Edited By Shubham Anand,Updated: 15 Dec, 2025 09:05 PM

अधिकतर लोग सोचते हैं कि बिना नमक डालने से हाई ब्लड प्रेशर नहीं बढ़ता, लेकिन असली खतरा रोजमर्रा के खाने में छिपे नमक से है। ब्रेड, सॉस, पैकेट स्नैक्स और चीज जैसे खाद्य पदार्थों में सोडियम ज्यादा होता है। डॉक्टरों का कहना है कि रोजाना नमक कम करें,...
नेशनल डेस्क : अक्सर हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोग डॉक्टर से यही कहते हैं कि वे खाने में ऊपर से नमक बिल्कुल नहीं डालते, फिर भी उनका ब्लड प्रेशर कंट्रोल में नहीं रहता। इस पर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. आशीष कुमार ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में बताया कि समस्या उस नमक से नहीं होती, जो लोग अलग से डालते हैं, बल्कि उस सोडियम से होती है जो रोजमर्रा के खाने में पहले से छिपा रहता है। भारत में यह छिपा हुआ नमक अब हाई ब्लड प्रेशर की एक बड़ी वजह बनता जा रहा है।
यह चिंता अब सिर्फ अनुमान तक सीमित नहीं है। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में हर तीन में से एक व्यक्ति हाई ब्लड प्रेशर से जूझ रहा है। कई शहरी इलाकों में यह आंकड़ा 35 प्रतिशत से भी अधिक पहुंच चुका है। सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि बड़ी संख्या में मरीजों की उम्र 50 साल से कम है। इनमें से कई लोगों को या तो अपनी बीमारी की जानकारी ही नहीं है या फिर वे नियमित दवाइयां लेने के बावजूद बीपी को ठीक से कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं।
नमक क्यों बनता है सेहत के लिए खतरा?
नमक में मौजूद सोडियम शरीर में पानी को रोककर रखता है। इससे ब्लड वेसल्स में दबाव बढ़ जाता है और दिल को सामान्य से अधिक मेहनत करनी पड़ती है। लंबे समय तक यह स्थिति बनी रहने पर ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचता है, जिससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक, हार्ट फेल्योर और किडनी से जुड़ी बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। असली समस्या यह है कि बहुत सा नमक ऐसा होता है, जो स्वाद में ज्यादा नमकीन भी नहीं लगता और लोग अनजाने में इसे ज्यादा मात्रा में ले लेते हैं।
दिखने में सुरक्षित, अंदर से खतरनाक
रोजाना ब्रेड या पाव खाना आम बात मानी जाती है और ज्यादातर लोग इसे सुरक्षित विकल्प समझते हैं। लेकिन यही ब्रेड शरीर में अच्छी-खासी मात्रा में सोडियम पहुंचा सकती है। कई लोग ब्राउन या मल्टीग्रेन ब्रेड को हेल्दी मानते हैं, जबकि इनमें भी कई बार सफेद ब्रेड जितना ही नमक मौजूद होता है।
सॉस और चटनियों में छिपा है ज्यादा सोडियम
टमाटर केचप, सोया सॉस, चिली सॉस, सैंडविच स्प्रेड और पैकेट वाली चटनियों में स्वाद बढ़ाने और लंबे समय तक खराब न होने के लिए भरपूर नमक डाला जाता है। थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दिनभर इनका सेवन करने से सोडियम जरूरत से कहीं ज्यादा हो जाता है। इसके साथ ही चिप्स, भुजिया, नमकीन मिक्स, क्रैकर्स और यहां तक कि “बेक्ड” या “लाइट” लिखे स्नैक्स में भी काफी नमक होता है। ये बहुत ज्यादा नमकीन नहीं लगते, इसलिए लोग इन्हें ज्यादा खा लेते हैं और सोडियम की मात्रा का अंदाजा ही नहीं लगा पाते।
चीज और बटर भी बढ़ा सकते हैं बीपी
चीज स्लाइस, चीज स्प्रेड और फ्लेवर वाला बटर भी नमक से भरपूर होते हैं। रोज थोड़ी-थोड़ी मात्रा में इनके सेवन से कुल नमक की मात्रा काफी बढ़ जाती है। वहीं बाहर का खाना और रेडी-टू-ईट फूड स्वाद और बनावट के लिए ज्यादा नमक इस्तेमाल करते हैं। एक सामान्य भारतीय थाली में रोटी, बाजार के मसालों से बनी सब्जी, अचार, पापड़ और चटनी शामिल होती है। ऊपर से नमक न डालने के बावजूद सोडियम की मात्रा सुरक्षित सीमा से ऊपर चली जाती है।
यही वजह है कि साल 2025 में भी करीब आधे हाई ब्लड प्रेशर मरीजों का बीपी दवाइयों के बावजूद ठीक से कंट्रोल में नहीं है। डॉक्टरों के मुताबिक, दिल की सेहत के लिए रोजाना एक चम्मच से भी कम नमक लेना चाहिए। हालांकि अनुमान बताते हैं कि ज्यादातर भारतीय इससे लगभग दोगुना नमक खा रहे हैं, वह भी बिना जाने, जिसकी बड़ी वजह पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फूड है।
खतरा कैसे किया जा सकता है कम?
डॉक्टरों का कहना है कि छिपे हुए नमक से बचने के लिए बहुत सख्त डाइट अपनाने की जरूरत नहीं है। खाने के पैकेट पर सोडियम का लेबल पढ़ना, सॉस और स्प्रेड का इस्तेमाल कम करना, पैकेज्ड स्नैक्स की जगह ताजे और घर पर बने विकल्प चुनना और बाहर के खाने की मात्रा घटाना जैसे छोटे कदम ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में काफी मदद कर सकते हैं। धीरे-धीरे नमक कम करने से स्वाद भी अपने आप एडजस्ट हो जाता है और सेहत को लंबे समय तक फायदा मिलता है।