Shri Krishna: क्या आपको पता है भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु कैसे हुई थी? एक श्राप से उजड़ गया पूरा...

Edited By Updated: 25 Nov, 2025 01:08 AM

how did lord krishna die was it a conspiracy or a curse

श्रीकृष्ण की लीलाओं से हम सभी परिचित हैं- माखन चोरी, कंस वध, गोपियों संग रास और जन्म के चमत्कार तक। लेकिन जब बात आती है उनकी मृत्यु की, तो यह प्रसंग आज भी रहस्य और रोमांच से भरा हुआ माना जाता है। क्या कृष्ण को श्राप मिला था? क्या किसी ने उन्हें...

 नेशनल डेस्क: श्रीकृष्ण की लीलाओं से हम सभी परिचित हैं- माखन चोरी, कंस वध, गोपियों संग रास और जन्म के चमत्कार तक। लेकिन जब बात आती है उनकी मृत्यु की, तो यह प्रसंग आज भी रहस्य और रोमांच से भरा हुआ माना जाता है। क्या कृष्ण को श्राप मिला था? क्या किसी ने उन्हें मारा? या यह स्वयं भगवान की इच्छा मृत्यु थी? आइए जानते हैं महाभारत के बाद घटी घटनाओं की वह श्रृंखला जिसने यदुवंश और श्रीकृष्ण- दोनों के अंत को जन्म दिया।

गांधारी का श्राप… और यदुवंश का विनाश

महाभारत युद्ध समाप्त होने के बाद श्रीकृष्ण पांडवों के साथ गांधारी और धृतराष्ट्र से मिलने पहुंचे। अपने पुत्र दुर्योधन के शव को देखकर व्यथित गांधारी ने इस विनाश के लिए श्रीकृष्ण को जिम्मेदार ठहराया। उसने कहा कि यदि कृष्ण चाहते, तो अपनी शक्ति से इस दुखद घटना को रोक सकते थे। क्रोध और पीड़ा में डूबी गांधारी ने कृष्ण को श्राप दिया- जैसे उसके कुल का विनाश हुआ, वैसे ही ठीक 36 वर्षों बाद कृष्ण का यदुवंश भी नष्ट हो जाएगा। समय बीता… और आश्चर्यजनक रूप से श्राप के 36 साल बाद वही हुआ।

सांब की शरारत जिसने रच दिया विनाश

कथाओं के अनुसार एक दिन ऋषि दुर्वासा, विश्वामित्र, वशिष्ठ और नारद द्वारका आए। तभी कृष्ण के पुत्र सांब ने स्त्री वेश धारण कर गर्भवती होने का ढोंग किया और ऋषियों से गर्भ में पल रहे शिशु का लिंग पूछ लिया। ऋषियों का अपमान देखकर उनमें से एक ने क्रोधित होकर श्राप दे दिया- सांब एक लोहे के तीर को जन्म देगा, जो यदुवंश के विनाश का कारण बनेगा। श्राप से बचने के प्रयास में लोहे को चूर्ण बनाकर समुद्र में बहा दिया गया, लेकिन नियति अपनी राह तय कर चुकी थी।

द्वारका में बढ़ता पाप… और यदुवंश का अंत

श्राप के बाद द्वारका में अशुभ संकेत दिखने लगे-

  • सुदर्शन चक्र का अदृश्य हो जाना
  • कृष्ण का शंख, रथ और बलराम का हल गायब होना
  • नगर में अपराध, द्वेष और कलह का बढ़ना

कृष्ण ने अपने लोगों को पापों के प्रायश्चित के लिए प्रभास क्षेत्र ले जाने का निर्देश दिया, लेकिन वहां शराब और क्रोध में अंधे यादव आपस में ही लड़ पड़े। लोहे की वही धूल जमीन में उग आए घातक तिनकों का रूप लेकर हथियार बन गई और यदुवंशियों ने उन्हीं से एक-दूसरे का संहार कर दिया। इस प्रकार संपूर्ण यादव कुल समाप्त हो गया।

कृष्ण की मृत्यु- पूर्व जन्म का प्रतिफल

यदुवंश के विनाश के बाद कृष्ण एक वृक्ष के नीचे योगनिद्रा में बैठ गए। तभी जरा नाम का शिकारी उन्हें हिरण समझकर तीर चला देता है। गलती का एहसास होने पर वह क्षमा मांगता है। कृष्ण मुस्कुराते हुए कहते हैं- “यह होना निश्चित था।” उन्होंने बताया कि त्रेतायुग में राम रूप में उन्होंने बाली का वध छिपकर किया था। जरा उसी बाली का पुनर्जन्म था, और यह तीर उसी कर्म का परिणाम था। श्रीकृष्ण ने शांत भाव से अपने शरीर का त्याग कर दिया।

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