दुनिया भर में लाखों महिलाएं हो रही है मिसकैरिज की शिकार, ये केमिकल बन रहा खतरा...

Edited By Updated: 26 Aug, 2025 08:41 PM

millions of women suffering miscarriage chemical risk

हर साल लाखों महिलाओं के मां बनने का सपना टूट जाता है, और अब एक नई स्टडी ने इसके पीछे एक खतरनाक वजह की ओर इशारा किया है PFAS केमिकल्स। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में हर साल करीब 2.3 करोड़ मिसकैरिज होते हैं, यानी हर मिनट...

नेशनल डेस्कः हर साल लाखों महिलाओं के मां बनने का सपना टूट जाता है, और अब एक नई स्टडी ने इसके पीछे एक खतरनाक वजह की ओर इशारा किया है PFAS केमिकल्स। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में हर साल करीब 2.3 करोड़ मिसकैरिज होते हैं, यानी हर मिनट 44 बार एक अजन्मा जीवन खत्म हो जाता है। हाल ही में चीन में हुई एक रिसर्च में यह सामने आया है कि जिन महिलाओं को बार-बार गर्भपात होता है, उनके शरीर में PFAS नामक जहरीले रसायन की मात्रा अधिक पाई गई है। ये केमिकल्स आमतौर पर हमारे रोजमर्रा के बर्तनों, कपड़ों, और पैकिंग सामग्री में मौजूद होते हैं और अब ये गर्भवती महिलाओं और उनके होने वाले बच्चों के लिए गंभीर खतरा बनते जा रहे हैं।

PFAS से मिसकैरिज का खतरा

द गार्जियन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में की गई एक स्टडी में 200 महिलाओं को शामिल किया गया। इनमें वे महिलाएं थीं, जिन्हें दो या उससे अधिक बार मिसकैरिज हो चुका था। स्टडी में पाया गया कि इन महिलाओं के रक्त में PFAS के स्तर सामान्य से काफी अधिक थे। स्टडी के अनुसार, PFAS के संपर्क में आने से महिलाओं में बार-बार गर्भपात होने की आशंका बढ़ जाती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि PFAS, शरीर के हार्मोनल सिस्टम और थायरॉइड ग्रंथि पर असर डालते हैं, जो प्रजनन प्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं।

क्या होते हैं PFAS केमिकल?

PFAS (Per- and Polyfluoroalkyl Substances) एक मानव निर्मित (मैनमेड) केमिकल्स का समूह है, जो लगभग 16,000 प्रकार के केमिकल्स को शामिल करता है। इनका इस्तेमाल आमतौर पर नॉन-स्टिक बर्तनों, वॉटरप्रूफ कपड़ों, फास्ट फूड पैकेजिंग, फायरफाइटिंग फोम, कॉस्मेटिक्स, क्लीनिंग प्रोडक्ट्स, पेंट और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जाता है। ये केमिकल्स बेहद धीमे टूटते हैं और एक बार शरीर में पहुंचने पर वर्षों तक जमा रह सकते हैं। यह केमिकल पानी, मिट्टी और खाने के माध्यम से इंसान के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।

PFAS के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव:

- कैंसर का खतरा

- गुर्दे और यकृत की बीमारी

- हार्मोनल असंतुलन

- प्रजनन प्रणाली पर प्रभाव

- इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी

यह केमिकल केवल महिलाओं को ही नहीं, बल्कि पुरुषों को भी प्रभावित कर सकता है। रिसर्च के मुताबिक, PFAS पुरुषों की स्पर्म क्वालिटी को कम कर सकते हैं और DNA में बदलाव ला सकते हैं, जिससे अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।

किन महिलाओं को ज्यादा खतरा?

- NIH की रिपोर्ट के अनुसार:

- गर्भावस्था में मिसकैरिज की औसत दर 15.3% है।

- एक बार मिसकैरिज झेल चुकी महिलाओं की संख्या 10.8% है।

- दो बार मिसकैरिज झेल चुकी महिलाओं की संख्या 1.9%,

- तीन या उससे ज्यादा बार मिसकैरिज झेलने वाली महिलाओं की संख्या 0.7% है।

अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्स्टेट्रिशियंस एंड गायनेकोलॉजिस्ट्स के अनुसार, लगभग 5% महिलाएं बार-बार मिसकैरिज का अनुभव करती हैं। इनमें से आधे मामलों में कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आता।

महिलाएं PFAS से कैसे बचाव करें?

- पानी से PFAS हटाने वाले फिल्टर का इस्तेमाल करें।

- नॉन-स्टिक बर्तनों का कम से कम उपयोग करें।

- स्टेन-गार्ड वाले कपड़े और फर्नीचर से दूरी बनाएं।

- PFAS-फ्री कॉस्मेटिक्स और क्लीनिंग प्रोडक्ट्स का चुनाव करें।

- ऑर्गेनिक और बिना पैकिंग वाला खाना प्राथमिकता से लें।

Environmental Working Group के वरिष्ठ वैज्ञानिक डेविड एंड्रयूज का कहना है कि PFAS के कारण भ्रूण के विकास और संतान के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने इस रिसर्च को "स्वास्थ्य के लिए गंभीर चेतावनी" करार दिया।


 

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