Edited By Shubham Anand,Updated: 21 Aug, 2025 01:49 PM

वैश्विक आर्थिक हालात में टैरिफ के चलते बनी अनिश्चितता और भूराजनीतिक तनावों के बीच भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपनी मौद्रिक नीति में सतर्क रुख अपनाया है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने स्पष्ट किया है कि मौजूदा वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए केंद्रीय...
नेशनल डेस्क : वैश्विक आर्थिक हालात में टैरिफ के चलते बनी अनिश्चितता और भूराजनीतिक तनावों के बीच भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपनी मौद्रिक नीति में सतर्क रुख अपनाया है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने स्पष्ट किया है कि मौजूदा वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए केंद्रीय बैंक को बेहद सावधानी के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
इस महीने की शुरुआत में, 4 से 6 अगस्त के बीच आयोजित मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में सभी छह सदस्यों ने सर्वसम्मति से प्रमुख नीतिगत दर रेपो रेट को 5.5% पर यथावत रखने के पक्ष में मतदान किया।
अर्थव्यवस्था में मजबूती
बुधवार को जारी बैठक के ब्योरे में गवर्नर मल्होत्रा ने कहा, "कुल मिलाकर हमारी अर्थव्यवस्था मजबूती, स्थिरता और अवसर की तस्वीर पेश करती है। भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति, विकास को बढ़ावा देने वाली नीतियां और दूरदर्शी रणनीति देश को एक मजबूत स्थिति में रखती हैं।"
मुद्रास्फीति पर नजर
गवर्नर ने कहा कि देश की वृद्धि दर स्थिर बनी हुई है और खाद्य कीमतों में नरमी से मुद्रास्फीति की स्थिति फिलहाल अनुकूल नजर आ रही है। हालांकि, उन्होंने आगाह किया कि आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति में हल्की बढ़ोतरी की संभावना है। साथ ही, शुल्कों और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अस्थिरता को संभावित जोखिम के रूप में चिन्हित किया।
विकास पर जोर
एमपीसी की बैठक में शामिल अन्य सदस्यों ने भी वर्तमान परिस्थितियों में नीतिगत दरों में बदलाव की आवश्यकता नहीं बताई। डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता ने कहा कि घरेलू और वैश्विक आर्थिक हालात को देखते हुए अभी दरों में कटौती की कोई गुंजाइश नहीं है। वहीं, कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब भी मजबूत स्थिति में है। उन्होंने सरकारी खर्च, ग्रामीण मांग और सेवा क्षेत्र की मजबूती को विकास का प्रमुख सहारा बताया, हालांकि औद्योगिक क्षेत्र में कुछ उतार-चढ़ाव देखे जा रहे हैं।
आगे की राह
यह स्पष्ट है कि आरबीआई फिलहाल मुद्रास्फीति और वैश्विक अनिश्चितताओं पर नजर रखते हुए सतर्कता की नीति पर कायम है। यदि आने वाले महीनों में वैश्विक हालात स्थिर रहते हैं, तो मौद्रिक नीति में बदलाव पर पुनर्विचार किया जा सकता है।