...अभी और गिरेगा रुपया, डॉलर के मुकाबले जाएगा इस लेवल तक, SBI ने बताया कब आएगी रिकवरी

Edited By Updated: 18 Dec, 2025 11:13 AM

rupee will fall further sbi has predicted what level it will reach against

बुधवार को आरबीआई के हस्तक्षेप से भले ही रुपए में दो महीने की सबसे बड़ी तेजी देखने को मिली हो लेकिन आने वाले दिनों में भारतीय मुद्रा पर डॉलर के मुकाबले दबाव बना रह सकता है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि रुपए पर असर डालने वाले कारक अभी पूरी तरह खत्म...

बिजनेस डेस्कः बुधवार को आरबीआई के हस्तक्षेप से भले ही रुपए में दो महीने की सबसे बड़ी तेजी देखने को मिली हो लेकिन आने वाले दिनों में भारतीय मुद्रा पर डॉलर के मुकाबले दबाव बना रह सकता है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि रुपए पर असर डालने वाले कारक अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुए हैं और निकट भविष्य में यह 92 प्रति डॉलर के स्तर तक भी फिसल सकता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर रुपया कब तक संभलेगा और इसकी मजबूती कब लौटेगी?

इस सवाल का जवाब भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने अपनी एक रिसर्च रिपोर्ट में देने की कोशिश की है। एसबीआई के आर्थिक शोध विभाग के मुताबिक, अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% शुल्क के कारण कमजोर हुआ रुपया अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में मजबूत वापसी कर सकता है।

करीब 6% टूट चुका है रुपया

एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने 2 अप्रैल 2025 से सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं पर बड़े पैमाने पर टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की थी। इसके बाद से भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले करीब 5.7% कमजोर हो चुका है, जो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा गिरावट है। हालांकि, भारत-अमेरिका ट्रेड डील को लेकर बनी उम्मीदों के चलते बीच-बीच में रुपए में सुधार भी देखने को मिला। रिपोर्ट में कहा गया है कि भले ही रुपया सबसे ज्यादा कमजोर हुआ हो लेकिन यह सबसे ज्यादा अस्थिर नहीं है, जिससे संकेत मिलता है कि 50% टैरिफ रुपए की गिरावट की बड़ी वजहों में से एक है।

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विदेशी निवेशकों की निकासी से बढ़ा दबाव

रिपोर्ट में बताया गया है कि भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के चलते विदेशी निवेशकों का मजबूत पूंजी प्रवाह अब बीते दिनों की बात हो गया है। आंकड़ों के मुताबिक, 2007 से 2014 के बीच विदेशी निवेशकों की औसत निकासी 162.8 अरब डॉलर रही थी, जबकि 2015 से 2025 (अब तक) पोर्टफोलियो फ्लो घटकर 87.7 अरब डॉलर रह गया है।

एसबीआई के अनुसार, 2014 से पहले अधिक पोर्टफोलियो फ्लो रुपए में उतार-चढ़ाव की बड़ी वजह था लेकिन अब ट्रेड डील में देरी और बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताओं ने स्थिति बदल दी है। इसके बावजूद भारत ने लंबे समय तक संरक्षणवाद, लेबर सप्लाई के झटकों और वैश्विक अनिश्चितताओं का मजबूती से सामना किया है।

वैश्विक अनिश्चितताओं का असर

‘रुपए पर भरोसा’ विषय पर जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल 2025 के बाद भू-राजनीतिक जोखिम सूचकांक में कुछ कमी जरूर आई है लेकिन अप्रैल से अक्टूबर 2025 के बीच इसका औसत स्तर पिछले 10 साल के औसत से काफी ऊपर बना हुआ है। यह दर्शाता है कि वैश्विक अनिश्चितताएं अभी भी रुपए पर दबाव बनाए हुए हैं। हालांकि, एसबीआई का मानना है कि रुपया फिलहाल गिरावट के दौर में है लेकिन अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में इसमें तेज सुधार की संभावना है।

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RBI का बढ़ा हस्तक्षेप

घरेलू मुद्रा को 90 से 91 प्रति डॉलर तक पहुंचने में महज 13 दिन लगे थे। हालांकि, बुधवार को रुपया 55 पैसे मजबूत होकर 90.38 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार जून 2025 में 703 अरब डॉलर के शिखर पर था, जो 5 दिसंबर 2025 को समाप्त सप्ताह में घटकर 687.2 अरब डॉलर रह गया। इसका मुख्य कारण विदेशी पूंजी की निकासी और रुपए में अत्यधिक उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए आरबीआई का सक्रिय हस्तक्षेप रहा। रिपोर्ट के अनुसार, जून से सितंबर के बीच आरबीआई ने करीब 18 अरब डॉलर का हस्तक्षेप विदेशी मुद्रा बाजार में किया है।
 

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