ब्राजील में मिला नया कोरोना वायरस! COVID-19 जैसे जेनेटिक फीचर रखता BRZ batCoV

Edited By Updated: 04 Nov, 2025 01:53 PM

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दुनिया ने अभी कोविड-19 के जख्मों से पूरी तरह उबरना शुरू ही किया है, और इसी बीच ब्राजील के वैज्ञानिकों ने एक नई खोज कर दी है जिसने एक बार फिर वायरस की प्राकृतिक दुनिया को सुर्खियों में ला दिया है। ब्राजील के जंगलों में रहने वाले 'मूंछों वाले चमगादड़'...

नेशनल डेस्क:  दुनिया ने अभी कोविड-19 के जख्मों से पूरी तरह उबरना शुरू ही किया है, और इसी बीच ब्राजील के वैज्ञानिकों ने एक नई खोज कर दी है जिसने एक बार फिर वायरस की प्राकृतिक दुनिया को सुर्खियों में ला दिया है। ब्राजील के जंगलों में रहने वाले 'मूंछों वाले चमगादड़' (Moustached Bat) की आंतों में एक बिल्कुल नया कोरोना-परिवार से जुड़ा वायरस मिला है, जिसका नाम शोधकर्ताओं ने BRZ batCoV रखा है। यह वायरस इतना दिलचस्प है क्योंकि इसके जेनेटिक स्ट्रक्चर में वह तत्व मौजूद है जो SARS-CoV-2 यानी कोरोना वायरस से काफी मेल खाता है।

वायरस की पहचान कैसे हुई
यह वायरस किसी प्रयोगशाला में नहीं, बल्कि प्राकृतिक रूप से जंगलों में रहने वाले चमगादड़ों के नमूनों से पहचाना गया है। ब्राजील के Maranhao और Sao Paulo राज्यों में 70 से अधिक चमगादड़ों के सैंपल्स की जीन सिक्वेंसिंग के दौरान वैज्ञानिकों को इस वायरस के जीन के कुछ अंश मिले। इसका मतलब है कि वायरस को प्रत्यक्ष रूप से अलग नहीं किया गया, बल्कि उसके डीएनए जैसी जेनेटिक पहचान के आधार पर इसकी मौजूदगी का पता चला।

कोरोना से समानता क्यों खास है
BRZ batCoV का सबसे उल्लेखनीय हिस्सा है इसका फ्यूरिन क्लीवेज साइट (Furin Cleavage Site) — वही संरचना जो कोविड-19 के वायरस को मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने में मदद करती है। पहले कई विशेषज्ञों का मानना था कि ऐसा फीचर लैब में बनाए गए वायरस में ही हो सकता है, लेकिन इस खोज ने यह धारणा कमजोर कर दी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसी संरचनाएं प्राकृतिक रूप से भी उभर सकती हैं, क्योंकि वायरस निरंतर बदलते और विकसित होते रहते हैं।

वैज्ञानिक क्या कह रहे हैं
जापान की ओसाका यूनिवर्सिटी के डॉ. कोसूके ताकादा का कहना है कि यह खोज हमें याद दिलाती है कि वायरस समय के साथ खुद विकसित होते हैं — उन्हें कृत्रिम रूप से तैयार करने की आवश्यकता नहीं होती। वहीं, लंदन के किंग्स कॉलेज के प्रोफेसर स्टुअर्ट नील बताते हैं कि फ्यूरिन साइट जैसी संरचनाएं कई वायरस में स्वतः बन जाती हैं, जो विकास की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।

ग्लासगो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेविड रॉबर्टसन ने भी इस खोज को “वायरस के जीनोमिक बदलावों की प्राकृतिक गतिशीलता” का उदाहरण बताया। उनके अनुसार, कुछ जेनेटिक हिस्से इतने तेजी से बदलते हैं कि समान संरचनाएं बार-बार अलग-अलग वायरस में दिख सकती हैं।

इंसानों के लिए खतरा अभी नहीं
फिलहाल, वैज्ञानिकों के मुताबिक BRZ batCoV का संक्रमण इंसानों या अन्य जानवरों में फैलने के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं। यह केवल चमगादड़ों की आंतों में पाया गया है। इसका मतलब यह है कि यह वायरस अभी अपने प्राकृतिक आवास में ही सीमित है।

निगरानी की जरूरत क्यों है
विशेषज्ञों का मानना है कि यह खोज एक चेतावनी भी है और एक अवसर भी। चेतावनी इसलिए, क्योंकि यह दिखाती है कि ऐसे वायरस केवल एशिया या अफ्रीका में नहीं, बल्कि दक्षिण अमेरिका के जंगलों में भी सक्रिय हो सकते हैं। और अवसर इसलिए, क्योंकि अब वैज्ञानिकों को पता चल गया है कि प्राकृतिक रूप से विकसित होने वाले वायरस कितनी व्यापक विविधता में मौजूद हैं। डॉ. ताकादा के शब्दों में, “अगर हम समय रहते ऐसे वायरस की पहचान करते रहें, तो अगली महामारी को रोकना संभव है।”
 

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