अगर आप भी UPI से रोजाना पेमेंट करते हैं तो मिल सकता है टैक्स नोटिस! बचने के लिए करें ये काम

Edited By Updated: 04 Aug, 2025 11:59 PM

if you also make daily payments through upi you may get a tax notice

चाय, सब्जी या घरेलू सेवाओं के लिए हम रोज़ाना पेटीएम, गूगल पे या फोनपे जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म से भुगतान करते हैं। ₹100-₹200 के ये लेन-देन हमें मामूली लग सकते हैं, लेकिन अगर ये नियमित तौर पर हो रहे हैं, तो साल के अंत तक इनका आंकड़ा लाखों तक पहुंच सकता...

नेशनल डेस्क: चाय, सब्जी या घरेलू सेवाओं के लिए हम रोज़ाना पेटीएम, गूगल पे या फोनपे जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म से भुगतान करते हैं। ₹100-₹200 के ये लेन-देन हमें मामूली लग सकते हैं, लेकिन अगर ये नियमित तौर पर हो रहे हैं, तो साल के अंत तक इनका आंकड़ा लाखों तक पहुंच सकता है- और यही बन सकता है आयकर विभाग की जांच का आधार।

₹400 रोज़ भेजे, तो साल में ₹1 लाख से ज़्यादा

मान लीजिए आप हर दिन किसी को ₹400 ट्रांसफर करते हैं, तो महीने में ये ₹12,000 और सालभर में ₹1.44 लाख तक पहुंच सकता है। अगर यह भुगतान किसी सेवा के बदले हो रहा है — जैसे ट्यूशन, फ्रीलांस प्रोजेक्ट या घरेलू काम- तो इसे आय (Income) माना जा सकता है। ऐसी स्थिति में ITR (आयकर रिटर्न) में इसका ज़िक्र करना जरूरी है।

आयकर विभाग ट्रांजेक्शन के पैटर्न पर रखता है नज़र

आयकर विभाग सिर्फ बड़े अमाउंट के ट्रांजेक्शन नहीं, बल्कि उनके पैटर्न पर भी ध्यान देता है। अगर किसी खाते में लगातार एक समान अमाउंट आ रहा है या भेजा जा रहा है, तो यह सेवा या व्यापार से जुड़ा लेन-देन हो सकता है। ऐसे में विभाग यह जांच सकता है कि ये पैसे कहां से और किस उद्देश्य से आ रहे हैं।

NPCI और बैंक से मिल सकता है डेटा

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) और बैंकिंग सिस्टम के जरिए यह जानकारी आयकर विभाग तक पहुंच सकती है। इससे यह पता लगाया जा सकता है कि किस व्यक्ति के खाते में कितनी बार, कितना और किस माध्यम से पैसा आ रहा है।

कौन-से लेन-देन पर टैक्स नहीं बनता?

अगर आपकी कुल सालाना आय टैक्स स्लैब से नीचे है, तो फिर चिंता की बात नहीं है- खासकर जब यह पैसा खर्च के रूप में गया हो, जैसे दूध, सब्जी, किराना या घरेलू सामानों की खरीद में। लेकिन अगर आप डिजिटल माध्यम से सेवा के बदले पैसे ले रहे हैं, जैसे ट्यूशन, मेहंदी लगाना, फ्रीलांसिंग या अन्य कोई छोटा कारोबार, और इससे होने वाली आय टैक्स सीमा से ऊपर चली जाती है, तो आपको यह ITR में ज़रूर शामिल करना होगा।

ITR में ईमानदारी से जानकारी दें

डिजिटल इंडिया ने हमें तेज और आसान भुगतान की सुविधा दी है, लेकिन इसके साथ जवाबदेही भी बढ़ी है। आयकर विभाग अब केवल करोड़ों की ट्रांजेक्शन नहीं, बल्कि छोटे, नियमित ट्रांजेक्शन को भी ट्रैक करता है। इसलिए अगर आप किसी से गूगल पे, पेटीएम या अन्य ऐप से भुगतान ले रहे हैं, तो उसे सही तरीके से दिखाना और ITR में दर्ज करना आपकी ज़िम्मेदारी है।

भविष्य में परेशानियों से बचना है तो...

डिजिटल लेन-देन में पारदर्शिता बेहद ज़रूरी है। यदि आपने समय रहते अपनी आय का सही खुलासा कर दिया, तो आपको नोटिस या पेनल्टी जैसी दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। टैक्स नियम अब डेटा-संचालित हो चुके हैं, ऐसे में पारदर्शिता ही सबसे अच्छा उपाय है।

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