Rupee/Dollar: अगर ₹1 = $1 के बराबर हो जाए तो 80 हज़ार वाला iPhone भारत में कितने का मिलेगा?

Edited By Updated: 15 Dec, 2025 02:39 PM

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भारतीय रुपया भले ही आज डॉलर के मुकाबले कमजोर चल रहा हो, लेकिन अगर तस्वीर एकदम उलट जाए और ₹1 की कीमत $1 के बराबर पहुंच जाए, तो देश की अर्थव्यवस्था से लेकर आम लोगों की जिंदगी तक सब कुछ बदल सकता है। सबसे बड़ा सवाल यही होगा कि iPhone जैसे महंगे...

नेशनल डेस्क: भारतीय रुपया भले ही आज डॉलर के मुकाबले कमजोर चल रहा हो, लेकिन अगर तस्वीर एकदम उलट जाए और ₹1 की कीमत $1 के बराबर पहुंच जाए, तो देश की अर्थव्यवस्था से लेकर आम लोगों की जिंदगी तक सब कुछ बदल सकता है। सबसे बड़ा सवाल यही होगा कि iPhone जैसे महंगे स्मार्टफोन कितने सस्ते हो जाएंगे और इसके अलावा इंपोर्ट, एक्सपोर्ट, नौकरियां और निवेश पर क्या असर पड़ेगा। आइए समझते हैं कि रुपये की यह ऐतिहासिक मजबूती भारत के लिए कितनी फायदेमंद और कितनी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है।

बता दें कि 15 दिसंबर को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 90.63 के अब तक के सबसे कमजोर स्तर तक फिसल गया।  

iPhone बन जाएगा आम मोबाइल?

अगर कभी ऐसा हो जाए कि रुपया और डॉलर एक-दूसरे के बराबर पहुंच जाएं, तो भारत में बिकने वाले iPhone की कीमतों में जबरदस्त गिरावट देखने को मिलेगी। मान लीजिए अमेरिका में iPhone 17 की कीमत $799 है, तो उसी हिसाब से भारत में इसकी कीमत करीब ₹799 रह सकती है। यानी जो iPhone आज ₹70,000–₹80,000 में बिकता है, वह कुछ ही सैकड़ों रुपये में मिल सकता है। ऐसे में iPhone जैसी लग्ज़री डिवाइस आम लोगों के लिए भी आसानी से खरीदने लायक बन जाएगी।

इंपोर्ट अचानक बेहद सस्ते

रुपये की इस मजबूती से इंपोर्टेड सामान की कीमतें जमीन पर आ जाएंगी। कच्चा तेल बेहद सस्ते दामों पर आएगा, जिससे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बड़ी गिरावट संभव है।सोना, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, मेडिकल मशीनें, विमान और भारी औद्योगिक उपकरण भी काफी सस्ते हो जाएंगे। इसके साथ ही विदेश में पढ़ाई, इंटरनेशनल ट्रैवल और विदेशी शॉपिंग का खर्च भी काफी कम हो जाएगा।

एक्सपोर्ट सेक्टर को सबसे बड़ा झटका

जहां इंपोर्ट को फायदा मिलेगा, वहीं एक्सपोर्ट पूरी तरह संकट में आ जाएगा। भारतीय उत्पाद विदेशी बाजारों में अचानक बहुत महंगे हो जाएंगे, जिससे वे प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पाएंगे। टेक्सटाइल, फार्मा, ऑटो पार्ट्स, कृषि उत्पाद और हस्तशिल्प जैसे सेक्टरों के लिए खरीदार ढूंढना मुश्किल हो जाएगा। कई एक्सपोर्ट-आधारित उद्योग या तो बंद हो सकते हैं या बहुत धीमी रफ्तार से काम करेंगे। इसका सीधा असर व्यापार घाटे पर पड़ेगा, जो तेजी से बढ़ सकता है।

नौकरियों और निवेश पर भारी असर

भारत का IT और Service Sector, जो डॉलर में कमाता है और खर्च रुपये में करता है, उसे बड़ा नुकसान होगा। लागत का फायदा खत्म होने से कई वैश्विक कंपनियां अपने ऑपरेशन दूसरे सस्ते देशों में शिफ्ट कर सकती हैं। भारत, जो अभी तक कम लागत वाला Investment Destination माना जाता है, अचानक महंगा हो जाएगा। इससे विदेशी निवेश घटेगा, पोर्टफोलियो निवेशक पैसा निकाल सकते हैं और कुल पूंजी प्रवाह कमजोर पड़ सकता है।

आम लोगों की जेब पर क्या असर?

कुछ कंपनियों और लोगों को फायदा भी होगा। जिन पर डॉलर में कर्ज है, वे उसे सस्ते में चुका पाएंगे। इंपोर्टेड लग्ज़री सामान की खरीद बढ़ेगी। लेकिन दूसरी ओर, बेरोजगारी बढ़ने और घरेलू उद्योगों के सिकुड़ने से आम लोगों की आर्थिक सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। समय के साथ आय में बढ़ोतरी धीमी होगी और असमानता बढ़ने का खतरा रहेगा।

 

 

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