एफडब्ल्यूडीए ने लॉन्च किया भारत का पहला ऑटोनॉमस एआई-सक्षम कॉम्बैट ड्रोन 'काल भैरव'

Edited By Updated: 23 Aug, 2025 09:32 PM

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भारत की डिफेंस टेक्नोलॉजी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाते हुए बेंगलुरु की ड्रोन निर्माण कंपनी फ्लाइंग वेज डिफेंस एंड एयरोस्पेस (FWDA) ने शुक्रवार को अपना नया मेड-इन-इंडिया, AI-सक्षम और एक्सपोर्ट-रेडी MALE (मीडियम अल्टिट्यूड...

नेशनल डेस्क: भारत की डिफेंस टेक्नोलॉजी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाते हुए बेंगलुरु की ड्रोन निर्माण कंपनी फ्लाइंग वेज डिफेंस एंड एयरोस्पेस (FWDA) ने शुक्रवार को अपना नया मेड-इन-इंडिया, AI-सक्षम और एक्सपोर्ट-रेडी MALE (मीडियम अल्टिट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस) ड्रोन पेश किया। इस ऑटोनॉमस कॉम्बैट एयरक्राफ्ट को 'काल भैरव' (Kaal Bhairava) नाम दिया गया है। कंपनी ने दावा किया है कि इसे पहले ही दक्षिण एशिया के एक देश से 30 मिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट ऑर्डर भी प्राप्त हो चुका है।

बेहद पावरफुल और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ड्रोन
इस स्वदेशी ड्रोन को 'समय के रक्षक' से प्रेरित नाम 'काल भैरव' दिया गया है। यह ड्रोन लगातार 30 घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम है और इसकी ऑपरेशनल रेंज 3000 किलोमीटर तक है। FWDA के संस्थापक और CEO सुहास तेजस्कंद ने कहा, "भारत वर्षों से अमेरिकी 'Predator' और इजरायली 'Searcher' जैसे विदेशी प्लेटफॉर्म्स पर निर्भर रहा है, जो सुरक्षा और डेटा सेंसेटिविटी के लिहाज से खतरनाक हो सकते हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि बदलते वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य और अमेरिका के साथ संबंधों में आए बदलाव के चलते अब भारत को डिजिटल रूप से आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता है।

आत्मनिर्भर भारत के सपने को करता साकार
'काल भैरव' को E2A2 (Economic & Efficient Autonomous Aircraft) के तौर पर तैयार किया गया है, जो 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के तहत एक बड़ा कदम माना जा रहा है। कंपनी का दावा है कि यह ड्रोन न केवल तकनीकी रूप से अत्याधुनिक है, बल्कि Predator ड्रोन की तुलना में 10 गुना सस्ता है। इसके बावजूद यह बेहतर AI-बेस्ड कॉम्बैट रेडीनेस और मज़बूत प्रदर्शन देने में सक्षम है।

मल्टी-एंगल स्ट्राइक और स्वार्म वारफेयर की ताकत
'काल भैरव' में स्वार्म वारफेयर क्षमता है, यानी यह एक साथ कई ऑटोनॉमस ड्रोन को कंट्रोल कर दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को धोखा दे सकता है। सुहास तेजस्कंद ने बताया कि, "10 काल भैरव ड्रोन की संयुक्त रीकॉन्शन्स क्षमता एक Predator के बराबर है, लेकिन लागत बहुत कम है।" उन्होंने यह भी कहा कि एक Predator ड्रोन के खोने पर जहां लागत करीब 1,000 करोड़ रुपये आती है, वहीं उतने में एक पूरी काल भैरव फ्लीट तैयार की जा सकती है।

पूरी तरह स्वदेशी तकनीक
FWDA का कहना है कि 'काल भैरव' 100% देशी तकनीक पर आधारित है, जिससे भारत को किसी भी विदेशी OEM (Original Equipment Manufacturer) पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। इसमें सभी प्रमुख सिस्टम्स और सॉफ़्टवेयर इन-हाउस डेवलप किए गए हैं। इसका सैन्क्शन्स-प्रूफ और सिक्योर सप्लाई चेन नेटवर्क इसे वैश्विक बाजार के लिए उपयुक्त बनाता है। यह ड्रोन देशी MRO (Maintenance, Repair & Overhaul) इकोसिस्टम के साथ आता है, जिससे इसके रखरखाव की लागत कम और स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता आसान हो जाती है।

भारत की वैश्विक डिफेंस टेक्नोलॉजी में नई पहचान
FWDA ने 'काल भैरव' को सॉवरेन, मॉड्यूलर और एक्सपोर्टेबल कॉम्बैट प्लेटफॉर्म के रूप में डिजाइन किया है। यह पहल भारत को हथियारों के बड़े आयातक से अगली पीढ़ी की डिफेंस टेक्नोलॉजी का निर्यातक बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है। इस ड्रोन के ज़रिए भारत अब वैश्विक डिफेंस बाजार में एक नई भूमिका निभाने को तैयार है।

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