Edited By Radhika,Updated: 20 Sep, 2025 12:36 PM

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा हैकि अगर दो बालिग अपनी सहमति से शारीरिक संबंध बनाते हैं और बाद में किसी वजह से उनकी शादी नहीं हो पाती, तो इसे रेप नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने एक ऐसे ही मामले में युवक के खिलाफ...
नेशनल डेस्क: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा हैकि अगर दो बालिग अपनी सहमति से शारीरिक संबंध बनाते हैं और बाद में किसी वजह से उनकी शादी नहीं हो पाती, तो इसे रेप नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने एक ऐसे ही मामले में युवक के खिलाफ दर्ज रेप का केस खारिज कर दिया है।
क्या था मामला?
एक महिला ने अपने मंगेतर पर शादी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाया था। दोनों की सगाई हो चुकी थी और नवंबर 2024 में शादी को शादी होने वाली थी। शादी से पहले दोनों परिवारों के बीच कुछ मतभेद हो गए और शादी टूट गई। इसके बाद महिला ने युवक पर रेप का केस दर्ज करा दिया।

कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस कीर्ति सिंह की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की और पाया कि दोनों ही पढ़े-लिखे और समझदार बालिग थे। उनके बीच संबंध आपसी सहमति से बने थे। कोर्ट ने कहा कि शादी टूटने की वजह दोनों परिवारों के बीच का आपसी झगड़ा था।
अदालत ने यह भी साफ किया कि किसी महिला की सहमति अगर शादी के झूठे वादे पर ली गई थी, तो यह साबित करना जरूरी है कि आरोपी की नियत शुरू से ही शादी करने की नहीं थी और उसने सिर्फ अपनी शारीरिक इच्छा पूरी करने के लिए झूठा वादा किया था। इस मामले में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला।

कानून का दुरुपयोग सही नहीं
कोर्ट ने कहा कि यह मामला दिखाता है कि जब एक सहमति से बना रिश्ता शादी में नहीं बदल पाता, तो उसे आपराधिक रूप दे दिया जाता है। कोर्ट ने इसे कानून का दुरुपयोग बताया और कहा कि अदालतें इसे बर्दाश्त नहीं करेंगी। इसी आधार पर युवक के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया गया है।