Edited By Anu Malhotra,Updated: 17 Jul, 2025 07:29 AM

जब किसी व्यक्ति को मृत घोषित किया जाता है, तो हम मान लेते हैं कि उसके शरीर ने पूरी तरह काम करना बंद कर दिया है। लेकिन आधुनिक चिकित्सा विज्ञान कुछ और ही कहानी कहता है। दरअसल, इंसान की मौत के बाद भी उसके शरीर के कई अंग कुछ समय तक "जिंदा" रहते हैं —...
नेशनल डेस्क: जब किसी व्यक्ति को मृत घोषित किया जाता है, तो हम मान लेते हैं कि उसके शरीर ने पूरी तरह काम करना बंद कर दिया है। लेकिन आधुनिक चिकित्सा विज्ञान कुछ और ही कहानी कहता है। दरअसल, इंसान की मौत के बाद भी उसके शरीर के कई अंग कुछ समय तक "जिंदा" रहते हैं — यानी वे इतने सक्रिय होते हैं कि किसी दूसरे इंसान की जान बचाने के लिए ट्रांसप्लांट किए जा सकते हैं।
यह चमत्कार नहीं, बल्कि मेडिकल साइंस की एक क्रांतिकारी उपलब्धि है। आइए जानें कि कौन-कौन से अंग, मौत के कितने घंटे बाद तक जीवित रहते हैं और कैसे वे किसी और की ज़िंदगी में रोशनी बन सकते हैं।
1. दिल (Heart) — 4 से 6 घंटे
दिल को शरीर से निकालने के बाद 4 से 6 घंटे के भीतर ट्रांसप्लांट करना आवश्यक होता है। इतने कम समय में अंग को निकाला, संरक्षित और ट्रांसप्लांट करना होता है, इसलिए दिल के डोनर के लिए बेहद तेज़ और सटीक प्रक्रिया अपनाई जाती है।
2. फेफड़े (Lungs) — 4 से 6 घंटे
फेफड़े भी दिल की तरह संवेदनशील होते हैं। इन्हें शरीर से निकालने के बाद 4 से 6 घंटे में ट्रांसप्लांट करना ज़रूरी है, वरना इनकी कार्यक्षमता घटने लगती है।
3. लिवर (Liver) — 8 से 12 घंटे
लिवर की कोशिकाएं कुछ ज्यादा देर तक जीवित रहती हैं। इस अंग को 8 से 12 घंटे तक सुरक्षित रखा जा सकता है। यह समय टीम को ट्रांसप्लांट की तैयारी के लिए एक अहम मौका देता है।
4. आंत (Intestines) — 8 से 16 घंटे
आंतें शरीर से निकालने के बाद 8 से 16 घंटे तक ट्रांसप्लांट के लिए उपयुक्त रहती हैं। ये ट्रांसप्लांट दुर्लभ होते हैं लेकिन गंभीर मरीजों के लिए जीवनरक्षक साबित होते हैं।
5. पैनक्रियाज (Pancreas) — 12 से 18 घंटे
पैनक्रियाज एक ऐसा अंग है जिसे आमतौर पर टाइप-1 डायबिटीज़ के मरीजों में ट्रांसप्लांट किया जाता है। इसे मृत्यु के बाद 12 से 18 घंटे के भीतर ट्रांसप्लांट किया जा सकता है।
6. किडनी (Kidneys) — 24 से 36 घंटे
किडनी शरीर का सबसे "टिकाऊ" अंग माना जाता है। यह मृत्यु के बाद 24 से 36 घंटे तक उपयोग के लायक रहती है। यही वजह है कि किडनी ट्रांसप्लांट सबसे आम और सफल प्रक्रिया मानी जाती है।
7. आंखों का कॉर्निया (Cornea) — 6 से 8 घंटे
कॉर्निया को मृत्यु के 6 से 8 घंटे के भीतर निकालना होता है। ये अंधेपन से पीड़ित लोगों के लिए जीवन में रोशनी वापस ला सकता है।
8. हड्डियां और टिश्यू — 24 घंटे से लेकर 5 साल तक
हड्डियों और कुछ टिश्यू को 24 घंटे के अंदर निकाला जा सकता है, और इन्हें 5 साल तक विशेष कंडीशन में सुरक्षित रखा जा सकता है। ये ऑर्थोपेडिक सर्जरी और पुनर्निर्माण में काम आते हैं।
कैसे होती है अंगों की सुरक्षा?
अंगों को शरीर से निकालने के तुरंत बाद एक विशेष प्रिज़र्वेशन सॉल्यूशन में रखा जाता है और तापमान को बेहद कम (2–8°C) पर बनाए रखा जाता है। इससे कोशिकाओं की सक्रियता कुछ समय के लिए बनी रहती है, जिससे सफल ट्रांसप्लांट संभव हो पाता है।