Edited By Tanuja,Updated: 11 Sep, 2025 02:01 PM

नेपाल में चल रहे राजनीतिक संकट और हिंसक प्रदर्शन के बीच अब देश की कमान पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की के हाथ में गई है। 73 वर्षीय कार्की नेपाल की पहली महिला
International Desk: नेपाल में चल रहे राजनीतिक संकट और हिंसक प्रदर्शन के बीच अब देश की कमान पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की के हाथ में गई है। 73 वर्षीय कार्की नेपाल की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री बनने जा रही हैं। यह फैसला खास तौर पर भारत के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि कार्की ने खुद कहा है कि भारत के साथ उनके रिश्ते भावनात्मक और गहरे हैं।सेना और नेताओं के बीच हुई बैठक में उनका नाम फाइनल हो चुका है। विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम नेपाल-भारत रिश्तों में नए ऊर्जा और सहयोग का संकेत है।
नेपाल से भारत के लिए स्पष्ट संदेश
नेपाल की कमान संभालने को तैयार अंतरिम PM सुशीला कार्की ने कहा “मैं भारत को दिल के बेहद करीब मानती हूं। PM मोदी जी के प्रति मेरी गहरी इज्जत है। उनका नेतृत्व प्रभावशाली और प्रेरणादायक है।” उन्होंने भरोसा दिलाया कि नेपाल और भारत के बीच दोस्ती और मजबूती से बढ़ेगी। उन्होंने एक कहावत का भी इस्तेमाल किया “जब रसोई में बर्तन इकट्ठे होते हैं, तो शोर तो होता ही है।”यानि दोनों देशों के बीच छोटे-मोटे मतभेद रह सकते हैं, लेकिन रणनीतिक और भावनात्मक रिश्तों पर असर नहीं पड़ेगा।
भारत से गहरा जुड़ाव
सुशीला कार्की का भारत से संबंध केवल राजनीतिक नहीं बल्कि व्यक्तिगत भी है। उन्होंने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) से राजनीतिक विज्ञान में मास्टर्स किया। गंगा किनारे हॉस्टल में बिताए गए दिन उनके लिए बेहद यादगार रहे। नेपाल के बिराटनगर में उनका घर भारत की सीमा से सिर्फ 25 मील दूर है। अक्सर सीमा पार भारत के बाजारों में जाना और वहां की संस्कृति का अनुभव करना उनकी दिनचर्या का हिस्सा था।विशेषज्ञ मानते हैं कि BHU और भारत के करीब रहने वाले अनुभव से उनकी नियुक्ति भारत के लिए सकारात्मक संकेत देती है।
नेपाल की राजनीति और भारत की भूमिका
पूर्व राजदूत रंजीत रे के मुताबिक, भारत हमेशा स्थिर और लोकतांत्रिक नेपाल का पक्षधर रहा है। ओली सरकार के चीन-केंद्रित रुख से भारत-नेपाल रिश्तों में तनाव था। अब कार्की के नेतृत्व में दोनों देशों के बीच राजनीतिक और आर्थिक सहयोग बढ़ने की संभावना है।विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को उम्मीद है कि कार्की की सरकार सीमा सुरक्षा, व्यापार और सांस्कृतिक सहयोग में भारत के साथ संतुलित दृष्टिकोण अपनाएगी।
कौन हैं सुशीला कार्की?
- नेपाल के सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को बिराटनगर, नेपाल में हुआ था।
- 1972 में उन्होंने बिराटनगर से स्नातक (Bachelor’s) पूरा किया ।
- 1975 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर (Master’s) डिग्री हासिल की।
- 1978 में उन्होंने त्रिभुवन विश्वविद्यालय, नेपाल से कानून की पढ़ाई पूरी की।
न्यायिक करियर
- 1979 में उन्होंने बिराटनगर में वकालत की शुरुआत की।
- 1985 में धरान के महेंद्र मल्टीपल कैंपस में सहायक अध्यापिका के रूप में भी कार्यरत रहीं।
- 2009 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में अस्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
- 2010 में वे स्थायी न्यायाधीश बनीं।
- 016 में कुछ समय के लिए वे कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रहीं।
- 1 जुलाई 2016 से 6 जून 2017 तक उन्होंने नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद संभाला।
सख्त रवैया और विरोध
- सुशीला कार्की के सख़्त और निष्पक्ष रवैये के कारण उन्हें कई विरोधों का सामना करना पड़ा।
- अप्रैल 2017 में उस समय की सरकार ने संसद में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव रखा।
- रोप लगाया गया कि उन्होंने पक्षपात किया और सरकार के काम में दखल दिया ।
- जाँच पूरी होने तक उन्हें मुख्य न्यायाधीश के पद से निलंबित कर दिया गया।
- जनता और न्यायपालिका ने उनके समर्थन में आवाज़ उठाई, जिससे संसद को कुछ ही हफ़्तों में प्रस्ताव वापस लेना पड़ा।
- इस घटना ने उन्हें एक ऐसी न्यायाधीश के रूप में स्थापित किया, जो सत्ता के दबाव में नहीं झुकती।
भारत-नेपाल रिश्तों में नया दौर
नेपाल की राजनीतिक स्थिरता और सुशीला कार्की का भारत के प्रति सकारात्मक रुख दोनों देशों के बीच व्यापार, ऊर्जा और सांस्कृतिक सहयोग के नए अवसर खोल सकते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह नेपाल में लोकतांत्रिक स्थिरता के साथ-साथ भारत की रणनीतिक रुचियों के लिए भी फायदे का संकेत है।