देश की सबसे चौंकाने वाली फांसी, जब फंदे पर लटकने के 2 घंटे बाद भी जिंदा रहा था दोषी

Edited By Updated: 12 Oct, 2020 12:37 PM

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फांसी के फंदे पर लटकने के चंद सेकेंड में किसी भी कैदी की मौत हो जाती है लेकिन लेकिन दिल्ली में ही एक ऐसा भी मामला सामने आया, जब दोषी को फांसी पर लटकाने के बाद भी वो दोषी 2 घंटे तक जिंदा रहा था। यह बेहद मशहूर मामला रंगा-बिला के रंगा से जुड़ा है। ये...

नई दिल्ली:  फांसी के फंदे पर लटकने के चंद सेकेंड में किसी भी कैदी की मौत हो जाती है लेकिन लेकिन दिल्ली में ही एक ऐसा भी मामला सामने आया, जब दोषी को फांसी पर लटकाने के बाद भी वो दोषी 2 घंटे तक जिंदा रहा था। यह बेहद मशहूर मामला रंगा-बिला के रंगा से जुड़ा है। ये बात है करीब 37 साल पहले की है जब रंगा यानी कुलजीत सिंह और बिल्ला यानी जसबीर सिंह को फांसी दी गई थी। 
 

क्या था मामला 
यह मामला साल 1978 का है। जब आर्मी अफसर के बच्चे गीता और संजय ऑल इंडिया रेडियो में एक कार्यक्रम के सिलसिले में जा रहे थे। तभी दिल्ली के गोल डाकखाने के पास 26 अगस्त, 1978 को लिफ्ट देने के बहाने रंगा और बिल्ला ने उन्हें कार में बिठा लिया। बाद में दोनों बच्चे जब वापस नहीं आए तो शिकायत दर्ज हुई। इसके तीन दिन बाद 29 अगस्त को दोनों बच्चों की लाशें मिली। जिसके बाद पता चला कि गीता की हत्या से पहले बलात्कार किया गया था और इस घटना को रंगा-बिल्ला ने ही अंजाम दिया था। इसके बाद निर्भया की तरह ही लोगों ने सड़कों पर उतर कर इंसाफ की मांग की और फिर 8 सितंबर, 1978 को ट्रेन से गिरफ्तार कर लिया था। बाद में दोनों को 31 जनवरी 1982 को तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया था।

फांसी के बाद भी दो घंटे तक जिंदा था रंगा
31 जनवरी 1982 को रंगा-बिल्ला को फांसी दे दी गई लेकिन इस फांसी के बाद जो हुआ वो आज भी याद किया जाता है। दरअसल, तिहाड़ जेल में कई वर्ष तक कार्यरत रहे सुनील गुप्ता ने एक किताब लिखी, ब्लैक वारंट। इस किताब में सुनील गुप्ता ने अपने कार्यकाल के दौरान घटी कई घटनाओं को लिखा है। इन घटनाओं में तिहाड़ में वर्ष 1982 में रंगा और बिल्ला को फांसी देने वाली घटना का जिक्र किया गया है। इस किताब के अनुसार रंगा और बिल्ला को जब फंदे पर लटकाया गया तब बिल्ला ने तो तुरंत अपने प्राण त्याग दिए लेकिन रंगा फांसी के दो घंटे बाद तक जिंदा रहा। जब डॉक्टर्स ने जांच की तो रंगा की नाड़ी (पल्स) चल रही थी। इसके बाद में रंगा के फंदे को नीचे से खींचा गया और तब उसकी मौत हुई।

ये था जिंदा रहने का कारण 
जानकर बताते हैं कि फांसी के दौरान गर्दन की हड्डियों में अचानक झटका लगता है और झटके के कारण ही गर्दन की एक हड्डी निकलकर स्पाइनल कॉर्ड में धंस जाती है। इसके धंसते ही शरीर न्यूरोलॉजिकल शॉक का में चला जाता है और शरीर का कंट्रोल छूट जाता है। जिससे तुरंत व्यक्ति की मौत हो जाती है। यह पूरी प्रक्रिया चंद सेकेंड की होती है। वहीँ, मेडिकल साइंस की माने तो रंगा फांसी के बाद 2 घंटे तक जिंदा रहा क्योंकि तब हो सकता है रंगा के शरीर का वजन कम हो या वो सांस रोकने में सक्षम हो!  


 

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