RG Kar Case : क्या है रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस? जिसके चलते आरोपी संजय को नहीं सुनाई गई फांसी

Edited By Updated: 20 Jan, 2025 04:11 PM

rarest of rare case due to which the accused sanjay was not sentenced to death

कोलकाता में हुए आर जी कर मर्डर और रेप केस ने एक बार फिर से अदालतों की ओर लोगों का ध्यान खींचा है। संजय, जिसे इस जघन्य अपराध का मुख्य आरोपी माना जा रहा था, उसको फांसी की सजा नहीं मिली। अदालत ने इस मामले को 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस' के रूप में नहीं...

नेशनल डेस्क: कोलकाता में हुए आर जी कर मर्डर और रेप केस ने एक बार फिर से अदालतों की ओर लोगों का ध्यान खींचा है। संजय, जिसे इस जघन्य अपराध का मुख्य आरोपी माना जा रहा था, उसको फांसी की सजा नहीं मिली। अदालत ने इस मामले को 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस' के रूप में नहीं माना और इस फैसले ने कई सवाल उठाए हैं। तो, क्या होता है 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस'? और इस मामले में इसे कैसे लागू किया गया, यह जानना बेहद जरूरी है।

रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस क्या होता है?

कानून में 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' शब्द का उपयोग उन मामलों के लिए किया जाता है, जो इतने जघन्य और भयंकर होते हैं कि उन पर मौत की सजा दी जा सकती है। ऐसे मामलों में अपराधी के कर्मों की गंभीरता, पीड़ित के प्रति अपराध का भयानक स्वरूप और समाज पर इसके प्रभाव को ध्यान में रखा जाता है। भारतीय दंड संहिता (अब भारतीय न्याय संहिता) के तहत मौत की सजा केवल उन्हीं मामलों में दी जाती है, जिन्हें अदालत 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' मानती है। सरकार और न्यायपालिका का मानना है कि मौत की सजा केवल ऐसे अपराधों में दी जानी चाहिए जो अत्यंत विकृत, निरंतर अपराधी के चरित्र को दिखाने वाले, और समाज के लिए बेहद खतरनाक हों।

कोलकाता मर्डर और रेप केस में रेयरेस्ट ऑफ रेयर क्यों चर्चा में

कोलकाता का आर जी कर मर्डर और रेप केस भी एक गंभीर मामला था, जिसमें आरोपी संजय ने न केवल मर्डर किया, बल्कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचार भी किया। हालांकि यह अपराध बेहद वीभत्स था, अदालत ने इसे 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' के तहत नहीं माना। इसका मुख्य कारण यह था कि संजय ने अपराध को प्रायः नशे की हालत में किया था और उसकी मानसिक स्थिति भी अस्थिर बताई गई थी। अदालत ने कहा कि इस अपराध में संजय के मानसिक और शारीरिक हालात के आधार पर उसकी सजा का निर्धारण किया जाएगा। साथ ही, यह भी ध्यान में रखा गया कि उसने कभी किसी गंभीर अपराध का इतिहास नहीं रखा था।

क्या है न्यायिक विवेक?

अदालतों में किसी भी मामले में फैसले का आधार सिर्फ अपराध की गंभीरता नहीं होता, बल्कि अभियुक्त की मानसिक स्थिति, उसके जीवन के अन्य पहलू, और अपराध के बाद की स्थितियों को भी देखा जाता है। जब किसी मामले में 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' का सवाल आता है, तो अदालत का दायित्व यह होता है कि वह पूरे मामले की गहराई से जांच करे और फिर सजा तय करे। कोलकाता केस में संजय के प्रति अदालत का दृष्टिकोण यह था कि उसका अपराध इतनी भयावहता से भरा हुआ नहीं था कि इसे 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' श्रेणी में डाला जा सके। इसके अलावा, अदालत ने उसकी उम्र और मानसिक स्थिति को भी ध्यान में रखा।

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