Edited By Tanuja,Updated: 27 Sep, 2025 01:36 PM

न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के अवसर पर भारत ने साउथ-साउथ डिप्लोमेसी को मजबूती दी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने IBSA और BRICS बैठकों में वैश्विक साउथ की साझेदारी पर जोर दिया। भारत ने UNSC सुधार, बहुपक्षीय व्यापार और संरक्षणवाद के खिलाफ ठोस...
New York: संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन के मौके पर भारत ने अमेरिका की धरती पर एक अलग डिप्लोमैटिक नज़ारा पेश किया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लगातार कई मल्टीलेटरल फोरम की बैठक में भाग लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उसके ही घर में चुनौती देते हुए संदेश दिया कि वैश्विक निर्णय सामूहिक सहमति से ही तय होंगे, और कोई अकेला देश ‘दुनिया का चौधरी’ नहीं हो सकता। भारत की यह रणनीति तब सामने आई जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्यापार और टैरिफ को लेकर दादागिरी की नीति अपनाई हुई थी। भारत ने अपनी कूटनीतिक चाल से यह दिखाया कि साउथ-साउथ सहयोग और बहुपक्षीय मंचों को मज़बूत कर ही वैश्विक स्थिरता सुनिश्चित की जा सकती है।
BSA (India-Brazil-South Africa) मंत्रिस्तरीय बैठक में भारत ने स्पष्ट किया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में बड़े सुधार की आवश्यकता है, ताकि वैश्विक संस्थाएं 21वीं सदी की वास्तविकताओं के अनुसार काम कर सकें।बैठक में IBSA ट्रस्ट फंड, मैरिटाइम एक्सरसाइज, एकेडमिक फोरम और इन्ट्रा-IBSA ट्रेड जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। तीनों देशों ने तय किया कि अब ऐसी बैठकें और तेज़ गति से होंगी। यह स्पष्ट संकेत था कि ग्लोबल साउथ की साझेदारी ही भविष्य की दिशा तय करेगी, न कि अमेरिका या किसी पश्चिमी देश की शर्तें।
इसी क्रम में हुई BRICS विदेश मंत्रियों की बैठक ने भी वैश्विक मंच पर ठोस संदेश दिया। रूस-यूक्रेन युद्ध और ट्रंप के टैरिफ वॉर से उपजे संकट के बीच भारत ने जोर दिया कि UNSC और अन्य प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में व्यापक सुधार जरूरी है। भारत ने यह भी संकेत दिया कि BRICS का अगला एजेंडा खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और डिजिटल इनोवेशन पर केंद्रित रहेगा। साथ ही, भारत ने स्पष्ट किया कि जब व्यापार पर संरक्षणवाद, टैरिफ अस्थिरता और गैर-टैरिफ बाधाएं असर डाल रही हैं, तब BRICS बहुपक्षीय ट्रेडिंग सिस्टम की मजबूती के लिए खड़ा होना चाहिए।