Edited By Rohini Oberoi,Updated: 07 Sep, 2025 09:02 PM

दिल्ली में भ्रष्टाचार का एक गंभीर मामला सामने आया है जिसने पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोकायुक्त की एक विस्तृत रिपोर्ट के बावजूद भाजपा के पूर्व नेता और पूर्व पार्षद शैलेंद्र सिंह मोंटी पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। उन पर आरोप है...
नेशनल डेस्क। दिल्ली में भ्रष्टाचार का एक गंभीर मामला सामने आया है जिसने पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोकायुक्त की एक विस्तृत रिपोर्ट के बावजूद पूर्व पार्षद शैलेंद्र सिंह मोंटी पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। उन पर आरोप है कि उन्होंने पार्षद रहते हुए पद का दुरुपयोग कर बेहिसाब संपत्ति अर्जित की है।
करोड़ों की बेनामी संपत्ति का खुलासा
लोकायुक्त की जांच में सामने आया है कि 2007 से 2017 तक पार्षद रहते हुए मोंटी ने अपनी घोषित आय से कई गुना ज्यादा संपत्ति खरीदी। उन्होंने हौज खास और ग्रीन पार्क एक्सटेंशन में करोड़ों की संपत्तियां खरीदीं जिनके लिए कोई वैध आय का स्रोत नहीं बताया गया है।
जांच में उनके बैंक खातों में भी कई बड़े ट्रांसफर पाए गए हैं जिनमें ₹1 करोड़, ₹50 लाख, ₹25 लाख, ₹1.25 करोड़ और ₹2 करोड़ जैसी बड़ी रकम शामिल हैं। जब उनसे इन पैसों के बारे में पूछा गया तो वे कोई ठोस दस्तावेज नहीं दे पाए।
लोकायुक्त ने की ED और ACB जांच की सिफारिश
दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने भी पुष्टि की है कि ये संपत्तियां योजना क्षेत्र में हैं और इनका निर्माण बिना मंजूरी के किया गया है। लोकायुक्त की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मामला भ्रष्टाचार, पद के दुरुपयोग और ईमानदारी के नियमों के उल्लंघन का है।
रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि इस मामले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) या प्रवर्तन निदेशालय (ED) से कराई जाए। अगर इसमें मनी लॉन्ड्रिंग का मामला सामने आता है तो PMLA के तहत कार्रवाई होनी चाहिए।
सिस्टम पर क्यों उठ रहे सवाल?
लोकायुक्त ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को FIR दर्ज करने और MCD एक्ट के तहत अवैध निर्माण पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद इतनी मजबूत और सबूत आधारित रिपोर्ट के बाद भी मोंटी पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है जिससे सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। यह रिपोर्ट बताती है कि कुछ संपत्तियां मोंटी के नाम पर हैं तो कुछ उनके परिवार वालों के नाम पर।