलन को बदनाम करने की साजिश का पर्दाफाश हुआ है। खुद को सिख धर्म के समर्थक बता कर ...

लंदनः सोशल मीडिया पर सिखों व  किसान आंदोलन  को बदनाम करने की साजिश का पर्दाफाश हुआ है।  खुद को सिख धर्म के समर्थक बता कर खालिस्तानी एजेंडे को हवा देने वाले  लगभग  80  जाली सोशल मीडिया खातों का खुलासा हुआ है।   एक रिपोर्ट में इस नेटवर्क में शामिल 80 अकाउंट्स की जानकारी दी गई है, जिन्हें अब सस्पेंड कर दिया गया है । इस अभियान में 'हिंदू राष्ट्रवाद' और 'भारत सरकार समर्थित विचारधारा' को बढ़ावा देने के लिए ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम का इस्तेमाल किया गया था। इन फर्जी खातों में से कुछ में ब्रिटेन और कनाडा में रहने वाले सिखों द्वारा खलिस्तान के समर्थन की भी बात कही गई।

 

रिपोर्ट के मुताबिक इन अकाउंट्स की ओर से यह भी कहा गया कि खलिस्तान आतंकियों द्वारा किसान आंदोलन को कैप्चर कर लिया गया है। आंदोलन किसानों का न होकर खलिस्तान का हो गया है। रिपोर्ट के लेखक बेंजामिन स्ट्रिक के अनुसार इस नेटवर्क का उद्देश्य 'सिख स्वतंत्रता, मानवाधिकारों और मूल्यों से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर धारणाओं को बदलना' प्रतीत होता है। हालांकि इस नेटवर्क के भारत सरकार से संबंधित होने का कोई सबूत नहीं मिला है। नेटवर्क ने 'पपेट' अकाउंट का इस्तेमाल किया, जो फेक थे और असली लोग उनका इस्तेमाल करते थे।

 

फर्जी प्रोफाइल में सिख नामों का इस्तेमाल किया गया और 'असली सिख' होने का दावा किया गया।  उन्होंने बढ़ावा देने के लिए हैशटैग #RealSikh और बदनाम करने के लिए #FakeSikh का इस्तेमाल किया। यह रिपोर्ट गैर-लाभकारी संगठन सेंटर फॉर इंफॉर्मेशन रेजिलिएंस (CIR) ने तैयार की है। इसमें पाया गया कि नेटवर्क के कई अकाउंट्स ने अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर एक ही फेक प्रोफाइल का इस्तेमाल किया। इन अकाउंट्स के नाम, प्रोफाइल फोटो और कवर फोटो एक जैसे थे और इनसे एक जैसी पोस्ट पब्लिश की गई थी।कई अकाउंट्स में पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री की ऐक्सट्रेस सहित मशहूर हस्तियों की प्रोफाइल फोटो का उपयोग किया गया है।

 

शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के विरोध के एक साल बाद तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा की थी। इस नेटवर्क ने लगभग एक साल से चल रहे किसान आंदोलन और 'खालिस्तान स्वतंत्रता आंदोलन' को टारगेट किया था। रिपोर्ट के अनुसार अकाउंट्स ने सिख स्वतंत्रता की विचारधारा को चरमपंथ के रूप में लेबल करने की मांग की और दावा किया कि किसानों के विरोध प्रदर्शन को 'खालिस्तानी आतंकवादियों' ने कैप्चर कर लिया है।

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