गोवा में स्वास्थ्य मंत्री ने डॉक्टर को हटाया, CM ने कर दिया बहाल, जानें पूरा मामला

Edited By Parveen Kumar,Updated: 08 Jun, 2025 11:16 PM

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गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने चिकित्सा पेशेवरों और विपक्षी दलों की तीखी प्रतिक्रिया के बीच रविवार को कहा कि मरीजों के साथ दुर्व्यवहार करने के आरोपी राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निलंबित नहीं किया जाएगा।

नेशनल डेस्क: गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने चिकित्सा पेशेवरों और विपक्षी दलों की तीखी प्रतिक्रिया के बीच रविवार को कहा कि मरीजों के साथ दुर्व्यवहार करने के आरोपी राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निलंबित नहीं किया जाएगा। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने एक सरकारी अस्पताल के चिकित्सक को निलंबित करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि उसने एक मरीज के साथ ‘‘उचित व्यवहार नहीं किया'' था।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की गोवा शाखा ने मंत्री की कार्रवाई की निंदा की और अधिकारियों से तत्काल निलंबन रद्द करने तथा निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करते हुए चिकित्सक को बहाल करने की अपील की। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप) और रिवोल्यूशनरी गोअन्स पार्टी सहित विपक्षी दलों ने राणे के व्यवहार की निंदा की थी। सरकार के सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि मुख्यमंत्री ने राणे को इस मुद्दे पर रविवार को पणजी में बैठक के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने बताया कि बैठक के बाद एक बयान जारी किया गया कि निष्पक्ष जांच होने तक चिकित्सक को निलंबित नहीं किया जाएगा।

मुख्यमंत्री सावंत ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मैंने गोवा चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (जीएमसीएच) के मुद्दे की समीक्षा व स्वास्थ्य मंत्री के साथ चर्चा की। मैं गोवा के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि डॉ. रुद्रेश कुट्टीकर को निलंबित नहीं किया जाएगा।'' उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और उसकी समर्पित चिकित्सा टीम प्रत्येक नागरिक के लिए स्वास्थ्य सेवा के उच्चतम मानक सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। सावंत ने कहा, ‘‘हम अपने चिकित्सकों के अथक प्रयासों और अमूल्य सेवा की भी सराहना करते हैं, जो लगातार लोगों की जान बचा रहे हैं।''

मंत्री ने शनिवार को कहा कि वह उस मरीज के लिए खड़े होने के लिए माफी नहीं मांगेंगे, जिसका इलाज करने से इनकार कर दिया गया था। राणे ने कहा कि उन्होंने यह कार्रवाई एक वरिष्ठ पत्रकार की शिकायत के बाद की। मंत्री के मुताबिक, पत्रकार ने बताया था कि गोवा चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में चिकित्सक ने उनकी सास के साथ दुर्व्यवहार किया है। गोवा के बम्बोलिम में स्थित जीएमसीएच एक सरकारी अस्पताल है जिसमें 1,000 से अधिक बिस्तर हैं। यह गोवा के साथ-साथ महाराष्ट्र और कर्नाटक के आस-पास के इलाकों के मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करता है। मंत्री शनिवार को अस्पताल का औचक निरीक्षक करने के दौरान अपना आपा खो बैठे और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रुद्रेश कुट्टीकर को फटकार लगाई।

बाद में मंत्री ने चिकित्सक को निलंबित करने का आदेश दिया। उन्होंने बाद में शनिवार शाम संवाददाताओं से कहा, ‘‘हां, स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर मैंने हस्तक्षेप किया और मैं स्वीकार करता हूं कि मेरे लहजे और शब्दों में अधिक संयम हो सकता था। मैं आलोचना से परे नहीं हूं। मैंने जिस तरह से संवाद किया, उसकी पूरी जिम्मेदारी मैं लेता हूं और मैं आपको आश्वासन देता हूं कि ऐसा दोबारा नहीं होगा।'' मंत्री ने कहा, ‘‘हालांकि, मैं उस मरीज के साथ खड़ा होने के लिए माफी नहीं मांगूंगा।'' उन्होंने कहा कि समाज में चिकित्सकों का स्थान बहुत ऊंचा है और जीएमसीएच में अधिकांश चिकित्सक बहुत समर्पण के साथ काम करते हैं। राणे ने कहा,‘‘लेकिन जब कर्तव्य में अहंकार आने लगे और करुणा की जगह उदासीनता ले ले, तो कार्रवाई करना मेरी जिम्मेदारी है।''

मंत्री सोशल मीडिया पर तथा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा ड्यूटी पर तैनात सीएमओ (मुख्य चिकित्सा अधिकारी) को निलंबित करने के उनके कदम के खिलाफ की गई आलोचना पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ घंटों में गोवा चिकित्सा महाविद्यालय में हुई घटना और ड्यूटी पर मौजूद एक चिकित्सक के निलंबन के बारे में बहुत कुछ कहा और लिखा गया है।

मुझे लगता है कि इस पर सीधे तौर पर बात करना महत्वपूर्ण है, न केवल आपके स्वास्थ्य मंत्री के रूप में, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जो यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि किसी भी नागरिक को बुनियादी चिकित्सा देखभाल से वंचित न किया जाए, खासकर बुजुर्गों को, जो हमारे सर्वोच्च सम्मान और देखभाल के हकदार हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘मामले को और भी बदतर बनाने वाली बात यह थी कि उस समय आपातकालीन वार्ड में मरीजों की संख्या बहुत कम थी, फिर भी, सहानुभूति और देखभाल का एक छोटा सा कार्य भी नहीं किया गया। मुझे यह बात बहुत परेशान करने वाली लगी।'' 

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