कोरोना ने बदला भारतीयों की नींद का पैटर्न, इतने घंटे से भी कम सो रहे हैं लोग

Edited By Anil dev,Updated: 01 Aug, 2022 06:17 PM

national news punjab kesari delhi corona virus vaccine

भले ही कोविड महामारी की रफ्तार पर काबू में आने से लोगों को राहत मिली है लेकिन इस महामारी ने जाते-जाते भी लोगों के लिए कई समस्याएं खड़ी कर दी हैं।

नेशनल डेस्क: भले ही कोविड महामारी की रफ्तार पर काबू में आने से लोगों को राहत मिली है लेकिन इस महामारी ने जाते-जाते भी लोगों के लिए कई समस्याएं खड़ी कर दी हैं। महामारी के बाद कई लोग नींद के विकारों के शिकार हो चुके हैं। एक सामुदायिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लोकलसर्किल द्वारा किए गए 32,000 से अधिक प्रतिक्रियाओं के एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में, 52 प्रतिशत भारतीयों ने कहा कि कोविड महामारी के बाद उनकी नींद का पैटर्न बदल गया है। सर्वेक्षण में शामिल दो भारतीयों में से औसत एक ने कहा कि वे हर रात छह घंटे से कम निर्बाध नींद ले रहे हैं जबकि चार में से एक चार घंटे से कम सो रहा है। सर्वेक्षण में स्लीप एपनिया, नींद के दौरान जागना, सोने में परेशानी या अधिक घंटों की आवश्यकता जैसी कुछ समस्याएं बताई गई हैं।

चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ श्रीधर कहते है कि नींद की गोलियां खरीदना आसान है। लेकिन इन गोलियों के माध्यम से आपको जो नींद आती है, वह बेहोश करने वाली होती है। गोलियों का सेवन करने वाले ऐसे लोगों को स्वप्न हीन नींद आती है। उनके अनुसार नींद का रैपिड आई मूवमेंट (आरईएम) चरण जिसमें ज्यादातर सपने आते हैं, एक ऐसी अवस्था है जहां शरीर में शून्य तनाव हार्मोन क्रिया होती है। नींद की गड़बड़ी से भर्ती मरीजों को कार्यक्रम के तीन से पांच दिनों के बाद सपने आने लगते हैं।

उधर ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी) -एडब्ल्यूएसीएस द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि नींद संबंधी विकारों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के इस्तेमाल में  जून 2022 को समाप्त वर्ष के लिए 8 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।

नींद या इसकी कमी अब आधिकारिक तौर पर हृदय रोग से जुड़ी हुई है। पिछले महीने अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने मौजूदा सात कारकों में नींद की अवधि को जोड़ा है। जो आहार, शारीरिक गतिविधि, निकोटीन जोखिम, वजन, कोलेस्ट्रॉल, रक्त शर्करा और रक्तचाप और हृदय रोग के लिए किसी व्यक्ति के जोखिम का मूल्यांकन करते हैं। भारत सहित अधिकांश देशों में हृदय रोग मृत्यु का नंबर एक कारण है। नींद की कमी एक दुष्चक्र है और इससे कई शारीरिक समस्याएं होती हैं।

मनोचिकित्सक और माइंड टेम्पल इंस्टीट्यूट की संस्थापक अंजलि छाबड़िया एक मीडिया रिपोर्ट में कहती हैं कि  कोविड के दौरान कई शारीरिक और जीवनशैली में बदलाव हुए हैं और पुरानी दिनचर्या में वापस आने के लिए जरूरी पुन: समायोजन नींद की समस्या पैदा कर रहे हैं। वह कहती हैं कि नींद की कमी से दिन में नींद आ सकती है, दुर्घटनाएं आदि हो सकती हैं। इन चिंताओं को दूर करने के लिए कार्यशालाओं के माध्यम से कम से कम 50,000 कर्मचारियों को संबोधित करने वाली छाबड़िया ने कहा कि नींद की गोलियों जैसे शॉर्टकट लेने के बजाय, यह पता लगाना बेहतर है कि नींद पर क्या प्रभाव पड़ रहा है, चाहे वह चिंता, अवसाद या तनाव हो और इसका इलाज करवाएं।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!