Mayawati Mission 2027: 2025 में BSP को मिली 'ऑक्सीजन' अब न गठबंधन, न होगा समझौता, 2027 में अकेले चुनाव लड़ेगी बसपा

Edited By Updated: 31 Dec, 2025 12:03 PM

no alliance bsp to go solo in 2027 uttar pradesh assembly polls

आज साल 2025 का आखिरी दिन है। इस साल को अगर राजनीतिक दृष्टिकोण से देखे तो कुछ पार्टियों के लिए यह साल अच्छा रहा, जबकि कुछ के  लिए यह साल कुछ खास अच्छा नहीं रहा। इसी बीच अगर एक नजर उत्तर प्रदेश की राजनीति पर डाले तो प्रदेश में कभी किंग मेकर रहने वाली...

नेशनल डेस्क: आज साल 2025 का आखिरी दिन है। इस साल को अगर राजनीतिक दृष्टिकोण से देखे तो कुछ पार्टियों के लिए यह साल अच्छा रहा, जबकि कुछ के  लिए यह साल कुछ खास अच्छा नहीं रहा। इसी बीच अगर एक नजर उत्तर प्रदेश की राजनीति पर डाले तो प्रदेश में कभी किंग मेकर रहने वाली बसपा के लिए 2025 कुछ खास नहीं रहा। चुनावी हार और सांगठनिक चुनौतियों के बीच पार्टी ने इस साल को 'पुनर्निर्माण' के अवसर के रूप में इस्तेमाल किया। उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी साख बचाने की जद्दोजहद के साथ-साथ पार्टी नेतृत्व ने यह साफ कर दिया कि 2027 के विधानसभा चुनाव में बसपा पूरी ताकत के साथ अकेले मैदान में उतरेगी।

आकाश आनंद बने उत्तराधिकार

पार्टी के नेशनल को-ऑर्डिनेटर आकाश आनंद के लिए यह साल व्यक्तिगत और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर महत्वपूर्ण रहा। साल के अंत में आकाश आनंद के घर पुत्री रत्न की प्राप्ति हुई, जिसे मायावती ने 'बहुजन मिशन' के प्रति समर्पित करने का स्वागत किया। राजनीतिक रूप से आकाश आनंद को संगठन में दी गई बड़ी जिम्मेदारियों और उन पर लिए गए सख्त फैसलों ने यह संदेश दिया कि बसपा अब अनुशासन और युवा जोश के साथ आगे बढ़ने को तैयार है।

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सांगठनिक फेरबदल और 2027 की रणनीति

लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद मायावती ने पार्टी के भीतर बड़ा बदलाव किया है। मंडल और प्रदेश स्तर पर पदाधिकारियों को बदला गया और साफ कर दिया गया कि निष्क्रियता बर्दाश्त नहीं होगी। पार्टी ने 2027 के लिए 'सोशल इंजीनियरिंग' के पुराने फॉर्मूले पर काम शुरू कर दिया है, जिसमें दलितों के साथ-साथ OBC और अल्पसंख्यकों को जोड़ने पर जोर दिया जा रहा है।

वैचारिक स्पष्टता और चुनौतियाँ

बिहार विधानसभा चुनावों में एक सीट पर मिली जीत को पार्टी ने अपनी मौजूदगी का प्रमाण माना। वैचारिक मोर्चे पर बसपा ने भाजपा और सपा दोनों से समान दूरी बनाए रखी। मायावती ने स्पष्ट किया कि बसपा न किसी की 'बी-टीम' है और न ही वह किसी गठबंधन का हिस्सा बनेगी। हालांकि भाजपा की कल्याणकारी योजनाओं और सपा की 'आंबेडकर वाहिनी' जैसी पहलों से अपने परंपरागत वोट बैंक को बचाना बसपा के लिए 2026 में सबसे बड़ी चुनौती होगी।

 

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