LIC को लगा ₹46,000 करोड़ का तगड़ा झटका, ख़तरे में LIC का भारी निवेश!

Edited By Updated: 29 Jul, 2025 10:00 AM

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शेयर बाजार की मंदी ने जुलाई माह में न सिर्फ आम निवेशकों को हिला दिया, बल्कि भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को भी भारी नुक़सान उठाना पड़ा है। लगभग ₹46,000 करोड़ तक का नुकसान LIC के इक्विटी पोर्टफोलियो में दर्ज किया गया है- एक चेतावनी जो बड़ी संस्थागत...

नई दिल्ली: शेयर बाजार की मंदी ने जुलाई माह में न सिर्फ आम निवेशकों को हिला दिया, बल्कि भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को भी भारी नुक़सान उठाना पड़ा है। लगभग ₹46,000 करोड़ तक का नुकसान LIC के इक्विटी पोर्टफोलियो में दर्ज किया गया है- एक चेतावनी जो बड़ी संस्थागत निवेश रणनीतियों पर सवाल खड़ा करती है।

बाजार की चाल और LIC पर इसका असर
-30 जून 2025: LIC के 322 शेयरों का मूल्य ₹16.10 ट्रिलियन (₹16.10 लाख करोड़) था।
-25 जुलाई 2025 तक: बहु जोखिम-पूरित पोर्टफोलियो का मूल्य ₹15.64 ट्रिलियन तक गिर गया, जिससे ₹46,000 करोड़ का नुकसान हुआ। इसके बावजूद, LIC की सम्पत्ति अप्रैल 7, 2025 की तुलना में अभी भी ₹1.94 ट्रिलियन अधिक है-जिससे पता चलता है कि साल की शुरुआत में बाजार ने अच्छा प्रदर्शन किया था।

कौन से शेयर बने भारी बोझ?
एलआईसी के सबसे बड़े निवेशों में से, Reliance Industries ने सबसे अधिक दबाव डाला। इसके अलावा, TCS, Infosys, HCL, Tech Mahindra की कंपनियों ने मिलकर लगभग ₹15,321 करोड़ का नुकसान किया। इन चार आईटी कंपनियों का समग्र नुकसान LIC के पोर्टफोलियो में भारी गिरावट का बड़ा कारण बना।

 LIC ने किया पोर्टफोलियो रीबैलेंसिंग
जून तिमाही में LIC ने मसौदा रणनीति के तहत 81 कंपनियों में हिस्सेदारी कम कर दी है, जबकि 4 सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा कंपनियों में निवेश बढ़ाया है। इस बदलाव से साफ संकेत मिलता है कि LIC अधिक स्थिर और रणनीतिक क्षेत्रों में जोखिम-संतुलन के लिए उन्नत कदम उठा रही है।

पैरा    विवरण
पोर्टफोलियो मूल्य    ₹16.10 ट्रिलियन (30 जून) → ₹15.64 ट्रिलियन (25 जुलाई)
अनुमानित नुकसान    ₹46,000 करोड़
प्रमुख निवेश    Reliance Industries, TCS, Infosys, HCL Tech, Tech Mahindra
रणनीतिक बदलाव    रक्षा क्षेत्र में बढ़ी हिस्सेदारी; 81 कंपनियों से निकासी

 विशेषज्ञों की राय
LIC का पोर्टफोलियो इंडिया की आर्थिक दिशा और बाजार की स्थिति को दर्शाता है। बाज़ार की अनिश्चितता और बाहरी निवेशकों की निकासी (FIIs) ने सार्वजनिक संस्थाओं को कमजोर बनाया है। विश्लेषकों का मानना है कि जैसे ही बाज़ार में स्थिरता लौटेगी, LIC की रणनीतिक पुनर्संतुलन इसमें सुधार ला सकती है।
 

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