भारत का साथ दे रहा ईरान, देखते रह गए चीन-पाकिस्तान, इस बड़ी डील से दुनिया हैरान

Edited By Updated: 13 May, 2024 10:34 PM

iran is supporting india china and pakistan are watching

भारत ने ईरान के चाबहार में स्थित शाहिद बेहश्ती बंदरगाह टर्मिनल के परिचालन के लिए सोमवार को 10-वर्षीय अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। इससे भारत को मध्य एशिया के साथ कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी।

नई दिल्ली/तेहरानः भारत ने ईरान के चाबहार में स्थित शाहिद बेहश्ती बंदरगाह टर्मिनल के परिचालन के लिए सोमवार को 10-वर्षीय अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। इससे भारत को मध्य एशिया के साथ कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी। चाबहार बंदरगाह ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है। इस बंदरगाह को भारत और ईरान मिलकर विकसित कर रहे हैं। 

बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की उपस्थिति में इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) और ईरान के पोर्ट्स एंड मेरिटाइम ऑर्गेनाइजेशन ने इस अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, आईपीजीएल करीब 12 करोड़ डॉलर निवेश करेगा जबकि 25 करोड़ डॉलर की राशि कर्ज के रूप में जुटाई जाएगी। यह पहला मौका है जब भारत विदेश में स्थित किसी बंदरगाह का प्रबंधन अपने हाथ में लेगा। 

इस अवसर पर सोनोवाल ने कहा, ‘‘ अनुबंध पर हस्ताक्षर के साथ हमने चाबहार में भारत की दीर्घकालिक भागीदारी की नींव रखी है। इस अनुबंध से चाबहार बंदरगाह की व्यवहार्यता और दृश्यता पर कई गुना प्रभाव पड़ेगा।'' सोनोवाल ने कहा कि चाबहार न केवल भारत का निकटतम ईरानी बंदरगाह है बल्कि समुद्री परिवहन की दृष्टि से भी यह एक शानदार बंदरगाह है। उन्होंने ईरान के परिवहन एवं शहरी विकास मंत्री महरदाद बजरपाश भी मौजूद रहे। 

यह 10-वर्षीय समझौता दोनों देशों के बीच वर्ष 2016 में हुए शुरुआती समझौते की जगह लेगा जिसमें भारत को शाहिद बेहश्ती टर्मिनल का परिचालन अधिकार दिया गया था। हालांकि, उसे सालाना आधार पर नवीनीकृत करना होता था। भारत क्षेत्रीय व्यापार खासकर अफगानिस्तान से संपर्क बढ़ाने के लिए चाबहार बंदरगाह परियोजना पर जोर दे रहा है। यह बंदरगाह ‘अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा' (आईएनएसटीसी) परियोजना के एक प्रमुख केंद्र के तौर पर पेश किया गया है। 

आईएनएसटीसी परियोजना भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल-ढुलाई के लिए 7,200 किलोमीटर लंबी एक बहुस्तरीय परिवहन परियोजना है। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने ईरान के साथ संपर्क परियोजनाओं पर भारत की अहमियत को रेखांकित करते हुए 2024-25 के लिए चाबहार बंदरगाह के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। 

आईपीजीएल की अनुषंगी इकाई इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल चाबहार फ्री जोन (आईपीजीसीएफजेड) ने 2019 में अफगानिस्तान से भारत में निर्यात की पहली खेप की सुविधा दी थी। बयान में कहा गया है कि उक्त परिचालन अल्पकालिक अनुबंधों के माध्यम से जारी रहा, जबकि अगस्त, 2022 में सोनोवाल की चाबहार यात्रा के साथ दीर्घकालिक समझौते पर बातचीत ने गति पकड़ी। बयान के मुताबिक, समझौता बढ़े हुए व्यापार और निवेश के अवसरों के रास्ते खोलेगा और इससे भारत की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।

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