Edited By Anu Malhotra,Updated: 22 Jul, 2025 05:16 PM

बिहार में चल रही विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया (SIR) को लेकर इन दिनों राजनीति और कानूनी मोर्चे दोनों पर घमासान मचा हुआ है। एक ओर जहां विपक्षी दलों ने इसे चुनाव से पहले 'राजनीतिक साजिश' करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, वहीं...
नई दिल्ली: बिहार में चल रही विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया (SIR) को लेकर इन दिनों राजनीति और कानूनी मोर्चे दोनों पर घमासान मचा हुआ है। एक ओर जहां विपक्षी दलों ने इसे चुनाव से पहले 'राजनीतिक साजिश' करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, वहीं दूसरी ओर चुनाव आयोग ने अपनी स्थिति पूरी मजबूती से अदालत के सामने रख दी है।
Aadhaar Card, Voter ID, Ration Card : EC ने क्यों जताया अविश्वास?
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में कहा है कि ये दस्तावेज- जैसे कि Aadhaar Card, Voter ID, Ration Card- नागरिकता का प्रमाण नहीं माने जा सकते। आयोग के अनुसार:
-Aadhaar card केवल एक पहचान पत्र है, यह नागरिकता को प्रमाणित नहीं करता।
-Ration Card की बड़ी संख्या में फर्जी प्रतियां मौजूद हैं, जिससे इन पर भरोसा करना जोखिम भरा है।
-Voter Card पूर्ववत सूची के आधार पर बनते हैं, और इन्हीं को आधार बनाकर Re-verification करना SIR की पूरी प्रक्रिया को कमजोर कर देगा।
EC ने सुप्रीम कोर्ट से क्या कहा?
आयोग ने अदालत को यह भी स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में नाम नहीं होने का अर्थ यह नहीं लगाया जा सकता कि कोई व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं है। साथ ही, चुनाव आयोग ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि 11 विपक्षी दलों, NGO और बिहार के कुछ निवासियों द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज किया जाए, जिसमें SIR को रद्द करने और पुरानी मतदाता सूची के आधार पर नवंबर में चुनाव कराने की मांग की गई है।
10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
10 जुलाई 2025 को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को SIR प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दी थी, लेकिन यह सुझाव भी दिया था कि आधार, वोटर ID और राशन कार्ड को पहचान के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। इसके जवाब में EC ने अपना विस्तृत पक्ष हलफनामे के माध्यम से रखा।
बिहार में क्यों उठे सवाल?
बिहार में 25 जून से शुरू हुई इस special vetting process को लेकर कांग्रेस सहित 11 दलों ने विरोध दर्ज कराया है। विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची में हेरफेर करने के उद्देश्य से चलाई जा रही है, जिससे निष्पक्ष चुनाव पर प्रश्नचिन्ह लग सकता है। कांग्रेस ने इस कवायद को 'पूर्व नियोजित साजिश' करार देते हुए कहा है कि यह चुनावी गड़बड़ी की तैयारी का हिस्सा है।
चुनाव आयोग का स्पष्ट कहना है कि SIR का उद्देश्य केवल यह सुनिश्चित करना है कि सभी पात्र नागरिकों के नाम सूची में शामिल हों, और कोई भी अपात्र व्यक्ति उसमें न आ सके। आयोग ने कहा कि यह अभियान पूरी कानूनी प्रक्रिया और पारदर्शिता के साथ संचालित किया जा रहा है। आयोग ने यह भी कहा कि नागरिकता अधिनियम की धारा 9 का इस प्रक्रिया से कोई संबंध नहीं है। मकसद केवल इतना है कि केवल भारतीय नागरिकों को मताधिकार मिले, और इसके लिए सत्यापन आवश्यक है।