Edited By Mehak,Updated: 02 Aug, 2025 06:19 PM

रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते, प्रेम और सुरक्षा के वचन का प्रतीक पर्व है। इसे हर साल सावन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस साल रक्षाबंधन का त्योहा शनिवार, 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र यानी राखी बांधती...
नेशनल डेस्क : रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते, प्रेम और सुरक्षा के वचन का प्रतीक पर्व है। इसे हर साल सावन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस साल रक्षाबंधन का त्योहा शनिवार, 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र यानी राखी बांधती है, जो सिर्फ एक धागा नहीं बल्कि अटूट प्रेम, श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक होता है। राखी बांधकर बहन भाई की लंबी उम्र, सफलता और जीवनभर सुरक्षा की कामना करती है।
राखी: एक पवित्र रिश्ते की डोर
रक्षाबंधन पर बांधी गई राखी न केवल एक परंपरा है, बल्कि यह भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत करती है। हालांकि राखी बांधना जितना अहम होता है, उतना ही जरूरी होता है यह जानना कि राखी कितने दिनों तक कलाई पर रखनी चाहिए और उसे उतारने के बाद क्या करना चाहिए।
राखी कितने दिन तक बांध कर रख सकते हैं?
राखी को उतारने को लेकर कोई सख्त नियम नहीं है, लेकिन धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कुछ मान्यताएं हैं, जिन्हें जानना लाभकारी होता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार:
- राखी को रक्षाबंधन से लेकर भाद्रपद अमावस्या (लगभग 15 दिन) तक बांधकर रखा जा सकता है।
- कुछ लोग इसे 3, 7 या 11 दिनों तक रखते हैं।
- कई लोग जन्माष्टमी या गणेश चतुर्थी के दिन राखी उतारते हैं।
- कम से कम 24 घंटे तक राखी जरूर पहनें, इससे पहले न निकालें।
- ध्यान रखें कि पितृपक्ष शुरू होने से पहले राखी को उतार देना चाहिए।
विज्ञान क्या कहता है?
- राखी सामान्यतः सूती या रेशमी धागे की बनी होती है।
- यह धूल, पानी और पसीने के संपर्क में आकर गंदी और संक्रमित हो सकती है।
- ऐसी स्थिति में यह बैक्टीरिया और स्किन इंफेक्शन का कारण बन सकती है।
- इसलिए राखी को तब तक ही पहनें जब तक वह साफ-सुथरी और सुरक्षित हो।
राखी उतारने के बाद क्या करें?
राखी को इधर-उधर फेंकना उचित नहीं होता, क्योंकि यह एक पवित्र धागा होता है।
आप इन तरीकों में से कोई एक अपना सकते हैं:
- जल में विसर्जन करें
- किसी पेड़ की डाल पर बांध दें
- पौधे की जड़ में गाड़ दें
इन विधियों से राखी का सम्मानजनक विसर्जन होता है और परंपराओं का पालन भी।