Edited By Tanuja,Updated: 18 Nov, 2025 04:28 PM

भारत-पाकिस्तान सीमा तनाव के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने सुरक्षा हालात की उच्चस्तरीय समीक्षा की। सेना, NSA और तीनों सेवा प्रमुखों के साथ बैठक में घुसपैठ, ड्रोन गतिविधि और आतंकवादी खतरे पर चर्चा हुई। भारतीय सेना हाई अलर्ट पर है और सरकार ने किसी भी उकसावे...
International Desk:भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने एक सख्त और स्पष्ट संदेश दिया है ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ ट्रेलर था, असली फिल्म अभी शुरू भी नहीं हुई। पाकिस्तान की ओर से आए उकसावे और सीमा पर बढ़ती गतिविधियों के बीच सेना प्रमुख का यह बयान भारत की रणनीतिक स्थिति और तैयारियों की झलक है।
अब पूरा जवाब मिलेगा
जनरल द्विवेदी ने कहा, “हमने ट्रेलर दिखाया था जो 88 घंटे में खत्म हो गया। अगर पाकिस्तान हमें फिर मौका देगा, तो हम उसे बताएंगे कि एक जिम्मेदार राष्ट्र को अपने पड़ोसियों से कैसे व्यवहार करना चाहिए।” यह टिप्पणी स्पष्ट करती है कि भारत ना सिर्फ आक्रामक है बल्कि संभावित युद्ध के लिए भी तैयार है।
पाकिस्तान को दो टूक
जनरल द्विवेदी ने बिना नाम लिए पाकिस्तान और उसके समर्थकों को चेताया कि भारत अब किसी ब्लैकमेल या दबाव की राजनीति से डरने वाला नहीं है। उन्होंने कहा, “हमारे पास अगर कोई चेतावनी आती है तो हमें पता है जवाब कहाँ देना है… जो भी आतंकवादियों की मदद करेगा, उसे कठोर जवाब मिलेगा।”
फैसले की गति होगी युद्ध की कुंजी
सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर से ये सीख मिली कि युद्ध में निर्णय लेने का समय बेहद कम होता है। “ऊपर से आदेश नीचे तक आने की प्रक्रिया पुरानी हो चुकी है। हर स्तर पर त्वरित निर्णय लेने की संस्कृति विकसित करनी होगी।” भारत इस समय लड़ाई के चार महीनों से लेकर चार साल तक चलने की संभावनाओं पर तैयारी कर रहा है।
‘जो रोड़ा अटकाएगा... उसको निपटाएंगे’
आगामी चाणक्य डिफेंस डायलॉग (27-28 नवंबर) से पहले जनरल द्विवेदी ने साफ कहा कि भारत का नया सामान्य (New Normal) आतंकवादियों और उनके आकाओं के लिए बहुत मुश्किल होगा। उन्होंने कहा, “पानी और खून साथ नहीं बह सकते। अगर शांति चाहते हैं तो आतंकवाद बंद होना चाहिए। जो भी इसमें रोड़ा अटकाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।”
कश्मीर में आतंक खत्म होने की राह पर
जनरल द्विवेदी ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में अब स्थिति काफी बदली है। “इस साल 31 आतंकवादी मारे गए, जिनमें 61% पाकिस्तानी थे। 370 हटने के बाद पत्थरबाज़ी, बंद, नारेबाज़ी जैसी घटनाएँ कम हुई हैं और आतंकवाद घटा है।”