यमुना प्रदूषण: NGT का बड़ा एक्शन, Noida Authority पर 100 करोड़ और डीजेबी पर 50 करोड़ का जुर्माना लगाया

Edited By rajesh kumar,Updated: 06 Aug, 2022 07:03 PM

ngt imposes rs 100 crore fine on noida authority and rs 50 crore on djb

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने बिना शोधित मलजल नालों में बहने से रोकने में विफल रहने को लेकर न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।

नेशनल डेस्क: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने बिना शोधित मलजल नालों में बहने से रोकने में विफल रहने को लेकर न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। अशोधित मलजल यमुना नदी में प्रदूषण का कारक है। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल के नेतृत्व वाली पीठ ने दिल्ली जल बोर्ड पर भी 50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया।

एनजीटी ने उल्लेख किया कि नोएडा में 95 ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी में से 56 में मलजल सुविधा या आंशिक उपचार सुविधा है और बिना शोधित मलजल सीधे नाले में बहता है। पीठ ने कहा, ‘‘इसे (बिना शोधित मलजल) रोकने के लिए निर्दिष्ट प्राधिकारी हैं, लेकिन वे अधिकरण द्वारा नियुक्त समितियों की जमीन पर तथ्यात्मक स्थिति का पता लगाने के बाद रिपोर्ट के आलोक में पिछले लगभग चार वर्षों में इस अधिकरण की ओर से जारी कई निर्देशों के बावजूद इस तरह के प्रदूषण रोकने में विफल रहे हैं।''

पर्यावरण प्रकोष्ठ के निर्माण के संबंध में, न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) ने एनजीटी को सूचित किया कि इसे नहीं बनाया जा सका क्योंकि पेशेवरों को काम पर रखने की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। पीठ ने कहा, ‘‘नोएडा की रिपोर्ट में कोई उल्लेखनीय बदलाव नहीं दिखता, सिवाय इसके कि आर्द्रभूमि का काम नालियों के संबंध में आवंटित किया गया है, लेकिन उक्त नालियों की पानी की गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं कर रही है।'' इसने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को दो महीने के भीतर सभी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को उचित निर्देश जारी करने का निर्देश दिया।एनजीटी ने कहा कि संबंधित अधिकारियों द्वारा उपचारात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए और उत्तर प्रदेश और दिल्ली के मुख्य सचिवों द्वारा उच्चतम स्तर पर सीधे या किसी उपयुक्त तंत्र के माध्यम से निगरानी की जानी चाहिए।

एनजीटी ने कहा कि संबंधित अधिकारियों द्वारा उपचारात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए और उत्तर प्रदेश और दिल्ली के मुख्य सचिवों द्वारा उच्चतम स्तर पर सीधे या किसी उपयुक्त तंत्र के माध्यम से निगरानी की जानी चाहिए। इसमें कहा गया है कि पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुंचाने वाली पिछली विफलताओं के लिए जवाबदेही निर्धारित करना और उपचार लागत को पूरा करना आवश्यक है। पीठ ने कहा, ‘‘अन्य प्राधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई और नोएडा प्राधिकरण एवं डीजेबी की अंतिम जवाबदेही पर विचार लंबित रहने के मद्देनजर, उन्हें सीपीसीबी के साथ अंतरित मुआवजे के वास्ते एक अलग खाते में क्रमशः 100 करोड़ रुपये और 50 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया जाता है जिसका उपयोग बहाली उपायों के लिए किया जाएगा।''

अधिकरण ने कहा कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव इस प्रक्रिया में गलती करने वाले अधिकारियों की पहचान करने और उपचारात्मक कार्रवाई करने और ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी सहित ऐसे दोषी अधिकारियों या उल्लंघनकर्ताओं से मुआवजा वसूलने के लिए स्वतंत्र होंगे। उसने कहा, ‘‘आगे की कार्रवाई की रिपोर्ट तीन महीने के भीतर मुख्य सचिव, दिल्ली और उत्तर प्रदेश द्वारा अपने-अपने राज्यों में अधिकारियों और अध्यक्ष, सीपीसीबी से साथ समन्वय के बाद द्वारा ई-मेल द्वारा दायर की जाए।'' अधिकरण नोएडा निवासी अभिष्ट कुसुम गुप्ता द्वारा सेक्टर -137 में सिंचाई नहर में मलजल निस्तारण के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

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