आवारा कुत्ते के काटने के बाद लगवाई एंटीरेबिज वैक्सीन, एक महीने बाद हुई मौत

Edited By Updated: 16 Oct, 2025 04:09 PM

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मध्य प्रदेश के रीवा जिले में आवारा कुत्ते के काटने से सुधीर पांडेय की मौत हो गई। उन्हें काटे जाने के तुरंत बाद चार एंटी-रेबीज इंजेक्शन लगाए गए थे, फिर भी उनकी जान नहीं बच सकी। परिवार ने प्राइवेट अस्पतालों की लापरवाही का आरोप लगाया है। यह रीवा में...

नेशनल डेस्क : मध्य प्रदेश के रीवा जिले में आवारा कुत्ते के काटने से एक व्यक्ति की रेबीज संक्रमण के कारण मौत हो गई। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि मृतक को काटे जाने के तुरंत बाद एंटी-रेबीज के पूरे चार इंजेक्शन लगाए गए थे, फिर भी उनकी जान नहीं बच सकी। यह घटना इलाज प्रक्रिया और वैक्सीन की प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

कहां हुई यह घटना
मामला रीवा के गुढ़ थाना क्षेत्र के बड़ा गांव का है। लगभग एक महीने पहले सुधीर पांडेय नाम के व्यक्ति को एक आवारा कुत्ते ने काट लिया था। परिजनों ने तुरंत स्थानीय प्राइवेट क्लिनिक में जाकर उन्हें एंटी-रेबीज के चार इंजेक्शन लगवाए। शुरुआती दिनों में सब कुछ सामान्य रहा, लेकिन अचानक सुधीर की तबीयत बिगड़ने लगी। उन्होंने सिरदर्द, बुखार और असामान्य व्यवहार जैसे लक्षण दिखाए, जो रेबीज के संकेत थे।

इलाज में देरी और लापरवाही का आरोप
परिजनों ने सबसे पहले गुढ़ के ही एक प्राइवेट अस्पताल में सुधीर को भर्ती कराया। परिवार का दावा है कि वहां डॉक्टरों ने मरीज का सही इलाज नहीं किया और केवल पैसे वसूलने पर ध्यान दिया। मरीज की हालत लगातार बिगड़ती चली गई। सोमवार को स्थिति गंभीर होने पर उन्हें रीवा के एक अन्य प्राइवेट अस्पताल में रेफर किया गया। बुधवार को आखिरकार उन्हें संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल, रीवा भेजा गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

मृतक के परिजनों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, "अगर समय रहते उचित उपचार मिलता, तो सुधीर की जान बचाई जा सकती थी। प्राइवेट अस्पतालों में लापरवाही के कारण ही यह हादसा हुआ।" अब परिवार न्याय की मांग कर रहा है और संबंधित अस्पतालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की तैयारी में है।

वैक्सीन के बावजूद मौत का रहस्य
सवाल यह उठ रहा है कि एंटी-रेबीज के पूरे डोज लेने के बाद भी मरीज की मौत कैसे हो गई? विशेषज्ञों के अनुसार, रेबीज एक घातक वायरल संक्रमण है, जो कुत्ते या अन्य संक्रमित जानवरों के काटने से फैलता है। अगर काटने के तुरंत बाद घाव की सही सफाई न हो या वैक्सीन सही समय पर न लगाई जाए, तो वायरस तंत्रिका तंत्र में सक्रिय हो सकता है। इसके अलावा, वैक्सीन की गुणवत्ता या व्यक्तिगत प्रतिरक्षा प्रणाली भी कारण हो सकती है। डॉक्टरों का कहना है कि रेबीज के लक्षण दिखने के बाद इलाज लगभग असंभव हो जाता है, इसलिए प्रारंभिक उपाय महत्वपूर्ण हैं।

रीवा में दूसरी ऐसी घटना
गौरतलब है कि यह रीवा में इस तरह की दूसरी घटना है। जुलाई 2025 में भी नरेंद्र नगर क्षेत्र के 14 वर्षीय बच्चे नितिन नट (या राजेश नट के नाम से भी जाना जाता) की आवारा कुत्ते के काटने से रेबीज के कारण मौत हो गई थी। उस बच्चे को भी काटे जाने के बाद एंटी-रेबीज के तीन डोज लगाए गए थे, लेकिन गर्दन पर गहरे काटने के कारण वायरस तेजी से फैल गया। बच्चा कुत्तों जैसी हरकतें करने लगा था और संजय गांधी अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। उस मामले में कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए थे, लेकिन परिणाम अभी स्पष्ट नहीं हुए।

आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या
रीवा और आसपास के इलाकों में आवारा कुत्तों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे कुत्ते काटने के मामले आम हो गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, इस साल जिले में सैकड़ों ऐसे केस दर्ज हो चुके हैं। विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि काटने के बाद तुरंत घाव को साबुन और पानी से धोएं, सरकारी अस्पताल जाएं और पूर्ण वैक्सीन कोर्स पूरा करें। साथ ही, स्थानीय प्रशासन को आवारा कुत्तों पर नियंत्रण के लिए अभियान चलाने की जरूरत है।

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