Edited By Mansa Devi,Updated: 13 Sep, 2025 11:57 AM

हाल ही में खुदरा महंगाई के आंकड़े थोड़ी चिंता बढ़ा रहे हैं। अगस्त में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 2.07% पर आ गई है। हालांकि, सरकार ने जीएसटी दरों में कटौती की है और अब सबकी निगाहें भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) पर टिकी हैं कि क्या वह ब्याज दरों में कटौती कर आम...
नेशनल डेस्क: हाल ही में खुदरा महंगाई के आंकड़े थोड़ी चिंता बढ़ा रहे हैं। अगस्त में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 2.07% पर आ गई है। हालांकि, सरकार ने जीएसटी दरों में कटौती की है और अब सबकी निगाहें भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) पर टिकी हैं कि क्या वह ब्याज दरों में कटौती कर आम आदमी को राहत देगा।
महंगाई और GST कटौती का समीकरण
एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर कंपनियाँ हालिया GST कटौती का फायदा ग्राहकों तक पहुँचाती हैं, तो महंगाई में कमी आ सकती है। HSBC की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अगर ऐसा होता है, तो आरबीआई इस साल की चौथी तिमाही में रेपो रेट में 0.25% की और कटौती कर सकता है, जिससे रेपो रेट 5.25% हो जाएगा।
कम महंगाई: अगर GST कटौती का पूरा लाभ ग्राहकों को दिया जाता है, तो खुदरा महंगाई 1% तक घट सकती है।
EMI पर असर: रेपो रेट में कटौती से सीधे तौर पर लोन की EMI कम हो जाएगी, जिससे आम आदमी की जेब का बोझ हल्का होगा।
खपत बढ़ाने पर जोर
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जीएसटी कटौती से सरकार को राजस्व का नुकसान होगा, लेकिन खपत बढ़ने से GDP ग्रोथ में 0.2% की बढ़ोतरी हो सकती है। अगर आरबीआई रेपो रेट घटाता है, तो लोगों के पास खर्च करने के लिए ज्यादा पैसा होगा, जिससे बाजार में खपत बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
HSBC की रिपोर्ट के मुताबिक, जीएसटी कटौती, आयकर कटौती और रेपो रेट में संभावित कमी को मिला दें तो कुल खपत में GDP का 0.6% तक का इजाफा हो सकता है।
पहले भी हो चुकी है कटौती
गौरतलब है कि आरबीआई ने अगस्त की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट को 5.5% पर स्थिर रखा था। हालांकि, इससे पहले जून में केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 0.50% की बड़ी कटौती की थी। यह लगातार तीसरी बार था जब रेपो रेट घटाया गया था।