ट्रेन में रील्स देखना और गाना बजाना कहीं बन ना जाए आपके लिए मुसीबत, क्या कहते हैं रेलवे के नियम, जानें

Edited By Updated: 04 Sep, 2025 02:45 PM

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भारतीय रेलवे ने रात 10 बजे के बाद ट्रेन में तेज आवाज में गाने सुनने और फोन पर जोर-जोर से बात करने पर सख्त नियम लागू किए हैं। बिना हेडफोन के आवाज बढ़ाने पर ₹500-₹1000 तक जुर्माना या ट्रेन से उतारने का प्रावधान है। यह नियम सभी कोचों में लागू हैं और...

नेशनल डेस्क : भारतीय रेलवे ने यात्रियों की सुविधा और यात्रा के दौरान शांति बनाए रखने के उद्देश्य से एक अहम कदम उठाया है। अब यदि कोई यात्री ट्रेन में बिना हेडफोन के तेज आवाज में गाने सुनता है या फोन पर स्पीकर लगाकर बात करता है, तो उसे न केवल जुर्माना भरना पड़ सकता है, बल्कि सजा भी भुगतनी पड़ सकती है। यह नियम काफी पहले से लागू हैं, लेकिन रेलवे ने हाल के दिनों में इन पर सख्ती बढ़ा दी है, खासकर रात 10 बजे के बाद।

क्या है रेलवे का 'रात 10 बजे वाला नियम'?
भारतीय रेलवे ने यात्रियों की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए 'आफ्टर 10 पीएम रूल' को लागू किया है। इसके तहत रात 10 बजे के बाद सभी यात्रियों को ट्रेन में शांति बनाए रखनी होगी। तेज आवाज में मोबाइल पर गाने सुनना, वीडियो चलाना या फोन पर ऊंची आवाज में बात करना प्रतिबंधित है। यदि किसी यात्री की वजह से अन्य यात्रियों को असुविधा होती है, तो उसे नियमों का उल्लंघन माना जाएगा। रेलवे का उद्देश्य है कि रात के समय यात्री चैन से आराम कर सकें और उनकी नींद में कोई बाधा न आए।

नियम तोड़ने पर क्या सजा मिलेगी?
रेलवे एक्ट, 1989 की धारा 145 के तहत ट्रेन में शांति भंग करना या यात्रियों को परेशान करना दंडनीय अपराध है। इस कानून के अंतर्गत:

पहली बार नियम तोड़ने पर यात्री को चेतावनी दी जा सकती है।

नियमों की अनदेखी करने पर ₹500 से ₹1000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

गंभीर मामलों में यात्री को अगले स्टेशन पर ट्रेन से उतार दिया जा सकता है।

RPF (रेलवे सुरक्षा बल) और TTE (ट्रेन टिकट एग्जामिनर) को इन नियमों को लागू करने की जिम्मेदारी दी गई है।

रात 10 बजे के बाद लागू अन्य नियम
रेलवे ने रात के समय शांति बनाए रखने के लिए कुछ और दिशानिर्देश भी जारी किए हैं, जैसे:

तेज आवाज में बिना हेडफोन के गाना या वीडियो देखना मना है।

मोबाइल पर जोर-जोर से बात करना प्रतिबंधित है।

केवल नाइट लाइट का उपयोग करें, बाकी लाइटें बंद करनी होंगी।

यात्रियों को जागरूक करने के लिए रेलवे स्टाफ को भी निर्देश दिए गए हैं।

किन कोचों में लागू हैं ये नियम?
ये नियम सभी कोचों में स्लीपर, एसी और जनरल समान रूप से लागू होते हैं। एसी और स्लीपर कोच में स्टाफ की मौजूदगी ज्यादा होती है, जिससे नियमों का पालन बेहतर तरीके से करवाया जाता है। हालांकि जनरल कोच में निगरानी सीमित होती है, लेकिन नियम वहां भी लागू हैं। रेलवे ने छोटे बच्चों के लिए अलग से कोई दंडात्मक प्रावधान नहीं रखा है। यदि कोई बच्चा रोता है या हल्का शोर करता है, तो उसे अपराध नहीं माना जाएगा। हालांकि, माता-पिता को सलाह दी गई है कि वे बच्चों को जोर-जोर से खेलने या शोर मचाने से रोकें, ताकि अन्य यात्रियों को असुविधा न हो।

यात्री क्या करें?
ट्रेन में सफर करते समय हर यात्री की जिम्मेदारी बनती है कि वह दूसरों की सुविधा का ध्यान रखे। रात 10 बजे के बाद हेडफोन का इस्तेमाल करें और मोबाइल पर धीमी आवाज में बात करें। इससे न सिर्फ आपकी यात्रा सुखद होगी, बल्कि दूसरों को भी आराम मिलेगा। रेलवे बार-बार यात्रियों से अपील करता है कि वे इन नियमों का पालन करें। इनका उद्देश्य किसी को सजा देना नहीं, बल्कि सभी के लिए यात्रा को शांतिपूर्ण और आरामदायक बनाना है।

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