Edited By Mehak,Updated: 24 Sep, 2025 11:25 AM

भारत का इकलौता सक्रिय ज्वालामुखी बैरन द्वीप एक बार फिर एक्टिव हो गया है। अंडमान सागर स्थित इस निर्जन टापू पर 13 और 20 सितंबर 2025 को दो हल्के विस्फोट दर्ज हुए, जिनसे लावा और धुआं निकला। इसके कारण अंडमान में 4.2 तीव्रता का भूकंप भी महसूस हुआ। हालांकि...
नेशनल डेस्क : भारत का इकलौता सक्रिय ज्वालामुखी बैरन द्वीप एक बार फिर एक्टिव हो गया है। अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के इस निर्जन टापू पर 13 और 20 सितंबर 2025 को हल्के विस्फोट दर्ज किए गए। दोनों बार लावा और धुएं के गुबार उठते दिखे। यह द्वीप पोर्ट ब्लेयर से लगभग 140 किलोमीटर की दूरी पर है। अच्छी बात यह है कि फिलहाल आसपास के इलाकों को कोई बड़ा खतरा नहीं है। हालांकि, इसकी गतिविधियों के चलते अंडमान में धरती कांपी और 4.2 तीव्रता का हल्का भूकंप जरूर महसूस किया गया।
बैरन द्वीप क्या है?
बैरन द्वीप अंडमान सागर में स्थित एक छोटा और निर्जन द्वीप है। यहां कोई इंसान नहीं रहता, केवल पक्षी और जंगली जीव पाए जाते हैं। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई करीब 354 मीटर है। यह भारत का इकलौता सक्रिय ज्वालामुखी है, जो बंगाल की खाड़ी के नीचे टेक्टॉनिक प्लेट्स के टकराव से बना है। वैज्ञानिक इसे पृथ्वी के अंदर की हलचल को समझने का एक महत्वपूर्ण केंद्र मानते हैं।
हाल की गतिविधियां
13 सितंबर को पहली बार ज्वालामुखी से राख और धुआं निकला। इसके बाद 20 सितंबर को फिर हल्का विस्फोट हुआ और लावा बहता नजर आया। दोनों घटनाओं को 'Strombolian type' के विस्फोट कहा गया है, जो हल्के लेकिन बार-बार होने वाले होते हैं। जुलाई 2025 में भी यहां गतिविधियां दर्ज की गई थीं। भारतीय नौसेना ने 20 सितंबर के विस्फोट का वीडियो भी रिकॉर्ड किया, जिसमें लावा की नदी जैसी धाराएं साफ दिखीं। अधिकारियों ने बताया कि लगातार निगरानी जारी है और अभी किसी इलाके के लिए चेतावनी जारी नहीं की गई है।

बैरन द्वीप का इतिहास
इस ज्वालामुखी की गतिविधि का पहला रिकॉर्ड 1789 में मिला था। तब से यह कई बार फट चुका है। 1991 में इसमें बड़ा विस्फोट हुआ, जिसमें लावा बहुत दूर तक बह गया था। 2017 और 2018 में भी इसकी सक्रियता देखी गई। भूवैज्ञानिक बताते हैं कि यह द्वीप 'Subduction Zone' में आता है, जहां इंडियन प्लेट, बर्मा प्लेट के नीचे धंसती है। इसी कारण यहां मैग्मा ऊपर उठकर विस्फोट करता है।

ज्वालामुखी विस्फोट का खतरा?
फिलहाल ये विस्फोट छोटे स्तर के हैं, लेकिन लंबे समय तक निकलने वाली राख समुद्री जीवन और कोरल रीफ्स को नुकसान पहुंचा सकती है। मछलियों पर भी असर पड़ सकता है। हवाई यात्रा के लिए भी राख खतरनाक हो सकती है, हालांकि अभी उड़ानें पूरी तरह सुरक्षित हैं। यह द्वीप संरक्षित क्षेत्र है, इसलिए आम पर्यटकों को यहां जाने की अनुमति नहीं है। वैज्ञानिक अध्ययन के लिए ही यहां शोध दल जाते हैं।
बैरन द्वीप भारत के लिए खास
भारत में ज्वालामुखियों की संख्या बहुत कम है, इसलिए बैरन द्वीप का विशेष महत्व है। यह भूवैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को पृथ्वी की परतों और प्राकृतिक गतिविधियों को समझने में मदद करता है। इस द्वीप का नाम 'बैरन' अंग्रेजी शब्द Barren से लिया गया है, जिसका मतलब है बंजर या निर्जन। यहां खेती या इंसानी बसावट संभव नहीं है, लेकिन यह प्रकृति की शक्ति और पृथ्वी की जीवंतता का प्रतीक माना जाता है।