Edited By Anu Malhotra,Updated: 31 Oct, 2025 12:53 PM

एक ऐसा मामला जिसने सबको हिला कर रख दिया है - जहां एक मां ने अपने ही बच्चों को जन्म देने के बाद उनकी जान ले ली और उनके शवों को सालों तक अपने घर में छिपा रखा। यह कहानी 39 साल की जेसिका माउथे (Jessica Mauthe) से जुड़ी है, जिसने चार नवजात बच्चों के शव...
नेशनल डेस्क: एक ऐसा मामला जिसने सबको हिला कर रख दिया है - जहां एक मां ने अपने ही बच्चों को जन्म देने के बाद उनकी जान ले ली और उनके शवों को सालों तक अपने घर में छिपा रखा। यह कहानी 39 साल की जेसिका माउथे (Jessica Mauthe) से जुड़ी है, जिसने चार नवजात बच्चों के शव अपने घर में छिपा कर रखा। मामला तब सामने आया जब जेसिका को मकान मालिक ने घर खाली करने का नोटिस दिया। सामान देखने के दौरान मकान मालिक को एक अलमारी में तौलियों और कचरे के बैगों में लिपटा नवजात का शव मिला। तुरंत पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने घर की पूरी तलाशी ली, तो अटारी (loft) में तीन और नवजात शव पाए गए, जो टोट बैग्स और बकेट्स में छिपाए गए थे।
हर बच्चे की कहानी अलग
पुलिस ने बताया कि जेसिका ने हर बच्चे के बारे में अलग-अलग बयान दिए। उसने बताया कि सभी बच्चों को उसने बाथरूम में जन्म दिया। पहले बच्चे के बारे में उसने कहा कि हल्की आवाज सुनी, फिर बेहोश हो गई और जब होश आया तो बच्चा मृत था। दूसरे और तीसरे बच्चे के बारे में उसने कहा कि वे शायद मृत जन्मे थे क्योंकि उन्होंने कोई आवाज नहीं की।
चौथे बच्चे की कहानी अलग थी। उसने बच्चे को टॉयलेट में जन्म दिया और वह जीवित था। जेसिका ने बताया कि बच्चे की आवाजें सुनी, लेकिन कुछ मिनट तक उसे वहीं रखा। फिर बच्चे को तौलिये में लपेटा और अपनी गोद में करीब 15–20 मिनट रखा। उसने कहा कि उसे नहीं पता कि बच्चा उसकी पकड़ से मरा या इसलिए कि मुंह और नाक ढक गए थे।
अदालत में मामला
जेसिका के वकील चक पास्कल ने अदालत में कहा कि पुलिस के पास किसी भी बच्चे के जीवित होने या उनकी मौत का कोई ठोस सबूत नहीं है। न पोस्टमार्टम रिपोर्ट है, न यह साबित हुआ कि बच्चे जन्म के बाद जिंदा थे। वकील ने यह भी कहा कि जेसिका उस समय खून की कमी, दर्द और मानसिक उलझन में थी, इसलिए उसके बयानों पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
लेकिन जज जे. गैरी डेकोमो ने बचाव पक्ष की दलीलें खारिज कर दीं। सभी आरोप कायम रखे गए और जेसिका को बिना जमानत जेल भेज दिया गया। अब वह आगामी ट्रायल का सामना करेगी। मामले की अगली सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं हुई है, और जांच जारी है। यह मामला उस खौफनाक हकीकत की याद दिलाता है कि कभी-कभी परिवार के भीतर छुपी त्रासदियों का पर्दाफाश कैसे होता है।