पाकिस्तान की आपत्तियों को किया नजरअंदाज, भारत ने शुरू की 22,000 करोड़ की सावलकोट योजना

Edited By Updated: 31 Jul, 2025 02:34 PM

india launches tender for long delayed sawalkot hydropower project

भारत ने एक बड़ा कदम उठाते हुए चिनाब नदी पर प्रस्तावित सावलकोट जलविद्युत परियोजना के लिए अंतरराष्ट्रीय निविदाएं जारी कर दी हैं। यह परियोजना पिछले 40 वर्षों से अटकी हुई थी, लेकिन अब केंद्र सरकार की सक्रियता और पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि के स्थगन...

नेशनल डेस्क: भारत ने एक बड़ा कदम उठाते हुए चिनाब नदी पर प्रस्तावित सावलकोट जलविद्युत परियोजना के लिए अंतरराष्ट्रीय निविदाएं जारी कर दी हैं। यह परियोजना पिछले 40 वर्षों से अटकी हुई थी, लेकिन अब केंद्र सरकार की सक्रियता और पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि के स्थगन का लाभ उठाते हुए इसे आगे बढ़ाया जा रहा है। इस ऐतिहासिक परियोजना का न केवल जम्मू-कश्मीर बल्कि पूरे देश की ऊर्जा जरूरतों पर बड़ा असर होगा।

साल 1984 में बनी योजना अब आई ज़मीन पर

सावलकोट परियोजना की पहली बार परिकल्पना 1984 में की गई थी और 1985 में इसे एनएचपीसी (राष्ट्रीय जलविद्युत निगम) को सौंपा गया था। लेकिन इसके बाद विभिन्न कारणों से यह योजना लगातार टलती रही। 1997 में यह परियोजना जम्मू-कश्मीर राज्य विद्युत विकास निगम (JKSPDC) को दी गई, जिसने करीब 430 करोड़ रुपये खर्च कर बुनियादी ढांचे की तैयारी की, लेकिन असली निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका।

क्या है सावलकोट परियोजना?

सावलकोट जलविद्युत परियोजना जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में चिनाब नदी पर स्थापित की जा रही है। यह एक रन-ऑफ-रिवर प्रकार की परियोजना है, जिसका मतलब है कि यह नदी के प्रवाह का उपयोग कर बिना बड़े बांध बनाए बिजली उत्पन्न करेगी। इस परियोजना की क्षमता 1856 मेगावाट है, जो इसे क्षेत्र की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं में से एक बनाती है। परियोजना का विकास दो चरणों में किया जाएगा और इसकी अनुमानित लागत लगभग ₹22,704.8 करोड़ है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत को चिनाब नदी के जल संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने में सक्षम बनाना है, खासकर तब जब पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि स्थगित है। इस परियोजना से न केवल ऊर्जा उत्पादन बढ़ेगा बल्कि जम्मू-कश्मीर और पूरे देश की ऊर्जा सुरक्षा भी मजबूत होगी।

क्यों हुई थी देरी?

सावलकोट परियोजना को वर्षों तक कई जटिलताओं के कारण लगातार देरी का सामना करना पड़ा। सबसे पहले, पाकिस्तान ने इस परियोजना के खिलाफ सिंधु जल संधि के तहत आपत्तियाँ दर्ज कीं जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह मामला उलझ गया। इसके अलावा, परियोजना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 13 गाँवों के विस्थापन और मुआवज़े को लेकर विवाद लंबे समय तक बना रहा। एक और बड़ी चुनौती थी रामबन में स्थित सेना के ट्रांजिट कैंप का स्थानांतरण, जो निर्माण में बाधा बनता रहा। साथ ही, परियोजना स्थल के अंतर्गत आने वाली 847 हेक्टेयर वन भूमि के उपयोग के लिए पर्यावरणीय मंजूरी और उचित मुआवज़े की प्रक्रिया भी काफी समय तक लंबित रही। इसके अलावा, जल उपकर (Water Cess) से जुड़े प्रशासनिक मसले भी प्रगति में अड़चन बने रहे। हालांकि, अब इन सभी बाधाओं का समाधान हो चुका है और परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए सभी आवश्यक मंजूरियाँ मिल चुकी हैं, जिससे यह ऐतिहासिक योजना आखिरकार जमीन पर उतरने के लिए तैयार हो चुकी है।

सरकार और स्थानीय नेतृत्व की भूमिका

रामबन के विधायक अर्जुन सिंह राजू ने इस परियोजना को "ऐतिहासिक क्षण" बताया और कहा कि यह देश की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक है। उन्होंने इसका श्रेय मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को दिया जिन्होंने इसके लिए लगातार प्रयास किए। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में बताया कि यह परियोजना 1980 के दशक से अटकी हुई थी और विभिन्न सरकारों के समय में प्रयास तो हुए लेकिन सफल नहीं हो सके। उन्होंने कहा कि अब उम्मीद है कि यह कार्य आखिरकार शुरू हो जाएगा।

वन भूमि को मिली मंजूरी और निविदा प्रक्रिया शुरू

इस महीने की शुरुआत में वन सलाहकार समिति (FAC) ने इस परियोजना के लिए 847 हेक्टेयर वन भूमि के हस्तांतरण को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी। इसके बाद एनएचपीसी ने 31 जुलाई को आधिकारिक तौर पर निविदाएं जारी कर दीं। परियोजना की योजना, डिजाइन और इंजीनियरिंग के लिए अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से बोलियां 10 सितंबर तक मांगी गई हैं।
सावलकोट परियोजना न सिर्फ एक ऊर्जा परियोजना है, बल्कि यह भारत की रणनीतिक नीति का भी हिस्सा है। 1960 की सिंधु जल संधि के अनुसार, व्यास, रावी और सतलुज नदियों का नियंत्रण भारत के पास और सिंधु, चिनाब और झेलम का नियंत्रण पाकिस्तान के पास है। हालांकि भारत को पश्चिमी नदियों (जैसे चिनाब) के जल का सीमित उपयोग बिजली उत्पादन जैसे कार्यों के लिए अनुमति दी गई है। अब जबकि भारत ने संधि को "स्थगित" रखा हुआ है, वह ऐसे प्रोजेक्ट्स को तेजी से आगे बढ़ाकर अपने जल अधिकारों का पूरा उपयोग कर सकता है।

Related Story

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!