रिकवरी एजेंट अगर आपके घर आ जाए तो कैसे निपटें, क्या कहता है RBI का नियम?

Edited By Updated: 07 Sep, 2025 06:19 PM

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लोन और क्रेडिट कार्ड की वसूली प्रक्रिया को पारदर्शी और सम्मानजनक बनाने के लिए सख्त गाइडलाइंस जारी की हैं। रिकवरी एजेंट सुबह 7 से शाम 7 बजे तक ही संपर्क कर सकते हैं और उन्हें धमकी या अपमानजनक व्यवहार की अनुमति नहीं है।...

नेशनल डेस्क : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड की किस्तें समय पर न चुकाने की स्थिति में रिकवरी एजेंट्स द्वारा की जाने वाली वसूली प्रक्रिया के लिए सख्त नियम बनाए हैं। इन नियमों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कर्ज वसूली की प्रक्रिया पारदर्शी और सम्मानजनक हो, ताकि कर्जदारों को अनावश्यक परेशानी न हो। अगर आप भी लोन या क्रेडिट कार्ड की रीपेमेंट में चूक गए हैं, तो ये नियम आपके अधिकारों की रक्षा करते हैं। आइए, जानते हैं RBI की गाइडलाइंस के बारे में।

रिकवरी एजेंट्स कब कर सकते हैं संपर्क?

RBI ने स्पष्ट किया है कि रिकवरी एजेंट्स सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच ही कर्जदारों से फोन या व्यक्तिगत मुलाकात के जरिए संपर्क कर सकते हैं। देर रात, सुबह जल्दी या असामान्य समय पर कॉल करना या घर पर आना पूरी तरह प्रतिबंधित है। अगर कोई एजेंट इस नियम का उल्लंघन करता है, तो कर्जदार इसकी शिकायत सीधे बैंक या RBI के कंप्लेंट मैनेजमेंट सिस्टम में दर्ज कर सकते हैं।

रिकवरी एजेंट्स क्या नहीं कर सकते?

RBI की गाइडलाइंस के अनुसार, रिकवरी एजेंट्स को निम्नलिखित कार्यों की सख्त मनाही है:

धमकी देना या गाली-गलौज करना: एजेंट्स कर्जदारों को धमकियां नहीं दे सकते, अपशब्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकते या अपमानजनक व्यवहार नहीं कर सकते।

सार्वजनिक शर्मिंदगी: एजेंट्स न तो कर्जदार को सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा कर सकते हैं और न ही परिवार, दोस्तों या सहकर्मियों के सामने नीचा दिखा सकते हैं।

अनुचित व्यवहार: ऑफिस या घर पर इस तरह का व्यवहार करना जो कर्जदार की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाए, पूरी तरह निषिद्ध है।

यदि कोई एजेंट इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो कर्जदार बैंक के ग्रिवांस ऑफिसर से लिखित शिकायत कर सकते हैं। अगर वहां समाधान न मिले, तो RBI के ओम्बड्समैन या कंप्लेंट मैनेजमेंट सिस्टम के जरिए शिकायत दर्ज की जा सकती है।

कर्जदारों के अधिकार

RBI ने कर्जदारों को कई अधिकार दिए हैं ताकि वे फर्जी एजेंट्स से बच सकें और पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित हो:

पहचान पत्र की मांग: अगर कोई रिकवरी एजेंट संपर्क करता है, तो कर्जदार उसका पहचान पत्र और लिखित दस्तावेज मांग सकता है, जो यह साबित करे कि वह बैंक या NBFC द्वारा अधिकृत है।

लोन की जानकारी: कर्जदार को बकाया राशि, रीपेमेंट ऑप्शन्स और अन्य संबंधित जानकारी प्राप्त करने का पूरा अधिकार है।

यह नियम फर्जी रिकवरी एजेंट्स से बचाव के लिए बनाए गए हैं, जो कई बार कर्जदारों से ठगी करने की कोशिश करते हैं।

कर्ज चुकाने की जिम्मेदारी बरकरार
RBI के नियम कर्जदारों के हितों की रक्षा करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कर्ज चुकाने की जिम्मेदारी खत्म हो जाती है। अगर आप आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं, तो बैंक या NBFC से खुलकर बात करें। रीपेमेंट रीस्ट्रक्चरिंग या सेटलमेंट जैसे विकल्पों पर विचार करें। इससे न केवल रिकवरी एजेंट्स का दबाव कम होगा, बल्कि आपका क्रेडिट स्कोर भी सुरक्षित रहेगा।

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