Edited By Parveen Kumar,Updated: 12 Sep, 2025 08:09 PM

जितिया व्रत 14 सितंबर 2025 को मनाया जाएगा। यह व्रत तीन दिन चलता है, जो नहाय-खाय से शुरू होता है और तीसरे दिन इसका पारण होता है। माताएं यह व्रत अपने बच्चों की लंबी उम्र, खुशहाली और उज्जवल भविष्य के लिए कठोर तपस्या के रूप में करती हैं। ये व्रत साल में...
नेशनल डेस्क: जितिया व्रत 14 सितंबर 2025 को मनाया जाएगा। यह व्रत तीन दिन चलता है, जो नहाय-खाय से शुरू होता है और तीसरे दिन इसका पारण होता है। माताएं यह व्रत अपने बच्चों की लंबी उम्र, खुशहाली और उज्जवल भविष्य के लिए कठोर तपस्या के रूप में करती हैं। ये व्रत साल में एक ही बार आता है। अधिकांश व्रतों में तामसिक भोजन (जैसे मांसाहार, प्याज, लहसुन) से परहेज होता है, लेकिन जितिया व्रत से पहले खासतौर पर मछली खाने की परंपरा प्रचलित है। आइए जानते हैं इसके पीछे क्या वजह है।
मछली खाने की परंपरा का कारण
कई समुदायों में मछली को शुभता, समृद्धि और उर्वरता का प्रतीक माना जाता है। जितिया व्रत कठिन होने के कारण माना जाता है कि इससे पहले मछली खाने से शरीर में ताकत बनी रहती है और व्रत सफलता से पूरा होता है। मछली प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। इसलिए व्रत से पहले मछली खाने से शरीर को पोषण और ऊर्जा मिलती है, जिससे व्रती लंबे समय तक व्रत रख पाती हैं।
शाकाहारी व्रती क्या खाती हैं?
जो महिलाएं मांसाहारी नहीं हैं, वे जितिया व्रत से पहले कर्मी और नोनी का साग खाती हैं। इसे मछली के बराबर पौष्टिक माना जाता है और इससे उन्हें व्रत के दौरान सहनशक्ति मिलती है।