वेतन कटौती बिल लोकसभा में पास, सांसदों की कटेगी 30% सैलरी

Edited By Updated: 15 Sep, 2020 06:27 PM

pay cut bill passed in lok sabha mps will be deducted 30 salary

लोकसभा ने सांसदों के वेतन में एक वर्ष के लिये 30 प्रतिशत कटौती करने के प्रावधान वाले एक विधेयक को मंगलवार को मंजूरी दे दी। इस धनराशि का उपयोग कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति से मुकाबले के लिये किया जायेगा। निचले सदन में संक्षिप्त चर्चा के...

नई दिल्लीः लोकसभा ने सांसदों के वेतन में एक वर्ष के लिये 30 प्रतिशत कटौती करने के प्रावधान वाले एक विधेयक को मंगलवार को मंजूरी दे दी। इस धनराशि का उपयोग कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति से मुकाबले के लिये किया जायेगा। निचले सदन में संक्षिप्त चर्चा के बाद संसद सदस्य वेतन, भत्ता एवं पेशन संशोधन विधेयक 2020 को धवनिमत से मंजूरी दे दी गयी। यह विधेयक इससे संबंधित संसद सदस्य वेतन, भत्ता एवं पेशन अध्यादेश 2020 के स्थान पर लाया गया है। इसके माध्यम से संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेशन अधिनियम 1954 में संशोधन किया गया है। कोरोना वायरस महामारी के बीच इस अध्यादेश को 6 अप्रैल को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिली थी और यह 7 अप्रैल को लागू हुआ था। चर्चा में भाग लेते हुए अधिकतर विपक्षी सदस्यों ने कहा कि सांसदों के वेतन में कटौती से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन सरकार को सांसद निधि के निलंबन पर पुनर्विचार करना चाहिए।

संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने निचले सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि कोविड-19 के कारण उत्पन्न अभूतपूर्व स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं। यह कदम उनमें से एक है। उन्होंने कहा कि परोपकार की शुरूआत घर से होती है, ऐसे में संसद के सदस्य यह योगदान दे रहे हैं और यह छोटी या बड़ी राशि का सवाल नहीं है बल्कि भावना का है। जोशी ने कहा कि प्राकृतिक आपदा आती है तब एक विशिष्ट क्षेत्र को प्रभावित करती है, युद्ध दो देशों की सीमाओं को प्रभावित करता है। लेकिन कोविड-19 ने पूरे विश्व को प्रभावित किया है, दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 20 लाख करोड़ रूपये के पैकेज के साथ ही 1.76 लाख करोड़ रूपये की गरीब कल्याण योजना की शुरूआत की। सरकार ने मनरेगा का आवंटन बढ़ाया और ग्रामीण आधारभूत ढांचे के लिये काम किया।

सांसद क्षेत्र विकास निधि (एमपीलैड) के बारे में सदस्यों के सवालों के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सांसद निधि को अस्थायी रूप से दो वर्षो के लिये निलंबित किया गया है। उन्होंने कहा कि लोगों की मदद के लिये कुछ कड़े फैसले लेने की जरूरत थी। चर्चा में हिस्सा लेते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वह एक पिछड़े हुए क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और ऐसे में सांसद निधि नहीं होने से विकास कार्य प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि सांसद निधि का अधिकतर पैसा गांवों, अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के लिए खर्च होता है और ऐसे में यह निधि निलंबित करके सरकार इनके खिलाफ काम कर रही है।

कांग्रेस के ही डीन कुरियाकोस ने कहा कि सरकार को सांसद निधि निलंबित करने के बजाय धन जुटाने के लिए दूसरे साधनों पर विचार करना चाहिए था। भाजपा के विजय बघेल ने कहा कि कोरोना महामारी के समय सभी सांसदों ने अपने क्षेत्रों के लिए काम किया और अब उन्हें इस विधेयक का समर्थन करके भी अपना योगदान देना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा कि सरकार की ओर से सांसद निधि निलंबित करने से उनके क्षेत्र में प्रशासन की तरफ से इस निधि का पैसा जारी नहीं किया जा रहा है।

बीजद के पिनाकी मिश्र, एआईएमआईएम के इम्तियाज जलील और निर्दलीय सदस्य नवीनत कौर राणा ने भी कहा कि महामारी से निपटने के लिए सांसदों का वेतन केवल 30 प्रतिशत ही नहीं, बल्कि पूरा भी काट लिया जाए तो उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी लेकिन एमपीलैड की राशि को नहीं रोका जाना चाहिए जो जनता का पैसा है। द्रमुक के कलानिधि वीरस्वामी, वाईएसआर कांग्रेस के एम भारत और कुछ अन्य सदस्यों ने भी सांसद निधि के निलंबन का विरोध किया।

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