Edited By Rohini Oberoi,Updated: 23 Dec, 2025 11:25 AM

अब तक माना जाता था कि वायु प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों और दिल की बीमारियों का कारण है लेकिन हालिया शोध और दिल्ली-एनसीआर के अस्पतालों से डराने वाले आंकड़े सामने आ रहे हैं। जहरीली हवा न केवल सांसें छीन रही है बल्कि महिलाओं की प्रजनन क्षमता (Fertility) और...
Pollution effects on pregnency: अब तक माना जाता था कि वायु प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों और दिल की बीमारियों का कारण है लेकिन हालिया शोध और दिल्ली-एनसीआर के अस्पतालों से डराने वाले आंकड़े सामने आ रहे हैं। जहरीली हवा न केवल सांसें छीन रही है बल्कि महिलाओं की प्रजनन क्षमता (Fertility) और गर्भावस्था पर भी जानलेवा हमला कर रही है। प्रदूषित हवा के कारण 'मिसकैरेज' (गर्भपात) के बढ़ते मामले डॉक्टरों के लिए चिंता का विषय बन गए हैं।
प्रजनन क्षमता पर चुपचाप हमला
प्रदूषण का असर महिलाओं के शरीर के भीतर बहुत गहराई तक हो रहा है। चीन में हुए एक शोध और भारतीय डॉक्टरों के अनुभवों के आधार पर कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। गंभीर प्रदूषण के संपर्क में रहने से महिलाओं के अंडाशय (Ovary) में अंडों की संख्या और उनकी गुणवत्ता दोनों खराब हो रही हैं। वायु प्रदूषण शरीर में एंटी-म्यूलरियन हार्मोन (AMH) के स्तर को कम कर देता है। यह वह हार्मोन है जो बताता है कि ओवरी में कितने अंडे बचे हैं। AMH का कम होना सीधे तौर पर बांझपन की ओर इशारा करता है।

PM 2.5 और NO2: प्रेग्नेंसी के सबसे बड़े दुश्मन
हवा में मौजूद सूक्ष्म कण (PM 2.5) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) इतने छोटे होते हैं कि वे फेफड़ों के जरिए खून में मिलकर प्रजनन अंगों तक पहुंच जाते हैं:
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हार्मोनल इम्बैलेंस: प्रदूषण की वजह से प्रोजेस्ट्रोन और एस्ट्रोजन जैसे महत्वपूर्ण हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ जाता है।
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मासिक धर्म में गड़बड़ी: हार्मोन बिगड़ने से पीरियड साइकिल अनियमित हो जाती है जिससे गर्भधारण करने में समस्या आती है।
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IVF पर असर: दिल्ली के अस्पतालों में प्रदूषण के कारण महिलाओं को लगातार सर्दी, खांसी और बुखार हो रहा है जिसकी वजह से कई महत्वपूर्ण IVF (In-Vitro Fertilization) सर्जरीज को बीच में ही रोकना या कैंसिल करना पड़ रहा है।

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दिल्ली-एनसीआर में बढ़ता गर्भपात (Miscarriage) का खतरा
डॉक्टरों के अनुसार जब एक गर्भवती महिला प्रदूषित हवा में सांस लेती है तो जहरीले कण गर्भनाल (Placenta) तक पहुंच सकते हैं। इससे:
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गर्भ में पल रहे शिशु का विकास रुक सकता है।
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समय से पहले प्रसव (Pre-mature delivery) का खतरा बढ़ जाता है।
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सबसे गंभीर स्थिति में शरीर भ्रूण को स्वीकार करना बंद कर देता है जिससे अचानक गर्भपात हो जाता है।

बचाव के उपाय
विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भवती महिलाओं और जो महिलाएं कंसीव (गर्भधारण) करने की योजना बना रही हैं उन्हें खास सावधानी बरतनी चाहिए:
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N95 मास्क: घर से बाहर निकलते समय हमेशा उच्च गुणवत्ता वाले मास्क का प्रयोग करें।
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इंडोर प्लांट्स: घर के भीतर हवा को शुद्ध करने वाले पौधे लगाएं।
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पीक ऑवर्स से बचें: जब प्रदूषण का स्तर (AQI) सबसे ज्यादा हो तब बाहर न निकलें।
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तरल पदार्थ: भरपूर पानी और पोषक तत्वों का सेवन करें ताकि शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकल सकें।