Edited By Pardeep,Updated: 10 Aug, 2025 06:55 AM

भारत का मेट्रो नेटवर्क अब सिर्फ एक परिवहन साधन नहीं, बल्कि शहरी जीवन की रीढ़ बन चुका है। 2014 में जहां देश में केवल 5 शहरों में 248 किलोमीटर तक मेट्रो लाइन थी, वहीं मई 2025 तक यह नेटवर्क 23 शहरों में 1,013 किलोमीटर तक पहुंच चुका है। इस तेज रफ्तार...
नेशनल डेस्कः भारत का मेट्रो नेटवर्क अब सिर्फ एक परिवहन साधन नहीं, बल्कि शहरी जीवन की रीढ़ बन चुका है। 2014 में जहां देश में केवल 5 शहरों में 248 किलोमीटर तक मेट्रो लाइन थी, वहीं मई 2025 तक यह नेटवर्क 23 शहरों में 1,013 किलोमीटर तक पहुंच चुका है। इस तेज रफ्तार विकास ने भारत को दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क बना दिया है।
मेट्रो बना करोड़ों लोगों का भरोसेमंद सफर
मेट्रो के विस्तार का असर यात्री संख्या पर साफ नजर आ रहा है:
यह न सिर्फ सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को मजबूत कर रहा है, बल्कि ट्रैफिक जाम, कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण जैसी समस्याओं को भी कम करने में सहायक हो रहा है।
निर्माण की रफ्तार में ऐतिहासिक बढ़ोतरी
इसी अवधि में बजट आवंटन भी तेजी से बढ़ा है:
'मेक इन इंडिया' ने दिया आत्मनिर्भरता को बढ़ावा
भारत में मेट्रो निर्माण को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत सख्त दिशा-निर्देश लागू किए गए हैं:
75% मेट्रो कोच और 25% उपकरण भारत में बनाना अनिवार्य, BEML अब तक 2,000 से अधिक मेट्रो कोच देश में ही तैयार कर चुका है।
नीतिगत बदलावों ने खोले विकास के रास्ते
2017 में लागू हुई मेट्रो रेल नीति ने इस बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई:
कॉम्प्रिहेंसिव मोबिलिटी प्लान (CMP) और अर्बन मेट्रो ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (UMTA) का गठन अनिवार्य, EIRR कम से कम 14% अनिवार्य, ताकि परियोजनाएं आर्थिक रूप से व्यवहार्य हों, PPP मॉडल को बढ़ावा, जिससे निजी क्षेत्र की भागीदारी भी सुनिश्चित हो सके।
तकनीकी और पर्यावरणीय नवाचारों का संगम
भारत का मेट्रो नेटवर्क तकनीकी दृष्टि से भी अब वैश्विक मानकों पर खरा उतर रहा है:
1. अंडरवाटर मेट्रो
2. वॉटर मेट्रो
3. ग्रीन इनिशिएटिव्स
4. डिजिटल बदलाव
भविष्य की परियोजनाएं: मेट्रो का अगला चरण
निर्माणाधीन और प्रस्तावित प्रोजेक्ट्स:
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दिल्ली मेट्रो का एक्सटेंशन
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पुणे मेट्रो फेज 2
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बेंगलुरु मेट्रो फेज 3
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अहमदाबाद एयरपोर्ट मेट्रो लिंक
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24 शहरों में वॉटर मेट्रो परियोजनाएं प्रस्तावित
सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक मेट्रो नेटवर्क को और 1,000+ किलोमीटर तक विस्तार दिया जाए।
शहरी विकास की नई पहचान बनी मेट्रो
भारत का मेट्रो नेटवर्क अब केवल एक ट्रांसपोर्ट सिस्टम नहीं, बल्कि आधुनिक, स्वच्छ और टिकाऊ शहरी विकास का प्रतीक बन चुका है। यह:
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किफायती और समयबद्ध सफर सुनिश्चित करता है
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महिलाओं और बुजुर्गों के लिए सुरक्षित विकल्प बना है
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शहरी प्रदूषण और ट्रैफिक पर नियंत्रण में सहायक है