Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Sep, 2019 08:34 AM
अनादिकाल से ही साधक भगवान श्री गणपति का विभिन्न वेदमंत्रों से पूजन करते चले आए हैं और भगवान गणपति की कृपा से उनके सभी कार्य निर्विघ्न सानंद सफल होते रहे हैं। विघ्ननाशक गणेश जी साक्षात परब्रह्म हैं,
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अनादिकाल से ही साधक भगवान श्री गणपति का विभिन्न वेदमंत्रों से पूजन करते चले आए हैं और भगवान गणपति की कृपा से उनके सभी कार्य निर्विघ्न सानंद सफल होते रहे हैं। विघ्ननाशक गणेश जी साक्षात परब्रह्म हैं, भले ही किसी के इष्टदेव भगवान विष्णु हों या भगवान शंकर या दुर्गा, मां गंगा लेकिन इन सभी देवताओं की उपासना की निर्विघ्न संपन्नता के लिए विघ्न विनाशक गणेश जी का सर्वप्रथम स्मरण परमावश्यक है।
श्रीगणेश जी की पूजा आराधना अनादि काल से ही चली आ रही है। समय-समय पर भगवान शिव, ब्रह्मा, विष्णु आदि अन्य देवताओं ने गणेश जी की आराधना की है और इसका मुख्य कारण यह है कि गणेश जी की यह बड़ी अद्भुत विशेषता है कि उनका स्मरण करते ही सब विघ्न बाधाएं दूर हो जाती हैं और सब कार्य निर्विघ्न पूर्ण हो जाते हैं, लेकिन श्रीगणेश जी की पूजा अर्चना पद्धति के आधार पर करने से ही हमें फल प्राप्ति होती है। इहलौकिक एवं पारलौकिक सभी कार्यों की निर्विघ्न और सानंद संपन्नता का एकमात्र उपाय भगवान श्रीगणेश जी की पूजा ही रही है। पूजन की प्राचीनता समस्त शुभ कार्यों के प्रारंभ में श्रीगणेश जी का अग्रपूजन हिंदू धर्म में सुप्रसिद्ध और सर्वमान्य है।
त्वं ब्रह्मा त्वं विष्णुस्त्वं रुद्र:।
पूजन की महत्ता- गणेश जी हिंदुओं के प्राणाधार हैं। जन्म से लेकर मरणोपर्यंत हमारा उनसे अखंड संबंध बना रहता है। प्रत्येक कार्य के आरंभ में श्रीगणेश जी का स्मरण करना आवश्यक है, कोई भी शुभ कार्य प्रारंभ करते समय, कोई ग्रंथ लिखते समय सर्वप्रथम श्रीगणेशाय नम: लिखा जाता है। किसी भी देवी-देवता की पूजा करते समय अथवा यज्ञ करते समय सबसे पहले यदि श्रीगणेश पूजन नहीं किया गया तो विभिन्न प्रकार की बाधाएं आ जाती हैं।
दानपुण्य करने से पूर्व भी भगवान श्रीगणेश का स्मरण अनिवार्य रूप से करना चाहिए। विवाह समारोह, गृह निर्माणादि व्यवसाय आरंभ करने से पूर्व श्रीगणेश जी की पूजा होती है। भारत की प्राचीन राजमहल, दुर्ग, विशाल देवी मंदिर अट्टालिकाओं आदि के मुख्य द्वार पर भगवान गणेश जी और लक्ष्मी जी का पूजन होता है। प्रत्येक धार्मिक और सामाजिक कार्य के लिए प्रारंभ में श्री गणेश पूजा अनिवार्य और पवित्र कृत्य है।
भगवान श्रीगणेश विघ्न विनाशक हैं एवं उनकी प्रसन्नता के अभाव में किसी भी कार्य की निर्विघ्न समाप्ति की इच्छा नहीं कर सकते। भले ही हमारे इष्ट देवता कोई भी क्यों न हों, लेकिन इन सभी देवी-देवताओं की उपासना की निर्विघ्न संपन्नता हेतु विघ्न विनाशक श्रीगणेश जी की आराधना एवं स्मरण किया जाता है। श्रीगणेश जी की यह विचित्र विशिष्टता है कि उनका स्मरण करते ही सब विघ्न-बाधाएं दूर हो जाती हैं और सब कार्य निर्विघ्न हो जाते हैं। लोक परलोक में सर्वत्र सफलता पाने का एक मात्र उपाय है कि कार्य प्रारंभ करने से पहले भगवान गणेश जी का स्मरण-पूजन अवश्य किया जाए। सुख शांति की कामना हो तो हमें श्रीगणेश जी का ही आश्रय लेना होगा, तभी जीव का कल्याण संभव है।